रविवार, अक्टूबर 15, 2017

जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना Songs of Chitchor : Jab Deep Jale Aana ...Part- I

रवींद्र जैन को गुजरे दो साल हो गए हैं। नौ अक्टूबर 2015 को उन्होंने हमसे विदा ली थी।  यूँ तो करीब चार दशकों के सक्रिय कैरियर में उन्होंने दर्जनों फिल्में की पर सत्तर के दशक में राजश्री प्रोडक्शन के लिए उन्होंने जो काम किया वो उनका सर्वश्रेष्ठ रहा। कल उनके उसी दौर के संगीतबद्ध गीत सुन रहा था और चितचोर पर आकर मेरी सुई जो अटकी तो अटकी ही रह गयी। ग्रामीण परिवेश में बनाई हुई एक रोमांटिक और संगीतमय फिल्म थी चितचोर। अमोल पालेकर और जरीना वहाब द्वारा अभिनीत इस फिल्म के हिट होने का एक बड़ा कारण इसका संगीत था। यूँ तो सिर्फ चार गीत थे फिल्म में पर रवींद्र जैन ने अपने बोलों और संगीत से श्रोताओं के मन में जो जादू जगाया था वो आज चार दशकों तक क़ायम है।

 
चितचोर 1976 में आई थी। तब तो मेरी संगीत सुनने की उम्र नहीं थी। पर इस फिल्म के गीतों की लोकप्रियता इतनी थी कि अस्सी के दशक में रेडियो पर कोई महीना नहीं गुजरता था जब चितचोर के गीत ना सुनाई पड़ते हों। इनमें जो गीत सबसे ज्यादा बजता था वो था गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा..। राग पलासी और लोकसंगीत को जोड़ता हुआ ये गीत येशुदास की  हिंदीभाषी जनमानस में लोकप्रियता का बड़ा बीज बो गया। गीत की धुन तो कमाल थी ही कुछ रूपक भी बेमिसाल थे मसलन रूप तेरा सादा चंद्रमा ज्यूँ आधा आधा जवाँ रे। रवींद्र जी देख तो सकते नहीं थे फिर भी अपने आस पास की प्रकृति को उन्होंने हृदय के कितना करीब से महसूस किया था वो इन पंक्तियों से सहज व्यक्त होता है

जी करता है मोर के पाँवों में पायलिया पहना दूँ
कुहू कुहू गाती कोयलिया को, फूलों का गहना दूँ
यहीं घर अपना बनाने को, पंछी करे देखो
तिनके जमा रे, तिनके जमा रे


बहरहाल ये गीत रेडियो ने मुझे इतना सुनाया कि वक़्त के साथ इस गीत से मेरा लगाव घटता चला गया। वैसे भी शहरी जीवन में ना तो गाँव के नज़ारे थे और ना ही गोरी की नज़ाकत। हाँ फिल्म के बाकी गीत जरूर दिल के ज्यादा करीब रहे। जिन दो गीतों को आज भी मैं उतने ही चाव से सुनता हूँ उनमें से एक है राग यमन पर आधारित जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना..।



यूँ तो हिंदी फिल्मों में येशुदास की आवाज़ को लाने का श्रेय रवींद्र जैन को दिया जाता है पर  रिलीज़ के हिसाब से देखें तो फिल्म छोटी सी बात जो चितचोर के पहले उसी साल जनवरी में प्रदर्शित हुई थी के गीत जानेमन जानेमन तेरे दो नयन.... से येशुदास के हिंदी फिल्म कैरियर की शुरुआत हुई थी। पर अगर आप येशुदास के सबसे लोकप्रिय गीतों का चुनाव करेंगे तो पाएँगे कि उनमें से लगभग आधे रवींद्र जैन के संगीतबद्ध किए हुए होंगे। इन दो कलाकारों के बीच बड़ा प्यारा सा रिश्ता था जिसे इसी बात से समझा जा सकता है कि रवींद्र जैन ने एक बार ख़्वाहिश ज़ाहिर की थी कि अगर उन्हें कभी देखने का अवसर मिला  तो वो सबसे पहले येशुदास को ही देखना चाहेंगे।

ये उनका प्रेम ही था कि उन्होंने अपनी सबसे अच्छी रचनाएँ येशुदास से गवायीं। वो उन्हें भारत की आवाज़ कहते थे। रवींद्र जी के लिखे संगीतबद्ध गीतों को येशुदास की आवाज़ ने एक आत्मा दी। गोरी तेरा गाँव.. में अपने गायन के लिए तो उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार तक जीता।

ये उस माहौल की बात है जब सांझ आते ही गाँव के हर घर में दीपक जल जाया करते थे।  कुछ तो है इस शाम के DNA में ।आख़िर यही तो वो वेला होती है जिसमें प्रेमी एक दूसरे को बड़ी विकलता से याद किया करते हैं। रवींद्र जी ने ऍसा ही कुछ सोचकर इस गीत का मुखड़ा दिया होगा। बाँसुरी के साथ समायोजित उनके इंटरल्यूड्स भी बेहद मधुर हैं। गीत के बोलों में वो अंतरा मुझे बेहद प्यारा लगता है जिसमें रवींद्र बड़ी रूमानियत से लिखते हैं कि मैं पलकन डगर बुहारूँगा, तेरी राह निहारूँगा..मेरी प्रीत का काजल तुम अपने नैनों में मले आना, उफ्फ दिल में कितनी मुलायमियत सँजोये था ये संगीतकार।

जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना
संकेत मिलन का भूल न जाना मेरा प्यार ना बिसराना
जब दीप जले आना ...

मैं पलकन डगर बुहारूँगा, तेरी राह निहारूँगा
मेरी प्रीत का काजल तुम अपने नैनों में मले आना
जब दीप जले आना ...


जहाँ पहली बार मिले थे हम, जिस जगह से संग चले थे हम
नदिया के किनारे आज उसी, अमवा के तले आना
जब दीप जले आना ...

नित साँझ सवेरे मिलते हैं, उन्हें देख के तारे खिलते हैं
लेते हैं विदा एक दूजे से कहते हैं चले आना
जब दीप जले आना ...


चितचोर के बाकी दो गीतों में मुझे कौन पसंद हैं वो तो आप जानेंगे इस लेख की अगली कड़ी में। फिलहाल तो ये गीत सुनिए येशुदास और हेमलता जी की आवाज़ों में...

Related Posts with Thumbnails

2 टिप्पणियाँ:

Rajesh Goyal on अक्टूबर 16, 2017 ने कहा…

एक सदाबहार मनभावन फिल्म और उसके बेहद प्यारे गीत। My all time favourite songs. इस फिल्म और इसके गीतों का प्रभाव कुछ ऐसा है जो मन को एक तरह के सुकून से भर देता है।

Manish Kumar on अक्टूबर 16, 2017 ने कहा…

बिल्कुल इस फिल्म के सारे गीत एक से बढ़कर एक हैं।

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie