शनिवार, दिसंबर 24, 2016

वार्षिक संगीतमाला 2016 वो गीत जो संगीतमाला में दस्तक देते देते रह गए Part I

वार्षिक संगीतमाला के प्रथम पच्चीस गीतों का सिलसिला तो जनवरी के पहले हफ्ते से शुरु हो ही जाएगा पर उसके पहले आपको मिलवाना चाहूँगा उन दर्जन भर गीतों से जो मधुर होते हुए भी संगीतमाला  से थोड़ा दूर रह गए। अब इसकी एक वज़ह तो ये है कि आजकल संगीतकार गीतकार लगभग एक ही जैसी धुनें और बोल थोड़ा जायक़ा बदल कर अलग अलग थालियों में परोस रहे हैं। लिहाज़ा मीठी चाशनी में सने इन गीतों में कई बार वो नयापन नहीं रह पाता जिसकी मेरे जैसे श्रोता को उम्मीद रहती है।

पर ऊपर वाली बात सारे गीतों पर लागू नहीं होती जिन्हें मैं सुनाने जा रहा हूँ। कुछ को तो मुझे संगीतमाला में जगह ना दे पाने का अफ़सोस हुआ पर कहीं तो लकीर खींचनी थी ना सो खींच दी।

तो सबसे पहले बात एयरलिफ्ट के इस गीत की जिसे लिखा गीतकार कुमार ने और धुन बनाई  अमल मलिक ने। सच कहूँ तो अमल की धुन बड़ी प्यारी है। रही कुमार साहब के बोलों की बात तो पंजाबी तड़का लगाने में वो हमेशा माहिर रहे हैं। बस अपने प्रियके बिन रहने में कुछ सोच ना सकूँ की बजाए कुछ गहरा सोच लेते तो मज़ा आ जाता। ख़ैर आप तो सुनिए इस गीत को..



पंजाबी माहौल दूर ही नहीं हो पा रहा क्यूँकि हम आ गए हैं कपूरों के खानदान में। कपूर एंड संस के इस गीत को सुन कर शायद आप भी बोल ही उठें, उनसे जिनसे नाराज़ चल रहे थे अब तक। कम से कम गीतकार देवेन्द्र क़ाफिर की तो यही कोशिश है। संगीतकार के रूप में यहाँ हैं पंचम के शैदाई युवा तनिष्क बागची। तनिष्क का सफ़र तो अभी शुरु ही हुआ है। आगे भी उम्मीद रहेगी उनसे। तो आइए सुनते हैं अरिजीत सिंह और असीस कौर के गाए इस युगल गीत को



जान एब्राहम गठे हुए शरीर के मालिक हैं। इस बात का इल्म उन्हें अच्छी तरह से है तभी तो अपनी फिल्म का नाम रॉकी हैंडसम रखवाना नहीं भूलते 😀। अगला गीत उनकी इसी फिल्म का है जिसमें वो रहनुमा बने हैं श्रुति हासन के। संगीतकार की कमान सँभाली है यहाँ इन्दर और सनी बावरा ने।। गीत को लिखा मनोज मुन्तसिर और सागर लाहौरी ने। ये साल श्रेया घोषाल के लिए उतना अच्छा नहीं रहा। बहुत सारे ऐसे गीत जो उनकी आवाज़ को फबते नयी गायिका पलक मुच्छल या फिर तुलसी कुमार की झोली में चले गए। ये उनकी निज़ी व्यस्तता का नतीज़ा था या फिर कुछ और ये तो वक़्त ही बताएगा। फिलहाल तो वो इस नग्मे में रूमानियत बिखेरती सुनी जा सकती हैं..



क्यूँ इतने में तुमको ही चुनता हूँ हर पल
क्यूँ तेरे ही ख़्वाब बुनता हूँ हर पल
तूने मुझको जीने का हुनर दिया
खामोशी से सहने का सबर दिया


संदीप नाथ ने एक बेहतरीन मुखड़ा दिया फिल्म दो लफ़्जों की कहानी के इस गीत में। यक़ीन मानिए अल्तमश फरीदी की गायिकी आपको अपनी ओर आकर्षित जरूर करेगी। बबली हक़ की अच्छी कम्पोजीशन जो गीतमाला से ज़रा ही दूर रह गई।


इस साल इश्क़ के नाम पर अच्छा कारोबर चलाया है मुंबई फिल्म जगत ने ने। अब ज़रा फिल्मों के नाम पर ही सरसरी निगाह डाल लीजिए लव गेम्स, वन नाइट स्टैंड, इश्क़ क्लिक, लव के फंडे, लव शगुन, इश्क़ फारएवर।  इनके गीतों को सुनकर माँ कसम लव का ओवरडोज़ हो गया इस बार तो। अब विषय मोहब्बत हो तो गीत भी कम नहीं पर गीत की मुलायमित के साथ ये गीत बालाओं की मुलायमियत भी बेचते नज़र आए। इन गीतों के दलदल से लव गेम्स का ये नग्मा कानों में थोड़ा सुकून जरूर पैदा कर गया।

क़ौसर मुनीर के शब्दों और हल्दीपुर बंधुओं संगीत और सिद्धार्थ की संगीत रचना से लव गेम्स का ये गीत निश्चय ही श्रवणीय बन पड़ा है। गीत में गायक संगीत हल्दीपुर का साथ दिया है उभरती हुई बाँसुरी वादिका रसिका शेखर ने। गीत की धुन प्यारी है और शब्द रचना भी। जरूर सुनिएगा इसे इक दफ़ा


इस साल हमारे खिलाड़ी भी अपने प्रेम प्रसंगों के साथ फिल्मों में नज़र आए। गनीमत ये रही कि धोनी और अज़हर जैसी फिल्मों के एलबम्स मेलोडी से भरपूर रहे। इन फिल्मों का एक एक गीत वार्षिक संगीतमाला का हिस्सा है। चलते चलते एम एस धोनी फिल्म का गीत आपको सुनवाता चलूँ जो गीतमाला से आख़िरी वक़्त बाहर हो गया। आवाज़ अरमान मलिक की और बोल एक बार फिर मनोज मुन्तसिर के...


साल के अंत में फिर बात करेंगे ऐसी ही और छः गीतों की जो अंतिम मुकाम से कुछ फासले पर रह गए.. क्रिसमस और शीतकालीन छुट्टियों की असीम शुभकामनाओं के साथ..
Related Posts with Thumbnails

9 टिप्पणियाँ:

Manish Kaushal on दिसंबर 25, 2016 ने कहा…

गीतमाला के लिए शुभकामनाएं :)

Manish Kumar on दिसंबर 26, 2016 ने कहा…

धन्यवाद !

Kumar Nayan Singh on दिसंबर 26, 2016 ने कहा…

बेसब्री से इन्तजार है 2016 के चुनिंदा गीतों का... छंटनीमाला प्रदर्शित होने के बाद तो इन्तजार कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है... ये गीत नहीं तो कौन सही... साभार।

Manish Kumar on दिसंबर 26, 2016 ने कहा…

हा हा हा छँटनीमाला :) अच्छा शब्द ईज़ाद किया आपने। ऐसा कुछ नहीं है अगर गीतमाला तीस पैंतीस क्रम तक चलती तो ये गीत भी शामिल हो जाते। मुझे इनमें से जब तक, जीना मरना और आवारगी की कुछ पंक्तियाँ गुनगुनाना पसंद है.

वैसे अभी तो छँटनीमाला का दूसरा हिस्सा बाकी है संगीतमाला शुरु होने के पहले..

Pooja Singh on दिसंबर 26, 2016 ने कहा…

दो गाने जो पसंद हैं मुझे वो निकाल दिए आपने

Manish Kumar on दिसंबर 26, 2016 ने कहा…

Pooja कौन से बोल ना और रहनुमा? Just guessing :)

Pooja Singh on दिसंबर 26, 2016 ने कहा…

बोलना और सोच न सके

Annapurna Gayhee on दिसंबर 26, 2016 ने कहा…

सुल्तान का पंजाबी टच का गीत भी अच्छा है

Manish Kumar on दिसंबर 26, 2016 ने कहा…

सुल्तान के तीन गीत मुझे पसंद आए पर उनमें से एक को बाहर करना पड़ा पच्चीस से.

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie