खुले आसमान में उड़ने की चाहत भला किसे ना होगी। भगवान ने कुछ सोच समझ कर ही ये बरक़त इंसानों को ना दे के पंछियों को दी है पर बदले में हमें ऐसा मन भी दे दिया जो पंक्षियों से भी लंबी उड़ाने भरने में सक्षम है। वार्षिक संगीतमाला का अगला गीत ऐसी ही स्वछंदता की बात कर मन में पवित्रता और उन्माद दोनों का भाव एक साथ जगाता है। इस गीत को लिखा इरशाद क़ामिल ने और इसकी धुन बनाई संगीतकार ए आर रहमान ने। फिल्म हाइवे के इस गीत को गाया है जालंधर की पॉवरहाउस बहनों ज्योति नूरा और सुल्ताना नूरा ने। इन बहनों की आवाज़ इतनी दमदार है कि रहमान साहब को भी रिकार्डिंग के बाद उनके पिता से पूछना पड़ा कि आख़िर आप इन्हें खिलाते क्या हो ?
ज्योति नूरा और सुल्ताना नूरा एक ऐसे परिवार से जुड़ी हैं जो पिछली कई पीढ़ियों से संगीत सेवा में जुटे हैं। उनकी दादी बीबी नूरा अपने ज़माने की जानी मानी गायिका थीं। पर उनके गुजरने के बाद नूरा परिवार के हालात आर्थिक तौर पर बिगड़ने लगे। पिता गुलशन मीर ने गुजारा चलाने के लिए संगीत सिखाने का काम शुरु कर दिया। एक बारपिता ने ज्योति और नूरा को खेलते हुए बुल्ले शाह की एक रचना गाते सुनी। उन्होंने उन्हें बुलाया और हारमोनियम और तबले की संगत में गवाया। सुर ताल के उनके लाजवाब समन्वय को देख उन्हें आभास हुआ कि सिखाते हुए घर पर पड़ा हुनर ही उनसे अनदेखा रह गया है। तब उनकी बेटियाँ ज्योति पाँच और सुल्ताना सात साल की थीं।
इसके बाद पिता ने गुरू की भूमिका सँभाल ली और सूफ़ी संगीत में उन्हें इतना प्रवीण कर दिया कि वो शहर और देश की सीमाओं को पार करते हुए हजार मीलों दूर कनाडा तक सुनी जानें लगी। रहमान के साथ काम करने के पहले नूरा बहनें स्नेहा खानवलकर के शो Sound Trippin और फिर कोक स्टूडियो के भारतीय संस्करण में अपनी गायिकी का ज़ौहर दिखला चुकी हैं। वे पटाखा गुड्डी को मस्ती, मिठास और शैतानी से जोड़ती हैं। इस गीत की रिकार्डिंग के लिए रहमान के साथ बिताए छः घंटे उनके लिए जीवन के अनमोल क्षण रहे हैं। रिकार्डिंग के वक़्त रहमान के चेहरे की खुशी को देखते ही उन्होंने समझ लिया था कि इस गीत को उन्होंने अच्छी तरह निभाया है।
जिन्होंने हाइवे (Highway) फिल्म नहीं देखी हो उन्हें बता दूँ कि अलिया का किरदार एक ऐसी उच्च मध्यम वर्ग की लड़की का है जो तथाकथित रूप से आजाद होते हुए भी मन से स्वतंत्र नहीं है। इस आजादी, इस स्वछंदता का अनुभव वो तब कर पाती है जब उसका अपहरण होने की वज़ह से उसे देश के एक कोने से दूसरे कोने तक अपने अपहरणकर्ताओं के साथ घूमना पड़ता है। इरशाद क़ामिल ने इसी किरदार को एक 'पटाखा गुड्डी' की शक्ल दी। यानि एक ऐसी पतंग सा व्यक्तित्व रचा जिसमें अरमानों का बारूद है। इरशाद इस गीत के बारे में कहते हैं..
"मेरी भावनाएँ मेरी जुबान, सूफी विचारधारा और मेरी अपनी सोच का मिश्रण है़। उर्दू मेरे ख़ून में है, पंजाबी मेरी मातृ भाषा है और हिंदी से मैंने पीएचडी की है। जब मैं लिखता हूँ तीनों भाषाएँ घुल मिल जाती हैं। पटाखा गुड्डी एक स्वछंद आत्मा का गीत है। एक ऐसी लड़की जो सामाजिक अंकुशों से निकल कर खुली हवा में साँस लेती अपनी स्वतंत्रता का आनंद ले रही है। जब उसकी सारी गाठें खुल जाती हैं तो एक लड़की उड़ना शुरु कर देती है। उसकी आँखों की चमक, उसके ख़्वाब उन्हें पाने की महत्त्वाकांक्षा उसे विशिष्ट बनाते हैं पर समाज उसे ऐसा करने नहीं देता। हमारा जीवन और बेहतर हो सकता है अगर हम समाज की इन पटाखा गुड्डियों को जीने का सही मौका दें."
हाँ… मीठे पान दी गिल्लौरी, लट्ठा सूट दा लाहोरी , फट्टे मार दी बिल्लोरी
जुगनी मेल मेल के , कूद फाँद के चक चकौटे जावे
मौला तेरा माली यों हरियाली जंगल वाली
तू दे हर गाली पे ताली उसकी क़दम क़दम रखवाली
ऐंवे लोक लाज की सोच सोच के क्यूँ है आफत डाली
तू ले नाम रब का, नाम साईं का अली अली अली अली ...
शर्फ़ ख़ुदा का, जर्फ़ ख़ुदा का अली अली अली अली
अली हो… अली हो… चली ओ… रे चली चली, चली ओ…
अली अली तेरी गली वोह तो चली अली अली तेरी गली चली ओ...
ओ जुगनी ओ… पटाखा गुड्डी ओ नशे में उड़ जाए रे हाय रे
सज्जे खब्बे धब्बे किल्ली ओ पटाखा गुड्डी ओ नशे में उड़ जाए रे हाय रे , सज्जे खब्बे धब्बे किल्ली ओ
मौला तेरा माली ... अली अली
पान की मीठी गिल्लौरियों का स्वाद लेते हुए लाहौरी सूट में बिल्ली सी आँखों सी चमक लिए हमारी जुगनी सबसे मिलती जुलती, इधर उधर उछलती कूदती मजे कर रही है। जुगनी जंगल की वो हरियाली है जिसका माली ऊपरवाला है। समाज के इन ऊँच नीच, लोक लाज के बंधनों से मुक्त तुझे तो हर ताने, हर गाली.. एक ताली के साथ उड़ा देनी है। बस तू उस परमप्रिय परवरदिगार का नाम ले जो हर मुसीबत से तुम्हारी रक्षा करेगा। देख हमारी जुगनी, हमारी ये पटाखा गुड्डी कैसे भावनाओं के उन्माद में उड़ी जा रही है हर तरफ.,हर दिशा में..
मैंने तो तेरे तेरे उत्ते छड्डियाँ डोरियाँ, मैंने तो तेरे तेरे उत्ते छड्डियाँ डोरियाँ
तू तो पाक रब का बाँका बच्चा राज दुलारा तू ही
पाक रब का बाँका बच्चा उसका प्यारा तू ही
मालिक ने जो चिंता दी तो दूर करेगा वो ही
नाम अली का ले के तू तो नाच ले गली गली
ले नाम अली अली… नाच ले गली गली अली … अली ओ.
तू ले नाम रब का, नाम साईं का अली अली अली अली
नाम रब का, नाम साईं का अली अली अली अली ओ...
जुगनी रुख पीपल दा होई जिस नूँ पूजता हर कोई
जिसदी फ़सल किसे ना बोयी घर वी रख सके ना कोई
रास्ता नाप रही मरजाणी, पट्ठी बारिश दा है पाणी
जब नज़दीक जहां दे आणी जुगनी मैली सी हो जाणी
तू ले नाम रब दा अली अली झल खलेरण चली
नाम रब दा अली अली हर दरवाज़ा अली साईं रे…साईं रे…
मैंने तो तेरे तेरे उत्ते छड्डियाँ डोरियां ओ…
मैंने इसीलिए तुम्हारे सारे बंधन ढीले छोड़ रखे हैं क्यूँकि तू तो उस पवित्र भगवन की निर्भय संतान है। जब भी तू तनाव में होगी वो ख़ुद तुम्हारी चिंता दूर करने आएगा। तू तो बस उसकी याद में गली गली नृत्य किये जा। जुगनी तू उस पीपल की छवि की तरह है जिसे पूजते तो सब हैं पर उसे ना कोई बोता है ना ही अपने पास रख सकता है। यानि कामिल कहते हैं कि बिना किसी नियंत्रण के जुगनी का असली प्यारा रूप देखा जा सकता है। हर दरवाज़े पर अली का नाम लेती जुगनी उन्माद में बहती जा रही है। ना जाने कितने रास्तों से भटकी है वो।। वो बारिश की उन बूँदों की तरह है जो आसमान की गहराइयों में तो पाक होती हैं पर इस ज़हान के करीब आने से मलिन हो
जाती है।
द्रुत गति से संगीतबद्ध इस गीत में नूरा बहनों के करारी आवाज़ को ताल वाद्यों और इंटरल्यूड्स में बाँसुरी का मधुर साथ मिला है। तो आइए इस पटाखा गुड्डी के साथ उड़ते हैं आज थोड़ा आसमान में..
जाती है।
द्रुत गति से संगीतबद्ध इस गीत में नूरा बहनों के करारी आवाज़ को ताल वाद्यों और इंटरल्यूड्स में बाँसुरी का मधुर साथ मिला है। तो आइए इस पटाखा गुड्डी के साथ उड़ते हैं आज थोड़ा आसमान में..
वार्षिक संगीतमाला 2014
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
2 टिप्पणियाँ:
Very nice..
Shukriya Sarita jee
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