वार्षिक संगीतमाला की अंतिम छः पायदान का एक एक नग्मा मुझे बेहद पसंद है। छठी पायदान के इस गीत को पहली बार मैंने तब सुना जब अपनी संगीतमाला के लिए गीतों का चयन कर रहा था और पहली बार सुनते ही मैं इसके सम्मोहन में आ गया। क्या शब्द. क्या संगीत और क्या गायिकी। वैसे अगर मैं आपके सामने संगीतकार अजय अतुल, सोनू निगम व अमिताभ भट्टाचार्य की तिकड़ी का नाम लूँ तो बताइए आपके मन में कौन सा लोकप्रिय गीत उभरता है? अरे वही अग्निपथ का संवेदनशील नग्मा अभी मुझ में कहीं बाकी थोड़ी सी है ज़िदगी जिसने वार्षिक संगीतमाला के 2012 के अंक में रनर्स अप का खिताब जीता था। इन तीनों ने मिलकर एक बार फिर ब्रदर्स ले लिए एक बेहद सार्थक, मधुर, सुकून देने वाला रोमांटिक नग्मा रचा है।
मराठी संगीत के जाने माने चेहरे अजय अतुल के बारे में अग्निपथ व सिंघम के गीतों के ज़रिए आपका परिचय करा चुका हूँ। करण मेहरोत्रा की पहली फिल्म अग्निपथ की सफलता के पीछे उनके शानदार संगीत का भी बहुत बड़ा हाथ था। ज़ाहिर सी बात थी कि अगली फिल्म के लिए भी बतौर संगीतकार उन्होंने अजय अतुल को चुना। तो आइए जानते हैं कि क्या कहना है संगीतकार जोड़ी का इस गीत के बारे में। तो पहले जानिए कि अतुल के विचार
आजकल जिस तरह का संगीत बॉलीवुड में चल रहा है उसको देखते हुए बड़ा कलेजा चाहिए था सपना जहाँ जैसे गीत को चुनने के लिए। रोहित को एक भावपूर्ण गीत की जरूरत थी और उन्होंने इस धुन को चुना। रोहित हमारे मित्र की तरह हैं। हम जो भी करते हैं वो तभी करते हैं गर वो चीज़ हमें अच्छी लगती है। जब ये गाना बन रहा था उसी दिन मैंने कहा था कि ये भी अभी मुझ में कहीं.. जितना ही गहरा व प्यारा गीत बनेगा। सोनू की आवाज़ की बुनावट में अक्षय की सी परिपक्वता है इसीलिए हमने इस गीत के लिए उनको चुना और क्या निभाया उन्होंने इस गीत को।
वहीं अजय सोनू निगम की सहगायिका नीति मोहन के बारे में कहते हैं
उनके गाए अब तक सारे गाने मुझे अच्छे लगे थे। तू रूह है की जो लय है उसे सँभालते हुए बड़े प्यार से उन्हें गीत में प्रवेश करना था जो थोड़ा कठिन तो था पर उन्होंने बखूबी किया।
ये गीत नायक की ज़िदगी की पूरी कहानी को मुखड़ों और अंतरों में समा लेता है। गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य को अपनों से अलग थलग एक बेमानी सी जिंदगी जीते हुए इंसान की कहानी के उस मोड़ की दास्तान बयाँ करनी थी जब वो नायिका से मिलता है और देखिए तो उन्होंने कितनी खूबसूरती से लिखा.. सपना जहाँ दस्तक ना दे, चौखट थी वो आँखे मेरी...बातों से थीं तादाद में, खामोशियाँ ज्यादा मेरी.. जबसे पड़े तेरे कदम, चलने लगी दुनिया मेरी।
सहज शब्दों में काव्यात्मक अंदाज़ में कहीं बातें जो दिल को सहजता से छू लें अमिताभ के लिखे गीतों की पहचान हैं। मुखड़े में आगे भटकते हुए बादल की आसमान में ठहरने की बात तो पसंद आती ही है, पहले अंतरे में रूह के साथ काया, उम्र के साथ साया और बैराग के साथ माया की जुगलबंदी व सोच भी बतौर गीतकार उनके हुनर को दर्शाती है।
अजय अतुल का संगीत भी बोलों की नरमी की तरह ही एक मुलायमियत लिए हुए है। पियानों की मधुर धुन से नग्मा शुरु होता है। बीच में बाँसुरी के इंटरल्यूड के आलावा गीत के साथ ताल वाद्यों की हल्की थपकी ज़ारी रहती है। गीत का फिल्मांकन भी असरदार है तो आइए सुनते हैं इस गीत को..
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सपना जहाँ दस्तक ना दे, चौखट थी वो आँखें मेरी
बातों से थीं तादाद में, खामोशियाँ ज्यादा मेरी
जबसे पड़े तेरे कदम, चलने लगी दुनिया मेरी
मेरे दिल मे जगह खुदा की खाली थी
देखा वहाँ पे आज तेरा चेहरा है
मैं भटकता हुआ सा एक बादल हूँ
जो तेरे आसमान पे आ के ठहरा है
तू रूह है तो मैं काया बनूँ
ता-उम्र मैं तेरा साया बनूँ
कह दे तो बन जाऊँ बैराग मैं
कह दे तो मैं तेरी माया बनूँ
तू साज़ हैं, मैं रागिनी
तू रात हैं, मैं चाँदनी
मेरे दिल मे .... ठहरा हैं
हम पे सितारों का एहसान हो
पूरा, अधूरा हर अरमान हो
एक दूसरे से जो बाँधे हमें
बाहों मे नन्ही सी इक जान हो
आबाद हो छोटा सा घर
लग ना सके किसी की नज़र
मेरे दिल मे .... ठहरा है
5 टिप्पणियाँ:
All my favourites together... Sonu Nigam, Ajay Atul, Amitabh bhattacharya & Akshay kumar.
All male 😛 What about Neeti Mohan 😀
Hahaha...she is good... but my favourite is Sunidhi :)
Bahut badhiya gana! Utna hi sundar aapne likha iss baare mein. Badhai!
हाँ सुमित बड़ा ही मधुर और अर्थपूर्ण गीत है ये !
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