दो महीनों की इस संगीत यात्रा के बाद बारी है आज वार्षिक संगीतमाला 2015 के सरताजी बिगुल को बजाने की। संगीतमाला की चोटी पर गाना वो जिसके साथ संगीतकार अनु मलिक ने की है हिंदी फिल्म जगत में शानदार वापसी। शिखर पर एक बार फिर हैं वरुण ग्रोवर के प्यारे बोल जो पापोन व मोनाली ठाकुर की आवाज़ के माध्यम से दिल में प्रीत का पराग छोड़ जाते हैं। यानि ये कहना बिल्कुल अतिश्योक्ति नहीं होगी कि वो होगा ज़रा पागल जिसने इसे ना चुना :)। तो चलिए आज इस आपको बताते हैं इस गीत की कहानी इसे बनाने वाले किरदारों की जुबानी।
अनु मलिक का नाम हिंदी फिल्म संगीत में लीक से हटकर बनी फिल्मों के साथ कम ही जुड़ा है। पर जब जब ऐसा हुआ है उन्होंने अपने हुनर की झलक दिखलाई है। एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं के एक दशक से लंबे इतिहास में उमराव जान के गीत अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो के लिए वो ये तमगा पहले भी हासिल कर चुके हैं। पर इस बात का उन्हें भी इल्म रहा है कि अपने संगीत कैरियर का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने बाजार की जरूरतों को पूरा करने में बिता दिया। इतनी शोहरत हासिल करने के बाद भी उनके अंदर कुछ ऐसा करने की ललक बरक़रार है जिसे सुन कर लोग लंबे समय याद रखें। उनकी इसी भूख का परिणाम है फिल्म दम लगा के हईशा का ये अद्भुत गीत !
अनु मलिक ने गीत के मुखड़ा राग यमन में बुना जो आगे जाकर राग पुरिया धनश्री में मिश्रित हो जाता है। इंटरल्यूड्स में एक जगह शहनाई की मधुर धुन है तो दूसरे में बाँसुरी की। पर अनु मलिक की इस रचना की सबसे खूबसूरत बात वो लगती है जब वो मुखड़े के बाद तू होगा ज़रा पागल से गीत को उठाते हैं। पर ये भी सच है की उनकी इतनी मधुर धुन को अगर वरुण ग्रोवर के लाजवाब शब्दों का साथ नहीं मिला होता तो ये गीत कहाँ अमरत्व को प्राप्त होता ?
वरुण ग्रोवर और अनु मलिक |
वैसे इसी अमरत्व की चाह, कुछ अलग करने के जुनून ने IT BHU के इस इंजीनियर को मुंबई की माया नगरी में ढकेल दिया। यूपी के मध्यम वर्गीय परिवार में पले बढ़े वरुण ग्रोवर का साहित्य से बस इतना नाता रहा कि उन्होंने बचपन में बालहंस नामक बाल पत्रिका के लिए एक कहानी भेजी थी। हाँ ये जरूर था कि घर में पत्र पत्रिकाएँ व किताबें के आते रहने से उन्हें पढ़ने का शौक़ शुरु से रहा। वरुण कहते हैं कि छोटे शहरों में रहकर कई बार आप बड़ा नहीं सोच पाते। लखनऊ ने उन्हें अपने सहपाठियों की तरह इंजीनियरिंग की राह पकड़ा दी। बनारस गए तो पढ़ाई के साथ नाटकों से जुड़ गए और बतौर लेखक उनके मन में कुछ करने का सपना पलने लगा था। पुणे में नौकरी करते समय उन्होंने सोचा था कि दो तीन साल काम कर कुछ पैसे जमा कर लेंगे और फिर मुंबई की राह पकड़ेंगे। पर ग्यारह महीनों में सॉफ्टवेयर जगत में काम करते हुए उनका अपनी नौकरी से मोह भंग हो गया।
लेखक के साथ वरुण को चस्का था कॉमेडी करने का तो मुंबई की फिल्मी दुनिया में उन्हें पहला काम ग्रेट इ्डियन कॉमेडी शो लिखने का मिला। बाद में वो ख़ुद ही स्टैंड अप कॉमेडियन बन गए पर साथ साथ वो फिल्मों में लिखने के लिए अवसर की तलाश कर रहे थे। जिन लोगों के साथ वो काम करना चाहते थे वहाँ पटकथा लिखने का तो नहीं पर गीत रचने का मौका था। सो वो गीतकार बन गए। नो स्मोकिंग के लिए गाना लिखा पर वो उसमें इस्तेमाल नहीं हो सका। फिर अनुराग कश्यप ने उन्हें दि गर्ल इन येलो बूट्स में मौका दिया पर वरुण पहली बार लोगों की नज़र में आए गैंग्स आफ वासीपुर के गीतों की वजह से। फिर दो साल पहले आँखो देखी आई जिसने उनके काम को सराहा गया और आज देखिए इस वार्षिक संगीतमाला की दोनों शीर्ष पायदानों पर उनके गीत राज कर रहे हैं।
अनु मलिक ने अपने इस गीत के लिए जब पापोन को बुलाया तो वो तुरंत तैयार हो गए। अनु कहते हैं कि पहली बार ही गीत सुनकर पापोन का कहना था कि ये गाना जब आएगा ना तो जान ले लेगा।
मोनाली ठाकुर और पापोन |
जब गीत का फीमेल वर्सन बनने लगा तो अनु मलिक को मोनाली ठाकुर की
आवाज, की याद आई। ये वही मोनाली हैं जिन्होंने सवार लूँ से कुछ साल पहले
लोगों का दिल जीता था। मोनाली ने इंडियन आइडल में जब हिस्सा लिया था तो
अनु जी ने उनसे वादा किया था कि वो अपनी फिल्म में उन्हें गाने का एक मौका जरूर
देंगे। अनु मलिक को ये मौका देने में सात साल जरूर लग गए पर जिस तरह के गीत
के लिए उन्होंने मोनाली को चुना उसके लिए वो आज भी उनकी शुक्रगुजार हैं। पापोन व मोनाली दोनों ने ही अपने अलग अलग अंदाज़ में इस गीत को बेहद खूबसूरती से निभाया है।
वरुण ने क्या प्यारा गीत लिखा है। सहज शब्दों में इक इक पंक्ति ऐसी जो लगे कि अपने लिए ही कही गई हो। अब बताइए मोह के इन धागों पर किसका वश चला है? एक बार इनमें उलझते गए तो फिर निकलना आसान है क्या? फिर तो हालत ये कि आपका रोम रोम इक तारा बन जाता है जिसकी चमक आप उस प्यारे से बादल में न्योछावर कर देना चाहते हों । अपनी तमाम कमियों और अच्छाइयों के बीच जब कोई आपको पसंद करने लगता है, आपकी अनकही बातों को समझने लगता है तो फिर व्यक्तित्व की भिन्नताएँ चाहे दिन या रात सी क्यूँ ना हों मिलकर एक सुरमयी शाम की रचना कर ही देती हैं। इसीलिए गीत में वरुण कहते हैं.
वरुण ने क्या प्यारा गीत लिखा है। सहज शब्दों में इक इक पंक्ति ऐसी जो लगे कि अपने लिए ही कही गई हो। अब बताइए मोह के इन धागों पर किसका वश चला है? एक बार इनमें उलझते गए तो फिर निकलना आसान है क्या? फिर तो हालत ये कि आपका रोम रोम इक तारा बन जाता है जिसकी चमक आप उस प्यारे से बादल में न्योछावर कर देना चाहते हों । अपनी तमाम कमियों और अच्छाइयों के बीच जब कोई आपको पसंद करने लगता है, आपकी अनकही बातों को समझने लगता है तो फिर व्यक्तित्व की भिन्नताएँ चाहे दिन या रात सी क्यूँ ना हों मिलकर एक सुरमयी शाम की रचना कर ही देती हैं। इसीलिए गीत में वरुण कहते हैं.
हम्म... ये मोह मोह के धागे,तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे
है रोम रोम इक तारा..
है रोम रोम इक तारा ,जो बादलों में से गुज़रे..
ये मोह मोह के धागे....
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा, तूने अनकहा सब सुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
तू दिन सा है, मैं रात आना दोनों
मिल जाएँ शामों की तरह
मिल जाएँ शामों की तरह
बिना आगे पीछे सोचे अपने प्रिय के साथ बस यूं ही समय बिताना बिना किसी निश्चित मंजिल के भले ही एक यूटोपियन अहसास हो पर उस बारे में सोचकर ही मन कितना आनंदित हो जाता है...नहीं ?
ये मोह मोह के धागे....
कि ऐसा बेपरवाह मन पहले तो न था
कि ऐसा बेपरवाह मन पहले तो न था
चिट्ठियों को जैसे मिल गया ,जैसे इक नया सा पता
कि ऐसा बेपरवाह मन पहले तो न था
खाली राहें, हम आँख मूंदे जाएँ
पहुंचे कहीं तो बेवजह
ये मोह मोह के धागे। ...
अनु जी की धुन पर वरुण ने ये गीत पहले पापोन वाले वर्सन के लिए लिखा। मोनाली ठाकुर वाले वर्सन में गीत का बस दूसरा अंतरा बदल जाता है।
कि तेरी झूठी बातें मैं सारी मान लूँ
आँखों से तेरे सच सभी सब कुछ अभी जान लूँ
तेज है धारा, बहते से हम आवारा
आ थम के साँसे ले यहाँ
तो बताइए कैसा लगा आपको ये सरताज नग्मा ? पिछले साल के गीत संगीत की विभिन्न विधाओं में अव्वल रहे कलाकारों की चर्चा के साथ लौटूँगा इस संगीतमाला के पुनरावलोकन में।
वार्षिक संगीतमाला 2015
1 ये मोह मोह के धागे Moh Moh Ke Dhage
23 टिप्पणियाँ:
बहुत ही खूबसूरत गीत
अच्छा लगा जानकर कि आपको भी उतना ही पसंद है :)
थैंक गॉड ! जो मैं सोच रही थी वही है सरताज़ गीत। बहुत ही पसन्दीदा गीत मेरा। मुझे लग रहा था शायद हारमोनियम का भी प्रयोग है इस गीत में।
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया ! इस गीत को सरताज़ रखने का।
बहुत सुंदर गाना ! जितनी सुंदर शब्द संरचना उतना ही सुंदर संगीत
Kanchan हा हा मैं तौ ख़ैर जानता ही था ये गीत आपका पसंदीदा होगा कहीं जाकर तो सोच मिली :)
जी बिल्कुल सीमा जी !
No 1. Manmohak! I am very happy for Anu Malik. Papon, Monali and Varun... All are enriching the Indian film music and would be big names in future. Thank you for wonderful Sangeetmala. As always, for me the most authentic and beautiful countdown of best music of the year. Thanks Manish Ji!!
इस संगीतमाला के साथ सालों साल जुड़ा रहने के लिए शुक्रिया सुमित !
इस गीत की तारीफ अगर एक शब्द में करनी हो तो वो होगा....'प्यारा' smile emoticon मोनाली की आवाज़ बेहद खूबसूरत लगी है....'पापोन' मुझे ज़्यादा पसन्द नहीं....कई जगह अरिजीत की कमी खलती है। जैसे 'आ थम के साँसें ले यहाँ' में वाली पंक्ति में लगा कि गायक बहुत ज़ोर लगा कर गा रहा है....पर इससे गीत की खूबसूरती पर कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता। लफ़्ज़ों के लिहाज़ से 'मोह -मोह के धागे' बेहद सुन्दर कल्पना है...बिलकुल प्रेम जैसी।
सरताज गीत को अपने शब्दों के मोतियों की माला में सजाकर प्रस्तुत करने वाले Manish Kumar जी को बहुत बधाई।
गीत के बोल व धुन इतनी प्यारी हैं कि शायद इसे कोई भी गाता गीत अच्छा ही लगता पर अनु मलिक कहते हैं तमाम गायकों पर बात चली पर उनके मन में पापोन जैसी Heavy Base Voice की कल्पना थी इसलिए पापोन के तैयार होते ही ये गाना उनको दे दिया गया। मोनाली की आवाज़ की बुनावट यानि texture मुझे पसंद है जैसे ही वो मुखड़ा शुरु करती हैं उनकी आवाज़ श्रोता को अपनी ओर खींच लेती है। बाकी गीत के बारे में जो लिखा वो तो वरूण की काव्यात्मक सोच की उपज है जिसने दिल पर इतना असर किया। ;)
..ये मेरा 'अरिजीत प्रेम' हो....की हर गीत उसी की आवाज़ में सुनने को जी चाहता है... वैसे mtv unplugged में ये गीत और भी अच्छा लगा था सुनकर। आप भी सुनियेगा।बांसुरी वादक का भी जवाब नहीं।
मुझे तो अरिजीत व पापोन दोनों ही अच्छे लगते हैं। ये जरूर है कि अरिजीत की गायिकी की रेंज कहीं ज्यादा है। पर ये भी है कि कुछ गीत पापोन की आवाज़ में मुझे बहुत जँचते हैं जैसे कि ये..
http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.in/2013/03/2012_20.html
बेशक़ 'बर्फी' का ये गीत भी बहुत सुन्दर है !
Soch hi rahe the ke yeh geet kyon aapki shrinkhala mein shaamil nahi hai....mera bhi pasandeeda!
जानकर खुशी हुई :)
बहुत ख़ूबसूरत गीत है, इस गीत में "मोह-मोह" का सम्मोहन वरुण की पुरानी नोट बुक से निकला है। बहुत कम गीत ऐसे होते हैं जो लिरिकली, म्यूजिकली और विसुअली दिल में उतरते हैं और जो उतरते हैं वो सरताज बनते हैं।
"पुरानी नोटबुक" तब तो उनके पन्नों पर वो मोह के धागे भी जरूर कहीं ना कहीं प्यार से सहेजे गए होंहे। उसका एक वर्क तो उन्होंने खोल ही दिया है आगे भी शायद खोलते रहेंगे :)
इस गीत में चिठ्ठियों का जिक्र से मुझे मेरा बचपन याद आ गया. माँ को बहुत चिट्ठियां लिखी है. इस तकनिकी युग में वह दिन कहाँ? खैर.. सही मायनों में सरताज गीत. गीतमाला की सफलता के लिए बधाई सर जी
Manish आपको भी ये गीत पसंद आया जानकर अच्छा लगा।
एक बार फिर शुक्रिया!
शुक्रिया तो हमें आपका अदा करना है वरुण कि आपने ऐसे गीत में अपना योगदान दिया जो श्रोताओं के मन में फिल्म के इतर भी सालों साल बना रहेगा। और आपकी उस सोच को भी सलाम कि कम ही काम मिले तो भी चलेगा पर वहीं काम करेंगे जहाँ स्क्रिप्ट मन की हो। :)
इस गीत को सरताज़ होना ही था बस मलाल रह गया कि "अगर तुम साथ हो" ज्यादा नीचे खिसक गया।
बात इस गाने कि-पापोन और मोनाली की आवाज़ बेस्ट है इस गाने के लिए।संजय मिश्रा जी वरुण ग्रोवर को आज का कबीर कहते हैं।इस गाने के दो अन्तरे शामिल नहीं हुए जो वरुण साब अपने ब्लॉग पर शेयर किये हैं और धुन के लिए तो अनु जी काबिलेतारीफ़ है ही
बात गायकों की हो अथवा संगीतकार की या फिर गीतकार की. कुछ युगलबंदियां ऐसी होती हैं जो गहरे दिल तक उतर जाती हैं, वैसे ही यह गीत है. मुझे अब इन चीज़ों के लिए वक़्त नहीं मिल पाता ख़ास तौर से फ़िलवक़्ती मौसिक़ी के लिए लेकिन यह लिंक जब फेसबुक पर देखा तभी से यहाँ आने की इच्छा थी जो आज पूरी हुई। जिसे सब खोटा कहते हैं वही वक़्त पर खरा उतरता है और यहाँ भी बात वही है. आपके मोहपाश में तो हम बरसों से बंधे हैं आज कैसे छूट जाएंगे..? :)
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