वार्षिक संगीतमाला का पहला चरण पूरा कर आज आ पहुँचे हैं हम प्रथम बीस गीतो के दरवाज़े पर, जहाँ से झाँक रहा है फिल्म सिटीलाइट्स का ये नग्मा। पर इससे पहले मैं इस गाने की बात करूँ, ये बताना जरूरी है कि Citylights एक ऐसे विस्थापित की कहानी है जो राजस्थान के एक गाँव में सब कुछ खो कर मुंबई की महानगरी में अपने परिवार के साथ जीवन की नैया को बीच भँवर से किनारे तक ला पाने में संघर्षरत है। ये गीत महानगरीय ज़िदगी की तीखी सच्चाइयों से रूबरू हुए नायक की आंतरिक पीड़ा को व्यक्त करता है।
इस गीत में एक तड़प है, एक बेचैनी है। बेबस आँखों से अपने सपनों को हाथों से फिसलते देखने का दर्द है। महानगर की भीड़ में अपने अकेले होने का अहसास है। नवोदित गीतकार रश्मि सिंह जिन्हें शायद पहली बार इतने बड़े कैनवास पर ये जिम्मेदारी सौंपी गई है ने फिल्म की परिस्थितियों से पूरा न्याय करते वो शब्द गढ़े हैं जो दिल में एक चुभन, एक टीस सी पैदा करते हैं। जब मैंने इस गीत का मुखड़ा सोने दो, ख्वाब बोने दो पहली बार सुना तो मुझे गुलज़ार की वो चार पंक्तियाँ याद आ गयीं जो उन्होंने फिल्म गुरु के लिए इस्तेमाल की थीं..
जागे हैं देर तक हमें कुछ देर सोने दो
थोड़ी सी रात और है सुबह तो होने दो
आधे-अधूरे ख़्वाब जो पूरे न हो सके
इक बार फिर से नींद में वो ख़्वाब बोने दो
रश्मि गुलज़ार के इसी ख्याल को पकड़कर आगे कहती हैं.. जागेंगे, फिर थामेंगे, कोई वजह जीने की। पर गीत की की मेरी सबसे प्रिय पंक्ति वो है जिसमें रश्मि मन के बारे में कहती हैं ....चाँद को मुट्ठी में भरने को, करता रोज़ जतन..प्यासे से, इस पंछी को, कोई नदी मिलने दो ना....। अपने दिल पर हाथ रखकर बताइए क्या आपने अपने जीवन में चंदा रूपी उन सपनीली ख्वाहिशों का पीछा नहीं किया जो शायद आपकी कभी होने वाली ही नहीं थी। सच तो ये है कि हम सब के अंदर वो पखेरू है जो मुक्त आकाश में अपने पंखों को फड़फड़ाते हुए सपनों की उस बहती नदी का स्पर्श पाना चाहता है, उसमें डूबना चाहता है।
जैसा कि सुनो ना संगमरमर के बारे में बात करते हुए आपको बताया था भट्ट परिवार से जुड़ी फिल्मों में संगीतकार जीत गाँगुली आजकल एक अनिवार्य हिस्सा बने हुए हैं। अब जहाँ जीत रहेंगे वहाँ अरिजित कहाँ दूर रह सकते हैं :)। अरिजित की गायिकी जीत को कितनी पसंद है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस फिल्म के तीनों एकल गीत अरिजित ने ही गाए हैं। जीत गाँगुली ने इस गीत के लिए जो संगीत संयोजन किया है उसमें पश्चिमी और शास्त्रीय संगीत के तत्त्व हैं। गीत के मुखड़े के पहले और बाद में बजती गीत की Signature tune गीत के उदासी भरे मूड को परिभाषित करती है। दूसरे अंतरे के बाद गीत के अंत में शास्त्रीय सरगम के साथ इसी धुन के खूबसूरत संगम से गीत का समापन होता है। तो आइए अरिजित की आवाज़ में सुनते हैं ये संवेदनशील नग्मा..
सोने दो, ख्वाब बोने दो
जागेंगे, फिर थामेंगे, कोई वजह जीने की
सोने दो...
परछाई के पीछे पीछे भाग रहा है मन
चाँद को मुट्ठी में भरने को, करता रोज़ जतन
प्यासे से, इस पंछी को, कोई नदी मिलने दो ना
सोने दो...
इतने सारे चेहरे हैं और तन्हा सब के सब
तेरे शहर का, काम है चलना यूँ बेमतलब
चेहरों के, इस मेले में, अपना कोई मिलने दो ना
सोने दो...
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
3 टिप्पणियाँ:
इस फ़िल्म का ये गीत पहली दफा सुना, इसका दूसरा गीत सुना है। जीत का संगीत संयोजन भी अच्छा लगा और इससे अच्छा अरिजित को एक अलग मूड के गीत में सुनने का मौका मिला।
ये बहुत अच्छा लगा ..२ -३ बार सुना अभी
पसंदगी का शुक्रिया अर्चना जी व अंकित !
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