वार्षिक संगीतमाला की आठवीं पायदान पर गीत है फिल्म क्वीन (Queen) का जो एक लोकगीत की तरह मिट्टी की सोंधी खुशबू अपने आप में समेटे हुए है। पिछले साल में मैंने जितनी फिल्में देखी उसमें Queen मुझे सबसे बेहतरीन लगी। पर फिल्म की कहानी ने मन को ऐसा बाँधा कि इसके गीत ज़ेहन का हिस्सा ना बन सके। बाद में जब मेरा ध्यान इस बात पर गया कि अमित त्रिवेदी इस फिल्म के संगीतकार हैं तो संगीतमाला में गीतों के चयन करते समय पूरे एलबम को मैंने ध्यान से सुना। मज़े कि बात ये रही कि फिल्म का जो गीत मुझे पसंद आया वो अमित त्रिवेदी का संगीतबद्ध नहीं था हालांकि गलती से बहुत लोग इसका श्रेय उन्हें दे जाते हैं।
हीर राँझा इतिहास के ऐसे किरदार हैं जिन्होंने ना जाने कितने प्रेम गीतों को जन्म दिया। गीतकार रघु नाथ ने प्रेम के इसी युगल प्रतीक से प्रेरणा लेकर दिल को छूता ये गीत लिखा है। इस गीत को संगीतबद्ध किया और अपनी आवाज़ दी है रूपेश कुमार राम ने।
कलकत्ता से ताल्लुक रखने वाले रूपेश संगीत की शिक्षा ले कर मुंबई तो दस साल पहले ही आ गए थे। इन दस सालों में उन्होंने विज्ञापनों के संगीत पर कार्य किया, कुछ दिन प्रीतम के साथ भी जुड़े रहे, साथ ही निर्माता निर्देशकों से काम पाने के लिए मिलते भी रहे। इसी दौरान एक पंजाबी एलबम पर काम करने का मौका मिला। वो एलबम तो बाजार तक नहीं पहुँच पाया पर अनुराग कश्यप की सिफ़ारिश पर जब क्वीन के निर्देशक विकास बहल ने रूपेश से मुलाकात की तो उन्होंने इसी एलबम के गीत राँझा को उन्हें सुना दिया। रूपेश फिल्म में इसे श्रेया से गँवाना चाहते थे पर विकास को रूपेश की कच्ची आवाज़ फिल्म के लिए ज्यादा उपयुक्त लगी। लिहाजा गीत उन्हीं की आवाज़ में रिकार्ड हुआ।
नाममात्र के संगीत से सजे इस गीत की जान है इसके बोल और अदाएगी। इसे गाते हुए आप निश्चल प्रेम के पवित्र अहसास से अपने हृदय को भरा पाते हैं। मेरे मन में इस पंजाबी गीत को सुनते हुए जो भावनाएँ उभरीं उसे शब्दों का जामा पहनाने की छोटी सी कोशिश की है। शायद आपको उससे इस गीत के आनंद में डूबने में सहूलियत हो।
किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा
राँझा मेरे राँझा, राँझा मेरे राँझा
मज्झा चारदा बिचारा, ओ राँझा मेरा राँझा...
किसी के लिए दिल में प्रेम का बीज अंकुरित हो जाए, फिर देखिए कैसे उसके साधारण से साधारण कृत्य विशिष्ट लगने लगते हैं। और लगे भी क्यूँ ना आख़िर कोई खास 'अपना' सा जो लगने लगता है। सो अपनी भैंसो को चराते राँझे को देखना भी हीर के लिए एक खूबसूरत मंज़र सा हो गया है।
मैं हीर हाँ तेरी, मैं पीड़ हाँ तेरी
जे तू बद्दल काला, मैं नीर हाँ तेरी
कर जाणिए राँझे, हो डर जाणिए राँझे
ऊपरों तेरियां सोचाँ, मर जाणिए राँझे
मेरा रांझा मैं राँझे दी, राँझा है चितचोर
जे करके वो मिल जाए ताँ, की चाहिदा है होर
हो मेरा मेरा राँझा. ओ राँझा मेरा राँझा...
मैं ही तो हूँ तेरी हीर ! तुम्हारे दिल की वो खट्टी मीठी कसक मैं ही तो हूँ। राँझा अगर तू काला मेघ है तो मैं तेरे हृदय में छुपी बरसाती बूँदे हूँ । जानते हो राँझे कभी कभी तुम्हारी यादें मुझे परेशान करती हैं। विरह के पल डराते हैं मुझे। फिर भी मैं तुम्हारे बारे में सोचना नहीं छोड़ पाती। ओह राँझे कभी कभी तो लगता है कि तेरी यादें मुझे मार ही डालेंगी। तू कैसा चितचोर है रे। बस इसी बात का सुख तो है मुझे कि मन से मैं तेरी हूँ और तू मेरा। हमारी ये
चाहत अगर हमें एक दूसरे से हमेशा हमेशा के लिए मिला दे तो ज़िंदगी से मुझे
और कुछ भी नहीं चाहिए..
तेरी आन हाँ राँझे, तेरी शान हाँ राँझे
दिल विच मय्यों धड़का, तेरी जान हाँ राँझे
किक्कराँ सुक्खण लागियाँ, उमरां मुक्कण लगियाँ
हो मैनू मिल गया राँझा, नबजाँ रूक्कण लगियाँ
मेरा राँझा मैं राँझे दी, राँझा है चितचोर
हुण तां मैंनू मिल गया राँझा, की चाहिदा है होर
ओ मेरा मेरा राँझा, राँझा मेरा राँझा...
राँझा तुझे पता भी है कि तू ही मेरी आन और शान है। मेरे दिल की हर इक धड़कन में तू समा सा गया है। समय बीतता जा रहा है। देखो तो किक्कर के ये पेड़ भी तो सूखने लगे हैं..जिंदगी की बची घड़ियाँ भी कम होती जा रही हैं। पर राँझे क्या ये अज़ीब नहीं है कि जब तू मेरे साथ होता है तो मुझे अपनी नब्ज़ डूबती सी महसूस होती है, और ये वक़्त थम सा जाता है।
रूपेश चूँकि ख़ुद पंजाबी नहीं हैं इसलिए कहीं कहीं उनका उच्चारण उतना सही नहीं है। वैसे भी वो ख़ुद को सिर्फ एक संगीतकार के रूप में ही देखते हैं। वैसे आपको बता दूँ कि इंटरनेट पर इस गीत का कवर वर्सन जिसे भाव्या पंडित ने गाया है, बेहद लोकप्रिय हुआ है। अगर आपको अपने राँझे से प्यार है तो इस वर्सन को सुनना ना भूलियेगा..
वार्षिक संगीतमाला 2014
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
3 टिप्पणियाँ:
Wah re Wah!
I got goosebumps after listening to it. This is so crude, so pure. Loved it.
हाँ नम्रता गीत का यही सोंधापन और भावों की पवित्रता मन को गीत के प्रति आकर्षित करती है।
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