फरवरी की शुरुआत हो गई और लीजिए वक़्त आ गया इस वार्षिक संगीतमाला की आरंभिक दस पायदानों का। दसवीं पायदान पर संगीतकार वो जिनसे आपका परिचय मैं सोनू निगम के गाए गीत दिलदारा में पहले भी करवा चुका हूँ। यानि अर्को प्रावो मुखर्जी जिनकी संगीत के प्रति अभिरुचि उन्हें डॉक्टरी करने के बाद भी मुंबई की मायानगरी में खींच लाई। क्या धुन बनाई हे अर्को ने इस गीत की ! ताल वाद्यों और गिटार का अनूठा संगम जो बाँसुरी की शह पाकर और मधुर हो उठता है। जब इस सुरीली धुन को शफक़त अमानत अली खाँ की आवाज़ का साथ मिलता है तो होठ खुद ही उनकी संगत के लिए मचल उठते हैं और मन झूम उठता है। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ पिछले साल जनवरी में प्रदर्शित फिल्म यारियाँ के गीत अल्लाह वारियाँ की।
अर्को को ये गीत कैसे मिला उसकी भी अपनी कहानी है। जिस्म 2 के सफल संगीत की
बदौलत अर्को को निर्माता भूषण कुमार से मिलने का मौका मिला। उन्होंने उनसे
कुछ गीतों को बजाने को कहा। अर्को ने अपने प्रिय वाद्य गिटार पर अल्लाह
वारियाँ की धुन सुनाई और वो चुन ली गई। प्रीतम और मिथुन जैसे स्थापित
संगीतकारों के साथ अपनी धुन का चुन लिया जाना अर्को के लिए गौरव की बात थी।
गायक के नाम पर काफी चर्चा हुई। अंततः शफक़त अमानत अली को चुना गया। अर्को
कहते हैं कि कॉलेज के दिनों से ही वो शफक़त की आवाज़ के शैदाई थे।
जीवन में
कुछ रिश्ते हमें अपना परिवार देता है और कुछ हम ख़ुद बनाते हैं। पारिवारिक
रिश्ते तो ज़िदगी भर की वारण्टी के साथ आते हैं पा यारी दोस्ती में ये
सुविधा नहीं होती। दरअसल यही असुविधा ही इसकी सबसे बड़ी सुविधा है। क्यूँकि
ये थोपा हुआ रिश्ता नही् बल्कि धीरे धीरे भावनाओं द्वारा सींचा गया वो
रिश्ता है जो एक पादप के समान पोषित पल्लवित होकर कभी फूलों सी महक देता है
तो कभी फल जैसी मिठास। पर जैसे एक पौधा बिना रख रखाव के मुरझा उठता है
वैसा ही मित्रता के साथ भी तो हो सकता है। अर्को अपने लिखे इस गीत में ऐसे
ही बिछड़े यारों को मिलाने की बात करते हैं उनके साथ बिताए खूबसूरत लमहों को
याद करते हुए। शफक़त ने अर्को के सहज शब्दों में अपनी आवाज़ और गायिकी के
लहजे से ऐसा प्राण फूँका है कि मन दोस्त के पास ना होने की पीड़ा को मन के
अन्तःस्थल तक महसूस कर पाता है।
तो आइए सुनें यारियाँ फिल्म का ये नग्मा
अर्को को गीत लिखने का तजुर्बा है पर मुझे लगता है कि जिस पृष्ठभूमि से वो आए हैं, ये देखते हुए उन्हें अपना ध्यान पूरी तरह संगीत रचना में ही लगाना चाहिए। अब इसी गीत को देखिए दूसरे अंतरे में वो दास्तान शब्द के दोहराव से नहीं बच पाए हैं। दोस्तों के साथ बाँटी हुई स्मृतियों को सँजोने के लिए उन्होंने होली के रंगों और पतंगों का तो सही इस्तेमाल किया है पर उड़ती पतंगों में की जगह गायक से उड़ते पतंगों कहलवा गए हैं। इतने बेहतरीन संगीत संयोजन के बाद ये बातें मन में खटकती हैं। आशा है अर्को भविष्य में इन बातों का ध्यान रख पाएँगे।
अपने रूठे, पराये रूठे, यार रूठे ना
ख्वाब टूटे, वादे टूटे, दिल ये टूटे ना
रूठे तो ख़ुदा भी रूठे...साथ छूटे ना
ओ अल्लाह वारियाँ, ओ मैं तो हारियाँ
ओ टूटी यारियाँ मिला दे ओये !
उड़ते पतंगों में, होली वाले रंगों में
झूमेंगे फिर से दोनों यार
वापस तो आजा यार
सीने से लगा जा यार
दिल तो हुए हैं ज़ार -ज़ार
अपने रूठें... मिला दे ओये !
रह भी न पाएं यार, सह भी न पाएं यार
बहती ही जाए दास्तान
उम्र भर का इंतज़ार, इक पल भी न क़रार
ऊँगली पे नचाये दास्तान
अपने रूठें... मिला दे ओये !
वार्षिक संगीतमाला 2014
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
3 टिप्पणियाँ:
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बीट्स अच्छी हैं गीत की. बाकी बोल तो चमत्कृत करने को डाले लग रहे हैं मुझे...
कंचन : गीत की धुन और गायिकी गीत की भावनाओं के साथ मुझे तो झूमने को विवश कर देती है। बाकी अर्को बतौर गीतकार मुझे उतने पुख्ता नहीं लगते।
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