वार्षिक संगीतमाला की 15 वीं पायदान का गाना सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए नया हो सकता है जो आज कल के गानों को बिल्कुल ही ना सुनते हों। जी हाँ मैं एक विलेन के गीत गलियाँ की बातें कर रहा हूँ जो इस साल शायद ही किसी गली या नुक्कड़ पर ना बजा हो। वैसे भी इस गीत के जनक अंकित तिवारी सही मायने में नई संगीतकार पौध के रॉकस्टार हैं। इनके गीतों में एक ओर तो इलेक्ट्रिक गिटार और ड्रम्स का हल्का सा ओवरडोज होता है पर साथ में सुरीली सी मेलोडी भी होती है। अच्छी आवाज़ के मालिक तो अंकित हैं ही, साथ ही ऊँचे सुरों पर उनकी पकड़ भी मजबूत है। इन सब का मिश्रण युवाओं पर जादू सा असर करता है।
पिछले साल आशिकी 2 में रो रहा है ना तू में मिली जबरदस्त सफलता के बाद अंकित के कैरियर को बड़ा झटका तब लगा जब बेवफाई के आरोप में उन पर एक मुकदमा दायर हो गया। पर इन सब उतार चढ़ावों के बाद भी वो एक विलेन में संगीतबद्ध किए गीत में अपनी पुरानी लय में लौटते दिखे हैं। अंकित तिवारी एक साथ ढेर सारा काम नहीं करना चाहते। उनका मानना है कि सुकून से कोई काम किया जाए तभी कोई बेहतर चीज़ निकलती है। अंकित अपने काम का मूल्यांकन ख़ुद करते हैं और जब वो उससे संतुष्ट होते हैं तभी वो धुन किसी निर्देशक की झोली में जाती है।
एक विलेन के इस गीत के लिए गीतकार मनोज मुन्तसिर ने उन्हें दो पंक्तियाँ भेजी थीं यहीं डूबे दिन मेरे, यहीं होते हैं सवेरे..यहीं मरना और जीना, यहीं मंदिर और मदीना। अपनी चिरपरिचित शैली में अंकित तिवारी ने इस मुखड़े को लेकर गिटार , बाँसुरी और वॉयलिन को प्रमुखता से इस्तेमाल करते हुए जो धुन तैयार की वो आम जनता द्वारा हाथो हाथ ली गई।
बतौर गीतकार मेरा परिचय मनोज मुन्तसिर से पाँच साल पहले हुआ था जब उनका लिखा हुआ फिल्म The Great Indian Butterfly का गीत बड़े नटखट है मोरे कँगना संगीतमाला के प्रथम पाँच गीतों में अपनी जगह बना पाया था। अमेठी से ताल्लुक रखने वाले मनोज शुक्ला को कविता के प्रेम ने मनोज मुन्तशिर बना दिया। अगर आज वो मुंबई के फिल्म उद्योग का हिस्सा हैं तो इसका श्रेय साहिर लुधयानवी को मिलना चाहिए। आपका प्रश्न होगा आख़िर क्यूँ ? अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था
"मैं एक बार अमेठी से इलाहाबाद जा रहा था। गाड़ी जब प्रतापगढ़ पहुँची तो ट्रेन में कुछ तकनीकी खराबी आ गई। मैं समय काटने के लिए प्लेटफार्म पर टहलने लगा कि अचानक बुक स्टॉल पर मुझे साहिर का एक कविता संग्रह दिखा। गाड़ी के बनने और फिर उसके इलाहाबाद पहुँचने तक वो पुस्तक मैंने पढ़ डाली और साथ ही ये फ़ैसला भी कर लिया कि मुझे भी मुंबई जाकर एक गीतकार बनना है।"
मनोज का कहना है कि एक गीतकार के लिए सबसे दुष्कर कार्य फिल्म की पेचीदा परिस्थितियों को समझते हुए सरल से सरल शब्दों में उन भावों को व्यक्त करना है ताकि एक रिक्शे वाले से लेकर उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति को वो समान रूप से असर करे। गलियाँ की सफलता का कारण भी वे यही मानते हैं। इस गीत में मनोज की लिखी सहज पक्तियाँ जो मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं वो हैं तू मेरी नींदों मे सोता है, तू मेरे अश्क़ो में रोता है... और कैसा है रिश्ता तेरा-मेरा, बेचेहरा फिर भी कितना गहरा।
यहीं डूबे दिन मेरे, यहीं होते हैं सवेरे
यहीं मरना और जीना, यहीं मंदिर और मदीना
तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ
मुझको भावें गलियाँ, तेरी गलियाँ
तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ
यूँ ही तड़पावें, गलियाँ तेरी गलियाँ
तू मेरी नींदों मे सोता है, तू मेरे अश्क़ो में रोता है
सरगोशी सी है ख्यालों में, तू ना हो, फिर भी तू होता है
है सिला तू मेरे दर्द का, मेरे दिल की दुआयें हैं
तेरी गलियाँ...
कैसा है रिश्ता तेरा-मेरा, बेचेहरा फिर भी कितना गहरा
ये लमहे, लमहे ये रेशम से, खो जायें, खो ना जायें हमसे
काफिला, वक़्त का रोक ले, अब दिल से जुदा ना हों
तेरी गलियाँ...
तो आइए अंकित की आवाज़ की गूँज के साथ अपनी गूँज मिलाइए इस गीत में..
वार्षिक संगीतमाला 2014
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
5 टिप्पणियाँ:
लाजवाब संगीत! :)
हम्म्म :)
इस गीत की विशेषता ही कहिये कि आप सरल और सहज शब्दों के जाल में फँस जाते हैं।
"… तेरी गलियां" का दोहराव बहुत खूबसूरत हुआ है, और धुन में एक अलग सा जुनून तैरता है जिसे अंकित तिवारी अपनी आवाज़ से और गहराते हैं।
अच्छा लगता है यह गीत.
कंचन व अंकित
अंकित तिवारी का एक स्टाइल है जिसे साथ में गुनगुनाना भाता है और आलाप के साथ बहना भी अच्छा लगता है। बाकी इस गीत के लिए मनोज मुन्तशिर और अंकित काफी एवार्ड बटोर ही रहे हैं।
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