मंगलवार, अक्टूबर 02, 2018

लगाया दिल बहुत पर दिल लगा नहीं.... Lagaya Dil

बहुत दिनों से एक शाम मेरे नाम पर जो चुप्पी छाई थी उसकी वज़ह थी यात्राएँ और उनकी तैयारियाँ। इस बीच में कई अच्छी फिल्में आई हैं जिनका संगीत काफी सराहा गया है। उनमें एक तो है अनु मलिक की सुई धागा जिसके कुछ गाने आप अगली वार्षिक संगीतमाला में जरूर सुनेंगे। इसी तरह पटाखा और मंटो के अलग तरह के विषयों पर आधारित होने के कारण श्रोताओं को इन फिल्मों से नया सुनने को मिल सकता है। ये तो हुई हिंदी फिल्मों की बात लेकिन आज मैं आपको एक हल्का फिल्मा गैर फिल्मी गीत सुनाने जा रहा हूँ जो सुनने में तो मधुर है ही और युवाओं को तो और भी पसंद आएगा।


ये गीत है लगाया दिल बहुत पर दिल लगा नहीं..जो इस साल अप्रैल में रिलीज़ हुआ था । गीत के बोल तो बेहद सहज थे पर मशहूर गायक सज्जाद अली की आवाज़ का जब इन शब्दों का साथ मिला तो उनका वज़न ही कुछ और हो गया। आप तो जानते ही हैं कि सज्जाद की आवाज़ का मैं शैदाई रहा हूँ। इस ब्लॉग में आप उनकी आवाज़ में गाए कुछ बेमिसाल नग्मे दिन परेशां है रात भारी है, हर जुल्म तेरा याद है भूला तो नहीं हूँ, मैंने इक किताब लिखी है, तुम नाराज़ हो पहले भी सुन चुके हैं।

सज्जाद की आवाज़ में जो ठहराव है वो श्रोताओं को अपनी ओर खींच ही लेता है। आप बस उनकी आवाज़ सुनते हैं खो जाते हैं। अपने गीतों में वो गिटार का बेहद खूबसूरत इस्तेमाल करते हैं। कई दफ़े अपने गीतों को वो लिखते भी ख़ुद हैं। इस गीत को भी उन्होंने ही लिखा और शायद अपने स्कूल और कॉलेज के उन दिनों को याद कर के लिखा होगा जब बतौर इंसान समझने की कोशिश में लगे रहते हैं कि इश्क़ आख़िर चीज़ क्या है पर उसका अक़्स समझते समझते ज़िदगी बीत जाती है। उम्र के इस दौर में युवाओं के मन में चलते उहापोह को सज्जाद ने
 इस गीत के ज़रिए टटोलना चाहा है।

लगाया दिल बहुत पर दिल लगा नहीं
तेरे जैसा कोई हमको मिला नहीं

ज़माने भर की बातें उनसे कह दीं
जो कहना चाहिए था वो कहा नहीं

वो सच में प्यार था या बचपना था
मोहब्बत हो गयी थी क्या पता नहीं

वो मुझको लग रहा था प्यार मेरा
वो जैसा लग रहा था वैसा था नहीं

ना रोया था बिछड़ने पर मैं उनके
मगर हाँ ज़िदगी में फिर हँसा नहीं

ये तोहफे हैं जो अपनों से मिले हैं 
हमें गैरों से कोई भी गिला नहीं


इस गीत की रचना के समय सज्जाद ने कुल आठ अशआर लिखे थे जिसमें तीन गीत की लंबाई को कम रखने के लिए हटा दिए गए। पर जो अशआर हटाए गए उनमें एक में सज्जाद शायर जॉन एलिया की तारीफ करते नज़र आए हैं कि उनके जैसा कुछ पढ़ा नहीं..

गलत निकला जो बचपन में सुना था
वफ़ा का अज्र मिलता है सजा नहीं

अगर कुछ रह गया है तो बता दो
कहो क्या रह गया है क्या किया नहीं

अगर पढ़ने लगो तो जॉन पढ़ना
बड़े शायर पढ़े ऍसा पढ़ा नहीं





वैसे बतौर गायक सज्जाद की आवाज़ आपको कैसी लगती है और उनका गाया आपका पसंदीदा नग्मा कौन सा है?
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20 टिप्पणियाँ:

Medicrossword on अक्टूबर 03, 2018 ने कहा…

'तुम नाराज हो' मेरा सबसे पसंदीदा गाना :)

Rajesh Goyal on अक्टूबर 03, 2018 ने कहा…

सज्जाद अली की गायिकी से मेरा परिचय तब का है जब हमारे घर में पहला टेप रिकाॅर्डर आया था और ये लगभग 1989-90 की हात है । तब दुकानदार ने सज्जाद अली के गाये हिन्दी फिल्मी गीतों का एक कैसेट साथ में दिया था । तभी से सज्जाद की आवाज और गायिकी मुझे पसंद है । सज्जाद का गाया "साहिल पे खड़े हो" मुझे सर्वाधिक पसंद है ।

Manish Kumar on अक्टूबर 03, 2018 ने कहा…

रोशन शुक्रिया अपनी पसंद बताने के लिए।

Manish Kumar on अक्टूबर 03, 2018 ने कहा…

वाह राजेश जी मतलब आप उन्हें तीन दशकों से भी ज्यादा से सुन रहे हैं। मैंने तो पहली बार उन्हें कोक स्टूडियो के माध्यम से सुना। दिन परेशां है अपने बोलों की वजह से और साहिल पर खड़े हो उनकी गायिकी की वज़ह से मेरा भी सर्वप्रिय रहा है।

yadunath on अक्टूबर 03, 2018 ने कहा…

बहुत दिनों बाद ये तुम्हारा ब्लॉग पढ़ने को मिला।बहुत अच्छा लगा।गीत,ग़ज़ल और उनके बोल तथा गायिकी का मज़ा कई गुना हो जाता है तुम्हारे ब्लॉग पर इतनी खूबसूरत चर्चा के बाद।इत्मीनान से पढ़ा और सुना ।सब कुछ बहुत बढ़िया।अब अगले ब्लॉग का इंतज़ार ।

रश्मि प्रभा... on अक्टूबर 03, 2018 ने कहा…

https://bulletinofblog.blogspot.com/2018/10/blog-post_3.html

Seema Agarwal on अक्टूबर 04, 2018 ने कहा…

मैंने आज पहली बार सुना इनको, पसंद आया

Manish Kumar on अक्टूबर 04, 2018 ने कहा…

सीमा जी आपको पसंद आया जानकर खुशी हुई।

Manish Kumar on अक्टूबर 04, 2018 ने कहा…

यदुनाथ जी इधर मैं भी दो हफ्ते बाहर रहा। आपको ये आलेख और गीत पसंद आया जानकर प्रसन्नता हुई।

Manish Kumar on अक्टूबर 04, 2018 ने कहा…

रश्मि प्रभा जी धन्यवाद !

Unknown on अक्टूबर 05, 2018 ने कहा…

सज्जाद जी की आवाज़ से मेरा परिचय आपके ब्लॉग पर हुआ...उनका गाया गीत "हर ज़ुल्म तेरा याद हे' बहुत पसंद हे... उनकी आवाज़ और उनके भाव बहुत प्रभावशाली हे...
ये जानकार ख़ुशी हुई की वो गीत भी लिखते हे... "लगाया दिल बहुत" के बोल सहज और सुन्दर हे.. और इनकी गायिकी तो हमेशा की तरह कमाल की हे... आशा हे की आप आगे भी उनके नग्मे साझा करते रहेंगे


Manish Kumar on अक्टूबर 05, 2018 ने कहा…

स्वाति जानकर अच्छा लगा। हर जुल्म तेरा याद है मुझे भी बेहद पसंद है। हाँ उनके नए गीतों पर हमेशा मेरी नज़र बनी रहती है सो उनकी आवाज़ से राब्ता बना रहेगा इस ब्लॉग पर।

Unknown on जनवरी 27, 2021 ने कहा…

Bahot hi khoobsurat asaar hai .. sakoon milta hai sunne baad. Behad shukriya aapka

BAZM A BINKI on जून 05, 2021 ने कहा…

मनीष भाई नमस्कार
आपका ब्लॉग देख कर अच्छा लगा
सज्जाद अली गायकी की खूबसूरती उसके ठहराव में है और जो बहुत बड़ी गहराई लिए है

Saurabh nigam on अगस्त 24, 2022 ने कहा…

मैंने भी सज्जाद अली जी को पहली बार कोक स्टूडियो के माध्यम से सुना था ,"साहिल पे खड़े हो तुम्हें क्या गम चले जाना" और पहली ही बार में मेरे पसंदीदा गायक और ये गाना पसंदीदा गानों में से एक बन गया । इसके बाद "मैंने एक किताब लिखी हैं" सुना। इनके हर गाये हुए गाने मुझे बेहद पसंद हैं ।
सज्जाद जी एक वर्सेटाइल सिंगर हैं । उनकी मखमली आवाज का हर कोई दीवाना हैं।

Manish Kumar on अगस्त 24, 2022 ने कहा…

@Bazm E Binki जानकर खुशी हुई। गीत ग़ज़लों का उनका चयन, मधुर धुन, उनकी आवाज़ और गायिकी में ठहराव ऐसा बहुत कुछ है जो अपनी ओर खींचता है।

Manish Kumar on अगस्त 24, 2022 ने कहा…

@Saurabh Nigam सज्जाद अळी की आवाज़ से मेरी पहली मुलाकात उनके मर्मस्पर्शी गीत दिन परेशां है, रात भारी है से हुई थी। उसके बाद उनके गाए सभी प्रमुख गीतों की चर्चा मैंने इस ब्लॉग पर की है जिसका आपने जिक्र भी किया है। पिछले साल उनके एक पंजाबी लोकगीत रावी पर भी विस्तार से यहाँ लिखा था। शायद वो आपको भी पसंद आए।

Manoj Kumar Shiv on दिसंबर 04, 2022 ने कहा…

इनका रावी गाना भी बहुत शानदार है।

बेनामी ने कहा…

वफ़ा का अज्र मिलता है सज़ा नहीं. कृपया इसका अर्थ क्या है?

Manish Kumar on अक्टूबर 18, 2023 ने कहा…

@Unknown इसका अर्थ है कि बचपन में जो सुना था कि वफ़ा करने पर उसका इनाम मिलता है सजा नहीं पर वास्तविक ज़िंदगी में तो ये बात गलत ही साबित हुई।

 

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