वार्षिक संगीतमाला की नवीं पायदान का गीत वैसे है तो इस साल की संगीतमय व शानदार फिल्म बाजीराव मस्तानी से, पर इसे सुनकर ये मत कहिएगा कि इसे तो हमने फिल्म में देखा ही नहीं। दरअसल आजकल गाने तो स्क्रिप्ट के साथ बनते जाते हैं पर कई दफ़े फिल्म की ज्यादा लंबाई की वज़ह से इन पर कैंचियाँ भी चल जाती है। नवीं पॉयदान की ये मीठी सी कशिश लिए हुयी शास्त्रीय बंदिश इसी कैंची का शिकार होकर फिल्म में अपनी जगह नहीं बना पायी ।
पिछले साल की प्रदर्शित फिल्मों में मुझे बाजीराम मस्तानी का एलबम अव्वल लगा। शास्त्रीयता, रोमांस, नृत्य सभी रसों का मेल था इस एलबम में। इसके कई गीत इस संगीतमाला मैं हैं तो कई को मुझे छोड़ना पड़ा। बहरहाल इस फिल्म का पहला गीत जो मैंने चुना है वो आधारित है राग भूपाली या राग भूप पर। कर्नाटक संगीत में इस राग को राग मोहन के नाम से जाना जाता है। सरगम के सिर्फ पाँच स्वरों का इस्तेमाल करने वाले इस राग पर दिल हुम हुम करे, नील गगन की छाँव में, पंख होते तो उड़ आती रे व मैं जहाँ रहूँ जैसे तमाम कालजयी गीत बन चुके हैं।
आश्चर्य ही की बात है कि फिल्म निर्देशक के आलावा संगीत निर्देशन का भार
सँभालने वाले संजय लीला भंसाली ने इस शास्त्रीय गीत के लिए दो नई आवाज़ों
पायल देव व श्रेयस पुराणिक को चुना और दोनों ने इस गीत के माध्यम से उनके
विश्वास पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की।
पायल देव व श्रेयस पुराणिक |
खासकर पायल देव जिन्होंने अब तक
बॉलीवुड में इक्का दुक्का गाने ही गाए थे ने तो उस लिहाज़ से कमाल ही कर
दिया। सात आठ साल पहले मुंबई में कदम रखने वाली पायल का संगीत का सफ़र एड
जिंगल्स से ही शुरु हुआ था। संगीतकारों के लिए भी गाती रहीं और उनके कुछ
नग्में रुपहले पर्दे तक भी पहुँचे पर किसी ने उन्हें वो सम्मान नहीं दिलाया
जितना उन्हें इस गीत को गाकर मिला। अपने साक्षात्कारों में इस गीत के
बारे में बातें करती वो फूली नहीं समाती। वे कहती हैं
"मुझे संजय सर के आफिस से एक दिन कॉल आई कि सर आपसे किसी गीत के सिलसिले में मिलना चाहते हैं। शायद उन्होंने मेरी आवाज़ पहले कहीं सुनी थी। पहले तो मुझे अपने भाग्य पर विश्वास ही नहीं हुआ। मैं वहाँ गई पर संजय सर के सामने मैं बहुत नर्वस हो गई। पहली बार गाया तो संजय सर ने समझाया कि गीत में जरूरत से ज्यादा हरक़तें नहीं लेनी हैं फिर उन्होंने जैसा उसे संगीतबद्ध किया था वो मुझे सुनाया। उन्हें मेरी आवाज़ पसंद तो आई पर उन्होंने कहा कि पूरे गीत को आराम से वापस जाकर रिकार्ड कर के भेज दो। फिर एक दिन मुझे फोन आया कि आपकी रिकार्डिग संजय सर को पसंद आ गई है। तब तक मुझे ये भी पता नहीं था कि मेरा ये गीत किस फिल्म के लिए रिकार्ड हुआ है। वो तो जब अलबेला सजन के लिए संजय सर ने मुझे फिर बुलाया तो मुझे लगा कि वो गीत भी बाजीराव मस्तानी के लिए होगा।"
तो देखा आपने की नए कलाकार
इतने नर्वस हो जाते हैं बड़े नामों के सामने कि किस फिल्म के लिए गा रहे
हैं ये पूछने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाते। पायल का इस गीत में साथ दिया
नागपुर के श्रेयस पुराणिक ने। सुरेश वाडकर की छत्रछाया में संगीत सीखने
वाले श्रेयस की ये छोटी पर असरदार शुरुआत है।
अब इस गीत के बारे में क्या
कहें। पियानों के नोट्स से शुरु होता हुआ ये गीत मुखड़े के बाद शहनाई के
मधुर टुकड़े से मन को रससिक्त कर देता है। गीत चाहत के उस रूप को व्यक्त
करता है जब प्रेमी बड़े अधिकार के साथ तन मन से अपने साथी को अंगीकार कर
लेना चाहता है। तभी तो गीतकार ए एम तुराज़ प्रेम बरसाने, होठों पर होठ धरने
व संग सो जाने की बात करते हैं। पर इस गीत में जिस तरह पायल जाने ना दूँगी
और अब तोहे जाने ना दूँगी को निभाती हैं कि गीत सुनने के बाद भी उसका मीठा ज़ायका घंटों दिमाग में रहता है तो आइए रात्रि के इस पहर में इस गीत के लिए बने इस गीत में थोड़ा डूबें इसके बोलों के साथ..
अब तोहे जाने ना दूँगी
अब तोहे जाने ना दूँगी
सौतन सी ये रैन है आई
सौतन सी ये रैन है आई
अब तोहे जाने ना दूँगी
प्रेम बरसाओ संग सो जाओ
जाने न दूँगी
अब तोहे जाने ना दूँगी
कुछ भी न बोलूँ ऐसा कर जाओ
होंठों पे मेरे होंठ धर जाओ
सुख वाली रूत जाने ना दूँगी
प्रेम बरसाओ संग सो जाओ
जाने न दूँगी
अब तोहे जाने न दूँगी
एक है मन्नत, एक है दुआ
दोनों ने इश्क की रूह को है छुआ
दायें से पढ़ या बाएँ से पढ़
फर्श से अर्श तक इश्क़ है लिखा
ना जाने ना जाने ना
ना जाने ना दूँगी
अब तोहे जाने न दूँगी
अब तोहे जाने न दूँगी
13 टिप्पणियाँ:
Beautiful song. But i think it is there in the film. I remember this lovely song.
Poora song sirf album mein hai. Singer Payal Dev ne apne interview mein ye baat kahi.
Main to film mein notice nahin kar paya ho sakta hai ki iska mukhda ab tohe Jane na doongi kisi scene ke background mein ubhara ho. Kyunki aisa hi director ne ek aur song ke sath kiya hai.
My favourite is 'aayat'.. :)
हाँ वो मुझे भी बेहद पसंद है पर उसकी बारी अभी नहीं आई है।
Maaf kijiyega magar mere khayal se 9 no nahi deserve karta ye gaana. Saadharan sa hi laga. Na to gaane ke bol, na gaane ki adayagi kuch khaas lagi.
सुमित एक ही गीत के बारे में लोगों की भिन्न भिन्न टिप्पणियाँ आती हैं। इसमें माफी की क्या बात है आपको पसंद आए तो भी कहिए ना आए तो भी कहिए। आपकी ईमानदार राय का हर समय स्वागत है। वैसे भी मेरी पसंद सबकी पसंद से मेल खाए ये जरूरी थोड़े ही है। :)
जो मेरा नज़रिया है वो तो मैंने रख ही दिया है। यहाँ मुझे गाने के बोल से ज्यादा राग भूपाली की कम्पोजीशन व पायल की गायिकी ज्यादा प्रभावित करते हैं।
वैसे आप जिस तरह गीतों का परिचय कराते हैं...वो किसी के भी favourites बदल सकता है..
हाँ कुछ लोग के साथ शायद ऐसा होता हो पर गीतों की पसंद का नज़रिया अलग तरह के लोगों को अलग अलग होता है। बहुतों को तो कोफ़्त हो जाती है कि आख़िर मैंने इस गीत को कैसे चुन लिया?:) बस मैं तो ईमानदारी से ये बता देता हूँ कि मुझे ये गीत क्यूँ पसंद है।
bahut hi khoobsurat...
और ये मैं ईमानदारी से कहती हूँ...आपके चयन में भाव और तकनीक का जो सामन्जस्य है... वो अपने आप में ख़ास है !
दिशा शुक्रिया अच्छा लगा जानकर!
जानकर खुशी हुई कि आपको ये गीत पसंद आया स्वाति !
अब जब नहीं सुना मूवी में गीत तो कहना तो पड़ेगा ही कि नहीं सुना.
फ़िलहाल रागमय गीत
कंचन हाँ वैसी भी अगले छः में से दो गाने पक्के तौर पर और संभवतः तीन आपने नहीं सुने होंगे। :)
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