वार्षिक संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर है मेरे चहेते गायकों की युगल जोड़ी यानि पापोन और श्रेया घोषाल ! पापोन पिछली बार वार्षिक संगीतमाला में अवतरित हुए थे 2012 मैं और वो भी सरताजी बिगुल के साथ यानी चोटी की पॉयदान पर बर्फी के यादगार गीत क्यूँ ना हम तुम के साथ। पिछले साल पापोन ने फिल्म लक्ष्मी और Happy Ending के लिए दो प्यारे से गाने गाए थे ..सुन री बावली तू अपने लिए ख़ुद ही माँग ले दुआ (लक्ष्मी) और तेरी याद में हुआ मैं सजायाफ़्ता (Happy Ending)। पर वार्षिक संगीतमाला में उनके जिस गीत ने अपनी जगह बनाई है वो है विद्या बालन की फिल्म बॉबी जासूस से। पापोन को ये गीत फिल्म की सह निर्माता और अभिनेत्री दीया मिर्जा की वज़ह से मिला जो मेरी तरह ही उनकी मखमली आवाज़ की शैदाई हैं। इस गीत में पापोन का साथ दिया नए ज़माने की स्वर कोकिला श्रेया घोषाल ने।
बॉबी जासूस के इस गीत के साथ संगीतमाला में दूसरी बार प्रवेश कर रही है शान्तनु मोइत्रा और स्वानंद किरकिरे की जोड़ी। गीत के बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। फिल्म के निर्माता और निर्देशक के साथ म्यूजिक सिटिंग चल रही थी। शान्तनु ने अपनी एक धुन सुनाई। किसी ने कोई प्रश्न नहीं किया ना ही कुछ आलोचना की। शान्तनु को समझ आ गया कि मामला कुछ जमा नहीं। उन्होंने थोड़ा जोख़िम लेते हुए अपनी एक दूसरी धुन निकाली जो शास्त्रीयता का पुट लिए हुई थी। जब उन्होंने उठ कर गाना शुरु किया तो सब उन्हें मंत्रमुग्ध से बैठे बैठे एकटक देखते रहे और दीया तो इतनी भावुक हो उठीं कि उनकी आँखों से आँसू बह निकले।
गीत तो स्वीकृत हो गया पर उसे शब्दों का ज़ामा पहनाने की जवाबदेही स्वानंद को सौंपी गई और उन्होंने अपने हुनर से उसमें चार चाँद लगा दिए। ज़रा गौर फरमाइए इन काव्यात्मक बोलों पर आहटें कुछ नई सी जागी हैं..मौसीक़ी एक नई सी सुन जाओ या फिर जागी सी आँखों को, दे दो ना पलकों की चादर ज़रा..रूखे से होठों को, दे दो ना साँसों की राहत ज़रा। इतने प्यारे बोलों को सुनकर किसका मूड रूमानी ना हो जाए। वैसे क्या आपको पता है कि बहुगुण सम्पन्न स्वानंद एक गीतकार के रूप में अपने आप को स्थापित करने के बाद आजकल क्रेजी कक्कड़ फैमिली में निभाए अपने किरदार की वज़ह से भी ढेरों वाहवाही लूट रहे हैं।
शान्तनु का गीत एक द्रुत लय से शुरु होता है पर असली आनंद तब आता है जब शास्त्रीयता का रंग लिए अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ वाला हिस्सा कानों में पड़ता है। गीत में सितार और तबले का व्यापक इस्तेमाल हुआ है। अंतरों के बीच सितार से जुड़े कुछ टुकड़े ध्यान खींचते हैं। इस गीत के दो वर्सन है। इन दो रुपों में फर्क बस इतना है कि पहले में जो हिस्सा पापोन गाते हैं उसे दूसरे में श्रेया निभाती हैं। मुझे तो दोनों ही रूप पसंद हैं..देखें आपको कौन सा अच्छा लगता है।
बॉबी जासूस के इस गीत के साथ संगीतमाला में दूसरी बार प्रवेश कर रही है शान्तनु मोइत्रा और स्वानंद किरकिरे की जोड़ी। गीत के बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। फिल्म के निर्माता और निर्देशक के साथ म्यूजिक सिटिंग चल रही थी। शान्तनु ने अपनी एक धुन सुनाई। किसी ने कोई प्रश्न नहीं किया ना ही कुछ आलोचना की। शान्तनु को समझ आ गया कि मामला कुछ जमा नहीं। उन्होंने थोड़ा जोख़िम लेते हुए अपनी एक दूसरी धुन निकाली जो शास्त्रीयता का पुट लिए हुई थी। जब उन्होंने उठ कर गाना शुरु किया तो सब उन्हें मंत्रमुग्ध से बैठे बैठे एकटक देखते रहे और दीया तो इतनी भावुक हो उठीं कि उनकी आँखों से आँसू बह निकले।
गीत तो स्वीकृत हो गया पर उसे शब्दों का ज़ामा पहनाने की जवाबदेही स्वानंद को सौंपी गई और उन्होंने अपने हुनर से उसमें चार चाँद लगा दिए। ज़रा गौर फरमाइए इन काव्यात्मक बोलों पर आहटें कुछ नई सी जागी हैं..मौसीक़ी एक नई सी सुन जाओ या फिर जागी सी आँखों को, दे दो ना पलकों की चादर ज़रा..रूखे से होठों को, दे दो ना साँसों की राहत ज़रा। इतने प्यारे बोलों को सुनकर किसका मूड रूमानी ना हो जाए। वैसे क्या आपको पता है कि बहुगुण सम्पन्न स्वानंद एक गीतकार के रूप में अपने आप को स्थापित करने के बाद आजकल क्रेजी कक्कड़ फैमिली में निभाए अपने किरदार की वज़ह से भी ढेरों वाहवाही लूट रहे हैं।
शान्तनु का गीत एक द्रुत लय से शुरु होता है पर असली आनंद तब आता है जब शास्त्रीयता का रंग लिए अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ वाला हिस्सा कानों में पड़ता है। गीत में सितार और तबले का व्यापक इस्तेमाल हुआ है। अंतरों के बीच सितार से जुड़े कुछ टुकड़े ध्यान खींचते हैं। इस गीत के दो वर्सन है। इन दो रुपों में फर्क बस इतना है कि पहले में जो हिस्सा पापोन गाते हैं उसे दूसरे में श्रेया निभाती हैं। मुझे तो दोनों ही रूप पसंद हैं..देखें आपको कौन सा अच्छा लगता है।
तू मेरा अफ़साना, तू मेरा पैमाना, तू मेरी आदत इबादत है तू
तू मेरा मुस्काना, तू मेरा घबड़ाना, तु मेरी गुस्ताखी माफ़ी है तू
तू मेरी रग रग में, तू मेरी नस नस में
तू मेरी जाँ है और तू मेरी रुह
तू ही जुनूँ भी है तू ही नशा भी है
तू ही दुआ मेरी, सज़दा भी तू
अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ
सुन लो कुछ कह रहा है दिल आओ
आहटें कुछ नई सी जागी हैं
मौसीक़ी इक नई है सुन जाओ
अर्जियाँ दे....तू
जागी सी आँखों को, दे दो ना पलकों की चादर ज़रा
रूखे से होठों को, दे दो ना साँसों की राहत ज़रा
तनहा सी रातों को दे दो ना ख़्वाबों की सोहबत ज़रा
ख़्वाहिशे ये कहें, दे दो ना अपनी सी उल्फ़त ज़रा
रंजिशें भूल कर चले आओ
अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ...
बिन तेरे ज़िंदगी यूँ ही बेवज़ह बेमानी लगे
बिन तेरे ज़िंदगी, जैसे अधूरी कहानी लगे
बिन तेरे बस्तियाँ क्यूँ दिल की सूनी वीरानी लगे
बिन तेरे ज़िंदगी, क्यूँ ख़ुद ही ख़ुद से बेगानी लगे
मर्जियाँ मोड़ कर चले आआो
अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ...
वैसे ये गीत मैं जितनी बार सुन रहा हूँ ये उतना ही बेहतर लग रहा है और शायद संगीतमाला के अंत तक ये कुछ छलांगे मारता और ऊपर पहुँच जाए तो आश्चर्य नहीं.. :)
वार्षिक संगीतमाला 2014
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
9 टिप्पणियाँ:
सच में बहुत ही सुन्दर गीत है।श्रेया जी ने बहुत ही खूबसुरती से प्रस्तुत किया है।
Lovely
Glad that you enjoyed it Amita. This lyrics of the song is simply amazing
Yaah its really amazing, Is se pahle ye gaana kabhi pura suna hi nhi tha.
शु्क्रिया सुनीता जी गीत पसंद करने के लिए
ये गीत मुझे औसत लगा और मेरी अपनी रायनुसार ये गीत स्वानंद के लिखे सबसे कमज़ोर गीतों में से एक है। लफ़्ज़ों और मानी बुनने और चुनने में उनसे बहुत उम्मीदें लगी रहती हैं, शायद ये उनके लिखे जादुई नगमों का ही असर है कि ये फीका फीका सा नज़र आ रहा है।
लफ़्ज़ों पे ही अटका रह गया, संगीत और गायकी के बारे में कहना भूल गया। शांतनु ने मिसरी सी धुन बनाई है और पापोन उसमें और मिठास भरते हैं, श्रेया की एंटी लेट है लेकिन वो उसे और मीठा बनाती हैं। बोल छोड़कर गीत बेहद अच्छा लगा। वैए संगीत और खूबसूरत गायकी बोल के हल्केपन को छुपा ले रही है।
लैपी पर देखी थी यह मूवी. मूवी रोक कर इसे रिपीट मोड पर देकहा था इस गीत को. अंकित के विपरीत गीत के बोल भी उतने ही अच्छे लगे थे.
अंकित : निसंदेह स्वानंद इससे भी अच्छा लिख सकते हैं। पर मुझे तो कुल मिलाकर उनकी शब्द रचना पसंद आई। पॉपोन की आवाज़ और धुन का भी इसमें बड़ा हाथ रहा।
कंचन : मुझे भी ऐसा ही लगा।
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