एक शाम मेरे नाम पर अक्सर कोई गीत, कोई ग़ज़ल या रिकार्डिंग आपको सुनवाता रहा हूँ। पर आज इन सबसे अलग एक ऐसी धुन सुनवाने जा रहा हूँ जो मूलतः तो एक तमिल गीत के लिए बनाई गई थी पर पिछले एक हफ्ते से मेरे दिलो दिमाग पर कब्ज़ा जमाए बैठी है। किसी धुन के अंदर बहते संगीत पर किसी सरहद की मिल्कियत नहीं होती। सरहदें तो हम भाषा के आधार पर बना लेते हैं पर किसी वाद्य यंत्र पर बजती रागिनी तो संसार के किसी कोने में बैठे संगीतप्रेमी के ह्रदय का स्पर्श कर सकती है। जब हम कोई धुन सुनते हैं तो उससे मन में एक मूड, एक कैफ़ियत सी बनने लगती है। उस मूड से जो भावनाएँ मन में उभरती हैं वो बिल्कुल अपनी होती हैं। वही धुन जब शब्दों का जामा पहन कर गीत का रूप धारण कर लेती हैं तो हम उन चरित्रों की परिस्थितियों को अपने अनुभवों के परिपेक्ष्य में तौलते हैं। पर गीत हमें अपनी कहानियाँ में डूबने की ये आज़ादी हमेशा नहीं देते जो धुनें हमें सहज ही प्रदान कर देती हैं।
Karthik Iyer कार्तिक अय्यर |
ये धुन आधारित है 1995 में आई तमिल फिल्म इंदिरा से और इसे संगीतबद्ध किया था भारत के मोजार्ट कहे जाने वाले संगीतकार ए आर रहमान ने। उन की इस धुन को परिमार्जित किया युवा वॉयलिन वादक कार्तिक अय्यर ने। अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर मैं ये कहूँ कि कार्तिक अय्यर ने मूल धुन के साथ जो अंश जोड़े हैं वो उसमें चार चाँद लगाते हैं।
चेन्नई से ताल्लुक रखने वाले कार्तिक ने नौ साल की उम्र से ही वॉयलिन बजाना शुरु कर दिया था। तेरह साल की छोटी उम्र में उन्होंने अपना पहला कान्सर्ट किया। पर तब तक वो इसे मात्र अपना शौक़ मानते थे। पर अपने इस शौक़ को अपनी रोज़ी रोटी का ज़रिया बनाने का निर्णय उन्होंने तब लिया जब वे इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष में थे। उन्हें उस वक़्त इंजीनियरिंग छोड़ संगीत के अनिश्चित कैरियर को अंगीकार करने की अनुमति देना उनके पिता के लिए बेहद कठिन निर्णय था। तीस वर्षीय कार्तिक अब तक दस देशों में दस हजार से भी अधिक कन्सर्ट कर चुके हैं और रहमान, रघु दीक्षित और शंकर महादेवन जैसे नामी संगीतकारों के साथ काम भी। शास्त्रीय संगीत के साथ देश विदेश की नई शैलियों को मिश्रित करने में उन्हें कभी गुरेज़ नहीं रहा। उनका ये नज़रिया भारतीय संगीत के प्रति उनकी इस सोच में सामने आता है
चेन्नई से ताल्लुक रखने वाले कार्तिक ने नौ साल की उम्र से ही वॉयलिन बजाना शुरु कर दिया था। तेरह साल की छोटी उम्र में उन्होंने अपना पहला कान्सर्ट किया। पर तब तक वो इसे मात्र अपना शौक़ मानते थे। पर अपने इस शौक़ को अपनी रोज़ी रोटी का ज़रिया बनाने का निर्णय उन्होंने तब लिया जब वे इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष में थे। उन्हें उस वक़्त इंजीनियरिंग छोड़ संगीत के अनिश्चित कैरियर को अंगीकार करने की अनुमति देना उनके पिता के लिए बेहद कठिन निर्णय था। तीस वर्षीय कार्तिक अब तक दस देशों में दस हजार से भी अधिक कन्सर्ट कर चुके हैं और रहमान, रघु दीक्षित और शंकर महादेवन जैसे नामी संगीतकारों के साथ काम भी। शास्त्रीय संगीत के साथ देश विदेश की नई शैलियों को मिश्रित करने में उन्हें कभी गुरेज़ नहीं रहा। उनका ये नज़रिया भारतीय संगीत के प्रति उनकी इस सोच में सामने आता है
"भारतीय सभ्यता ने समय के थपेड़ों को सहा है और इस प्रक्रिया में अपने में कितनी ही नई संस्कृतियों का स्वागत और समावेश किया है और ऐसा करते हुए वो हर बार एक नए स्वरूप में बिना अपनी गहराई खोए हुए उभरी है। ठीक उसी तरह मेरे बैंड ने संगीत को किसी एक विधा के दायरे में ना रखकर उसमें दूसरे तरह के संगीत प्रभावों को इस तरह अपनाया है कि उसकी भारतीयता अक्षुण्ण रहे।"
इलेक्ट्रिक वॉयलिन पर बजती इस धुन की शुरुआत के पहले एक मिनट चालीस सेकेंड का मधुर टुकड़ा कार्तिक और रामप्रसाद सुंदर की बेहतरीन भागीदारी का नतीज़ा हैं। ये शुरुआत के सौ सेकेंड एक ऐसी स्वरलहरी की रचना करते हैं जिसे सुन मन में एक नीरवता सी छाने लगती है। फिर आती है गीत की मूल धुन जो जैसे जैसे आगे बढ़ती है आप अपने को गुमसुम होता पाते हैं और धुन का 2.15 से 2.40 का हिस्सा सुनते सुनते मन के अंदर की नमी आँखों तक पहुँच जाती है। 3.55 से अगले आधे मिनट तक आप कार्तिक की वॉयलिन पर की गई अपनी जादूगरी का नमूना सुनते हैं जो फिर गीत की मूल धुन में समाविष्ट हो जाती है।
कुल मिलाकर इस धुन को सुनना मन को मलिन करती ख़्वाहिशों व अंदर पलती बेचैनियों के खारेपन को धो कर उनसे कुछ देर के लिए ही सही अपने आप को मुक्त कर लेने जैसा है।
कुल मिलाकर इस धुन को सुनना मन को मलिन करती ख़्वाहिशों व अंदर पलती बेचैनियों के खारेपन को धो कर उनसे कुछ देर के लिए ही सही अपने आप को मुक्त कर लेने जैसा है।
इस गीत को तमिल फिल्म इंदिरा में Nila Kaikiradhu के रूप में हरिहरण और हरिनी ने एकल गीत के रूप में गाया था। बाद में फिल्म का हिंदी रूपांतरण प्रियंका के नाम से हुआ जिसमें वैरामुथु के शब्दों का अनुवाद गीतकार पी के मिश्रा ने किया। अब इस धुन में लीन होने के बाद कम से कम मैं तो इस गीत को तुरंत सुनने की सलाह नहीं दूँगा। पर बाद में अगर सुनना चाहें तो हरिहरण की आवाज़ में गाया गीत ये रहा
खिली चाँदनी, हमें कह रही
गाओ सभी मिल के
इस दिल के तुम्हीं हो उजाले
खिली पूर्णिमा चली ये हवा
शबनम यहाँ बरसे
इस दिल के तुम्हीं हो उजाले
शबनम यहाँ बरसे
इस दिल के तुम्हीं हो उजाले
गाए मेरा मन, यूँ ही रात दिन
फिर भी प्यार तरसे
आ आ.. वो ही भूमि है
वो ही आसमाँ, अपना दुख भला
किसको सुनाएँ..खिली चाँदनी, हमें कह रही....
वैसे कार्तिक अय्यर की बजाई ये धुन आपके दिल से क्या कहती है?
8 टिप्पणियाँ:
https://www.youtube.com/watch?v=O_xsYnsNoIg
Subramanian jee मैंने पोस्ट में Nila Kaikiradhu के साथ ये लिंक दिया हुआ है शायद आपने देखा नहीं।
बहुत अच्छी धुन है
A top favorite for years!!! My favorite version is by Harini, both in Tamil and Hindi... Since Harini's Hindi version is not available on YT, had uploaded it here a few days back only for a few friends..
https://app.box.com/s/dsyrc82l2d64q3u029k2cjg7j60ug3km?hc_location=ufi
पवन मैंने धुन पहले सुनी और फिर हरिहरण और हरिनी का तमिल वर्सन सुना और फिर हरिहरण का हिंदी। अब आपने हरिनी का हिंदी वर्सन उपलब्ध करा दिया है तो इसे भी सुनूँगा पर कार्तिक अय्यर की वॉयलिन की तरंगें मन की जिस गहराई तक जा पहुँची हैं कि उसके बाद गीत सुन कर वो अनुभूति नहीं आ पाती।
your blog is an ultimate Melody in itslf!!!
Khhubsurat song
thnx for sharing... :)
बहुत सुन्दर धुन व शब्द , वॉयलिन का संगीत तो दिल की छूता है
शुक्रिया अंकित, महेंद्र नाग जी व लोरी इस धुन को पसंद करने के लिए !
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