हिंदी सिनेमा में व्यंग्यात्मक गीतों का प्रचलन कम ही रहा है। पर पिछले कुछ सालों में कुछ गीतकार संगीतकार जोड़ियों ने लीक से हटकर कुछ ऐसे गीत भी दिए हैं जिनके तीखे कटाक्ष आज भी मन को गुदगुदाते जरूर हैं। ऐसे गीतों की सूची मे में सबसे पहला फिल्म गुलाल का वो गीत याद पड़ता है जिसमें पीयूष मिश्रा ने अंकल सैम की खिंचाई कुछ इन शब्दों में की थी..जैसे दूर देस के, टावर में घुस
जाए रे एरोप्लेन, जैसे सरे आम इराक में जाके जम गए अंकल सैम। अशोक मिश्रा का लिखा वो गीत याद है आपको जिसमें उन्होंने आज के प्रजातंत्र के खोखलेपन को उभारा था। वो गीत था फिल्म वेलकम टू सज्जनपुर का जिसमें उन्होंने लिखा था.... अरे जिसकी लाठी उसकी भैंस आपने बना दिया...हे नोट की खन खन सुना के वोट को गूँगा किया...पार्टी फंड, यज्ञ कुंड घोटाला मंत्र है..अब तो प्रजातंत्र है, अब तो प्रजातंत्र है। अब इसी श्रेणी में एक और गीत शामिल हो गया है जो जनता की वोट ना देने या फिर वोट बेचने की प्रवृति पर तीखी चोट करता है। ये गीत है लोकसभा चुनावों के ठीक पहले प्रदर्शित हुई फिल्म 'ये है बकरपुर' का।
वार्षिक संगीतमाला की 24वीं पॉयदान पर विराजमान इस समूह गीत को अपनी आवाज़ से सँवारा है Indian Ocean के राहुल राम और अग्नि के आर मोहन व अमित ने। साथ में MTV Roadies में अपने खड़ूस व्यक्तित्व से प्रसिद्धि पाने वाले रघु राम भी हैं। इस गीत को लिखा है अब्बास टॉयरवाला ने। ये वही टॉयरवाला हैं जिनकी फिल्म जाने तू या जाने ना ने जहाँ सफलता की सीढियाँ चढ़ी थीं वहीं झूठा ही सही बॉक्स आफिस पर ढेर हो गई थी। एक पटकथालेखक के रूप में स्थापित टॉयरवाला बतौर गीतकार भी कई बार हाथ आज़मा चुके हैं। अगर अग्नि और इंडियन ओशन की मानें तो इस गीत के असली स्टार वही हैं।
गीत में अब्बास टॉयरवाला ने पैर और कुल्हाड़ी को दो मुख्य प्रतीकों के रूप में इस्तेमाल किया है। पैर उस जनता का प्रतीक है जो अपने मताधिकार का प्रयोग सही तरह से ना करने की वज़ह से कुल्हाड़ी रूपी घटिया जनप्रतिनिधि को चुन लेती है। कई बार ये जानते हुए भी कि वो जो कर रही है सही नहीं है। बाद में यही जनता जब अपने भाग्य को कोसती है तो एक कोफ्त सी होती है। जनता की इसी प्रवृति पर टायरवाला ने अपनी कमान कसी है। गीत में जनता और उनके द्वारा चुने हुए गलत नेताओं के बीच के रिश्ते को अब्बास टॉयरवाला मुर्गी और KFC, गेहूँ और चक्की व बकरी और कसाई जैसे मज़ेदार व्यंग्यात्मक रूपकों में देखते हैं।
अब्बास टॉयरवाला ने बड़ी खूबसूरती से बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद और भैंस के आगे बीन बजाना जैसे मुहावरे को मरोड़ कर बोल रचे हैं जिसे सुन कर मन मुस्कुराए बिना नहीं रह पाता। सारे गायकों ने गीत के मूड के अनुसार आनंद लेते हुए गाया है। गिटार की धुन के बीच गीत जैसे जैसे आगे बढ़ता है श्रोता अपने आप को गीत की लय के साथ झूमने से रोक नहीं पाते। कुल मिलाकर ये एक ऐसा गीत है जो बड़े प्यारे व्यंग्य बाणों को सुरीली चाशनी में घोलकर अपना संदेश श्रोताओं तक पहुँचाता है। तो आइए एक नज़र डालते हैं गीत के बोलों पर...
घटना ये घनघोर घटी है, कोई बूझ ना पाए रे
घाट घाट का पानी पीकर, कहते गंगा नहाए रे
गटक के सौ सौ चली है हज को
फिर भी चूहों को बिल्ली से प्यार रे
अरे बंदर खोजे अदरक में, स्वाद डेमोक्रेसी का,
अरे वो बोले और हम सुन लें, कि Nobody killed Jessica
भैंस बोले मेरे आगे बीन बजा दो मैं नाचूँ
बेचूँ अपने वोट फिर भी, अपनी किस्मत को डाटूँ
भाई देखो तो कितने टशन से
कहे गीदड़ मैं शहर चला
पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी, पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी
पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी,पैर अनाड़ी search कुल्हाड़ी
आज की ताज़ा ख़बर पैर ढूँढ रहा है कुल्हाड़ी
पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी, Common कुल्हाड़ी! where are you?
हमारी माँगे पूरी करो
पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी, पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी
पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी,पैर अनाड़ी search कुल्हाड़ी
गेहूँ सोचे अब तो यारी, हो गई है चक्की से
गेहूँ की friendship चक्की से हो गई
मुर्गी भी सोचे वो ज़िंदा लौटेगी Kentucky से
हा हा.. मुर्गी भी सोचे.....
आओ चुन लो अपने कसाई
ईद मुबारक तुम्हें बकरी आई
पैर अनाड़ी...
Hi my self Mister Pair You Mr Kulhadi.
और फिर देखिए इस गीत की ये live performance...
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
4 टिप्पणियाँ:
bilkul alag songs ka alag sa observation.... :) bahut pyara.
हाँ एक अलग ही अंदाज़ ही इस गीत का लोरी। सुन कर आनंद आ जाता है।
उप्पर जिन व्यंगात्मक गीतों को आपने ज़िक्र किया है वो कमाल हैं, उसी कड़ी में पीपली लाइव का 'महंगाई डायन' एवं अन्य और शंघाई का 'भारत माता की जय' को भी जोड़ा जा सकता है।
ये है बकरपुर का "पैर अनाड़ी, ढूँढे कुल्हाड़ी" का उतना प्रभावित नहीं कर पाया। अंतरों में संगीत का शोर शब्दों को ढक दे रहा है। इस गीत की सिर्फ एक लाइन कमाल लगी 'अरे बन्दर खोजे अदरक में स्वाद डेमोक्रेसी का'
Thank you Manish.. And yes, Abbas is the star of this song!
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