क्या किसी से प्यार करने के लिए उसे कहा जाना भी जरूरी है? हाँ जरूर कहना चाहिए। पर कभी हम ये खुल कर स्वीकार करने से हिचकते हैं। हर रिश्ते की अपनी जटिलताएँ होती हैं और चाहते हुए भी हम अपने मन की बात होठों पर नहीं ला पाते।अलबत्ता ये भी सही नहीं कि हम 'डिनायल मोड' में ही चले जाएँ यानि जो कहना चाहते हैं उससे ठीक उलट कहें। दिमाग चाहता भी नहीं है कि स्पष्ट रूप से कह दें और दिल है कि अंदर ही अंदर परेशान किए देता है। भावनाओं का ये विरोधाभास अगर सबसे प्यारे तरीके से किसी गीत में उभरा है तो वो था फिल्म घरौंदा के लिए रूना लैला का गाया, नक़्श ल्यालपुरी का लिखा व जयदेव का संगीतबद्ध अमर अजर गीत मुझे प्यार तुमसे नहीं है नहीं है मगर ये राज मैंने अब तक न जाना..। आज भी उस गीत को ना जाने कितनी बार भी सुन लूँ मन नहीं भरता। क्या गीत था वो भी!
पर साल 2015 की इस संगीतमाला में लगभग चालीस साल पुराने इस गीत को आज मैं क्यूँ याद कर रहा हूँ? दो वज़हें हैं जनाब इसकी। संगीतमाला की पाँचवी पायदान का गीत मन और मस्तिष्क की इसी उधेड़बुन को एक बार फिर सामने ला खड़ा करता है और दूसरी बात ये कि ये गीत एक ऐसी आवाज़ को मेरे सम्मुख ले आया है जिसमें रूना लैला की प्यारी आवाज़ सी एक ख़नक जरूर है और शायद ये आवाज़ ही इस गीत को पाँचवी पायदान तक पहुँचाने में सफल रही है।
ये अनजाना सा गीत है फिल्म बेबी का ! ना तो इसे टीवी पर प्रमोट किया गया ना ही इसे फिल्म में जगह मिली। हाँ इसी मुखड़े के दूसरे वर्जन को जिसे पापोन ने अपनी आवाज़ दी फिल्म में जरूर रखा गया। बेबी के इस गीत के गीतकार हैं मनोज मुन्तशिर जो पिछले साल तेरी गलियाँ ... की सफलता से आम जनता में पहचाने जाने लगे हैं। पर जहाँ तक मेरी इन वार्षिक संगीतमालाओं का सवाल है मनोज ने पहली बार मुझे The Great Indian Butterfly के गीत बड़े नटखट हैं तोरे कँगना.... से प्रभावित किया था।
इस गीत का संगीत दिया है एम एम करीम यानि एम एम कीरावानी ने। कीरावानी साहब कमाल के संगीतकार हैं। हिंदी फिल्मों में कम ही संगीत देते हैं पर जब देते हैं तो उनके गीत भुलाए नहीं भूलते। दो साल पहले उनका संगीतबद्ध स्पेशल 26 का गीत कौन मेरा मेरा क्या तू लागे..... हम सब की जुबाँ पर था। दिवंगत निदा फाज़ली साहब का लिखा मेरे तेरे नाम नहीं है और फिल्म रोग का मैंने दिल से कहा ढूँढ लाना खुशी जैसे गीतों को कौन भूल सकता है? एम एम कीरावानी बधाई के पात्र हैं कि वो हिंदी फिल्मों में युवा प्रतिभावान तेलुगू गायकों को मौका देते रहे हैं। जहाँ स्पेशल 26 में उन्होंने चैत्रा अंगादिपुदी को मौका दिया था वहीं बेबी के इस गीत के लिए उनकी पसंद रहीं राम्या बेहरा ! आख़िर कौन हैं ये राम्या बेहरा?
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में जन्मी राम्या संगीत के प्रति शुरु से गंभीर नहीं थीं। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वो पार्श्व गायिका बनेंगी। हाँ इतना जरूर था कि वो बचपन में रेडियो पर आ रहे नग्मों को गुनगुनाया करती थीं। माँ पापा ने उनके हुनर को पहचाना और उन्हें गाने के लिए प्रेरित किया। अपनी माँ के कहने पर सातवीं कक्षा से उन्होंने संगीत विद्यालय में दाखिला लिया। स्थानीय तेलुगू चैनल मा टीवी पर सुपर सिंगर के आख़िरी दौर में प्रवेश कर लेना उनके आत्मविश्वास और अवसरों दोनों को बढ़ा गया। एम एम कीरावानी ने ही सबसे पहले उन्हें तेलुगू फिल्मों में गाने का मौका दिया। बेबी के इस गीत के बारे में राम्या कहती हैं..
"ये पहले एक डमी गीत था। डमी गीत वो गीत होते हैं जिन्हें किसी से गवाकर उसकी रूपरेखा तैयार कर दी जाती है जिसकी सहायता से कोई नामी गायक उसे अपने स्वर में ढालता है। इसीलिए मैंने जब ये गीत रिकार्ड किया तो ये नहीं सोचा था कि ये फिल्म का हिस्सा बनेगा। मुझे यही लगा था कि इसे किसी बड़े गायक से गवाया जाएगा पर निर्देशक व गीतकार को मेरी आवाज़ जँच गई और इस गीत को रख लिया गया।"
राम्या का ये गीत फिल्म का तो नहीं पर एलबम का जरूर हिस्सा बना। राम्या हिंदी फिल्मों में और गीत गाने की ख़्वाहिश रखती हैं और जितनी प्यारी उनकी आवाज़ है उन्हें और मौके जरूर मिलने चाहिए।
मनोज मुन्तसिर गीत के अंतरे में अपने प्रिय से दूर रहती नारी के मानसिक हालातों को सहजता से उभारते हैं। इस गीत के लिए एम एम कीरवानी ने नाममात्र के संगीत का प्रयोग किया है। गीत के बोलों के पीछे मंद मंद बजता गिटार मन को सुकून देता है। पर दिल के तार जुड़ते हैं राम्या की आवाज़ से जिसे कीरवानी अपनी रागिनियों से प्रगाढ़ करते हैं । नायिका के हृदय की पीड़ा उनकी आवाज़ में यूँ ढल जाती हैं कि आप भी नायिका के दुख में शामिल हो जाते हैं। अगर आपको यकीन नहीं तो ख़ुद ही सुन लीजिए ना इस बेहद संवेदनशील नग्मे को
मैं तुझ से प्यार नही करती
मैं तुझ से प्यार नही करती
पर कोई ऐसी शाम नहीं
जब मैं अपनी तन्हाई में
तेरा इंतज़ार नहीं करती
मैं तुझसे प्यार नहीं करती
मैं तुझसे प्यार नहीं करती
पर शहर में जिस दिन तू ना हो
ये शहर पराया लगता है
हर फूल लगे बेगाना सा
हर शज़र पराया लगता है
मैं तुझसे प्यार..
वो अलमारी कपड़ो वाली लावारिस हो जाती है
ये पहनूँ या वो पहनूँ
ये उलझन भी खो जाती है
मुझे ये भी याद नही आता
रंग कौन से मुझको प्यारे हैं
मेरे शौक, पसंद मेरी
बिन तेरे सब बंजारे हैं
तुझसे प्यार नहीं करती
मैं तुझसे प्यार नहीं करती
मैं तुझसे प्यार नहीं करती
मैं तुझसे प्यार नहीं करती
पर ऐसा कोई दिन है क्या?
जब याद तुझे तेरी बातों को
सौ-सौ बार नही करती
सौ-सौ बार नही करती
4 टिप्पणियाँ:
मुझे लगा था ...शायद मैं अकेली ही इंसान हूँ या एक दो और... जिन्हें ये गाना इतना पसन्द आया हो...वरना 'बेबी' देखते वक़्त ज़्यादातर लोगों का ध्यान तो इस गीत की तरफ गया भी न होगा।
मैं खुश हूँ कि मेरी पसन्द अच्छी है :)
फिल्म में जो वर्सन है वो पापोन वाला है पर शब्दों और व्यक्त भावनाओं के लिहाज से ये गीत दिल को छू लेता है। ऐसे गीत अगर लोगों तक पहुँचे तो जरूर पसंद आएँगे।
मुझे तो ये गाना बहुत पसंद है। राज की बात ये है कि एक समय इसे मैंने तीसरे क्रम पर रखा था पर अंततः ये यहाँ खिसक आया। बहरहाल जान कर खुशी हुई कि तुम्हें भी ये गीत उतना ही पसंद है।
Bahut sundar. Film mein to hai ye gaana background mein. Lovely rendition. Lovely voice. Bol aur situation dil ko choo lete hain! Well deserved!
फिल्म तो मैंने देखी है। पापोन वाला वर्सन दिखा था पर ये गीत तो कहीं नहीं दिखा। शायद मेरे ध्यान में ना रहा हो। अगर इसे आपने कहीं बैकग्राऊंड में देखा हो तो वीडियो शेयर कीजिए। मुझे देख के खुशी होगी।
एक टिप्पणी भेजें