वार्षिक संगीतमाला में आज बारी है सत्रहवी पायदान के गीत की। ये गीत है फिल्म 'एक विलेन' का जो साल 2014 के सफल एलबमों में से एक रहा है। मोहित सूरी के निर्देशन में बनी ज्यादातर फिल्में संगीत के लिहाज़ से सफल रही हैं और इसकी एक बड़ी वज़ह है संगीतकार मिथुन शर्मा के साथ उनका बढ़िया तालमेल। इस आपसी समझ का ही कमाल था कि इस जोड़ी ने मौला मेरे मौला, तेरे बिन मैं यू कैसे जिया, वो लमहे वो रातें, तुम ही हो जैसे गीत दिए जो बेहद लोकप्रिय हुए। इस समझ के पीछे के राज के बारे में मिथुन कहते हैं
"मोहित के साथ काम करने का मज़ा ये है कि वो आपको वक़्त देते हैं। गीत में संगीत कैसा होगा इसमें वो कभी दखल नहीं देते। वो फिल्म की परिस्थिति या चरित्र के बारे में इस तरह बताते हैं कि मन में एक भावनात्मक आवेश सा आ जाता है और वही धुन को विकसित करने में काम आता है। मोहित मुझसे यही कहते हैं कि जब तक धुन से तुम संतुष्ट नहीं हो जाते, तुम मेरे पास मत आओ और ना हीं मैं तुम्हें उसके बारे में पूछूँगा। उनके इस तरीके की वज़ह से ही शायद मैं उनके साथ अब तक अच्छा काम कर सका हूँ।"
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी वाले प्यारेलाल से दो साल की शागिर्दी में मिथुन को ये स्पष्ट हो गया था कि उन्हें आगे चलकर संगीत में ही मुकाम बनाना है। अगर मिथुन के पिछले साल के कुछ गीतों पर ध्यान दें तो वो सारे आपको एक ही विषय से जुड़े मिलेंगे और वो है रोमांस। मिथुन की इस बारे में बड़ी प्यारी सोच है। वे इस बारे में कहते हैं
"रोमांस मुझे प्रेरणा देता है। मैं जब दो लोगों एक दूसरे के प्रेम में डूबा देखता हूँ, जब मैं उन्हें इस प्यार की वज़ह से ही लड़ते झगड़ते देखता हूँ या जब उन्हें अपनी पूरी ज़िंदगी इसी प्यार पर कुर्बान होते देखता हूँ तो मुझे लगता है कि ऐसा संगीत बनाऊँ जो इस जज़्बे को समर्पित हो।"
एक ज़माना था जब मिथुन अपने गीत अक़्सर सईद क़ादरी साहब से लिखवाया करते थे पर आजकल वो अपने गीत वे ख़ुद ही लिखते हैं। मोहित सूरी ने नायक का जो चरित्र मिथुन के सामने रखा वो ही बंजारा का रूप लेकर इस गीत की शक्ल में आया। अमूल स्टार वॉयस आफ इंडिया और सा रे गा मा में प्रतिभागी रह चुके मोहम्मद इरफ़ान से उन्होंने ये गीत गवाया। इरफ़ान की गायिकी के बारे में दिल सँभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू की चर्चा करते वक़्त आपको पहले भी बता चुका हूँ। वे एक बेहद सुरीली आवाज़ के मालिक हैं और इस गीत में उनकी आवाज़ बोलों की तरह ही सुकूँ के कुछ पल मुहैया कराती है।
मिथुन के संगीत संयोजन में हमेशा पियानो का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है और इस गीत की शुरुआत में एक बार फिर उन्होंने अपने चहेते वाद्य यंत्र का सहारा लिया है।जैसे कोई किनारा देता हो सहारा ... के पहले के इंटरल्यूड में हारमोनियम का जो प्रयोग उन्होंने किया है उसे सुनकर दिल खुश हो जाता है।
मिथुन के बोल सहज होते हैं पर मधुर धुन की चाशनी में वो हौले से दिल को सहला जरूर जाते हैं। तो आइए सुनते हैं ये गीत..
जिसे ज़िन्दगी ढूँढ रही है, क्या ये वो मकाम मेरा है
यहाँ चैन से बस रुक जाऊँ, क्यूँ दिल ये मुझे कहता है
जज़्बात नये से मिले हैं, जाने क्या असर ये हुआ है
इक आस मिली फिर मुझको, जो क़ुबूल किसी ने किया है
किसी शायर की ग़ज़ल, जो दे रूह को सुकूँ के पल
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
नए मौसम की सहर, या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
जैसे कोई किनारा, देता हो सहारा, मुझे वो मिला किसी मोड़ पर
कोई रात का तारा, करता हो उजाला, वैसे ही रोशन करे वो शहर
दर्द मेरे वो भुला ही गया. कुछ ऐसा असर हुआ
जीना मुझे फिर से वो सिखा रहा, जैसे बारिश कर दे तर, या मरहम दर्द पर
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर...
मुस्काता ये चेहरा, देता है जो पहरा, जाने छुपाता क्या दिल का समंदर
औरों को तो हरदम साया देता है, वो धूप में है खड़ा खुद मगर
चोट लगी है उसे फिर क्यूँ, महसूस मुझे हो रहा
दिल तू बता दे क्या है इरादा तेरा, मैं परिंदा बेसबर, था उड़ा जो दरबदर
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर...
वैसे क्या कभी आपने मुस्काते चेहरों के पीछे छुपे दिल के समंदर को टटोलने की कोशिश की है? शायद ये गीत आपको ऐसे ही किसी शख़्स की याद दिला दे..
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
7 टिप्पणियाँ:
युवाओं के बीच एक विल्लन के गानें बड़े मशहूर रहे। बंजारा इसके सभी गीतों में से सबसे बेहतर है। :)
मैंने आपके ब्लॉग को Very Inspiring Blog Award के लिए नामांकित किया है क्योंकि आपका ब्लॉग मुझे बहुत पसंद है। :)
अच्छा, तुम्हें इस फिल्म का ये गीत सबसे पसंद है। वैसे एक विलेन के ज्यादातर गानें लोगों की जुबान पर चढ़े। बंजारा, गलियाँ व हमदर्द तो काफी सुने गए।
जानकर खुशी हुई कि मेरा ब्लॉग तुम्हें प्रेरित करता है और तुमने अपने पसंदीदा सूची में एक शाम मेरे नाम को भी शामिल किया। शुक्रिया !
बहुत ही सुन्दर! आभार मनीष जी।
गीत पसंद आया आपको जानकर खुशी हुई !
एक सफल और मधुर गीत अपने रचे जाने के लिए क्रिएटिव फ्रीडम मांगता है।
मिथुन ने बेहद मेलोडियस धुन रची है और इरफ़ान ने अपनी आवाज़ से उसे एक ऊंचाइयां दी है, इस गीत की ख़ास बात इसके बैकग्राउंड में झलकती उदासी भी है। संगीत में उभरी उदासी उस बंजारेपन को और अच्छे से अभिव्यक्त करते चलती है।
मूवी देखने के साथ यह गीत देखना और भी भावुक करता है. गीत और धुन दोनों का बढ़िया समन्वय लगा यह गीत
अंकित व कंचन गीत के बारे में अपने विचार देने के लिए हार्दिक आभार ! मैंने फिल्म देखी नहीं पर गलियाँ के बाद इस फिल्म में मुझे भी ये गीत ज्यादा जँचा।
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