वार्षिक संगीतमाला की इन सीढ़ियों पर अगला गीत फिल्म धड़क से जिसे शायद ही पिछले साल आपने रेडियो या टीवी पर ना सुना हो। मराठी फिल्म सैराट के हिंदी रीमेक धड़क पर वैसे ही सिनेप्रेमियों की नज़रे टिकी हुई थीं। करण जौहर अपने द्वारा निर्मित फिल्मों के प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ते और यहाँ तो दो नए चेहरों का कैरियर दाँव पर लगा था जिसमें एक चेहरा मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी की पुत्री जाह्न्वी का था। निर्माता निर्देशक ने संगीत की जिम्मेदारी अजय अतुल की जोड़ी पर सौंपी थी जिन्होंने इसके पहले मूल मराठी फिल्म सैराट का भी संगीत दिया था। इंटरनेट के इस ज़माने में सैराट गैर हिंदी हलकों में भी इतनी देख ली गयी थी कि उसके गीतों की धुन से बहुत लोग वाकिफ़ थे। अजय अतुल पर दबाव था कि इस फिल्म के लिए कुछ ऐसा नया रचें जिससे धड़क फिल्म के संगीत को सैराट से एक पृथक पहचान मिले।
जिन्होंने अजय अतुल के संगीत का पिछले एक दशक में अनुसरण नहीं किया है उनको बता दूँ कि वे मराठी फिल्मों में एक जाना माना नाम रहे हैं। मेरा उनके संगीत से पहला परिचय 2011 में सिंघम के सुरीले गीत बदमाश दिल तो ठग है बड़ा से हुआ। फिर 2012 में अग्निपथ में सोनू निगम के गाए गीत अभी मुझ में कहीं, बाकी थोड़ी सी है ज़िंदगी से उन्होंने खास वाह वाहियाँ बटोरीं। फिर तीन साल बाद 2015 में सोनू निगम ने उनके लिए उनके भावपूर्ण गीत सपना जहाँ दस्तक ना दे से फिर उन्होंने मेरी संगीतमाला में दस्तक दी़। एक बार फिर तीन साल के अंतर पर वो पिछले साल धड़क, जीरो और ठग्स आफ हिंदुस्तान जैसी फिल्मों में कहीं थोड़ा कम कहीं थोड़ा ज्यादा कमाल दिखाते नज़र आए। रोमांस पर उनकी पकड़ गहरी रही ही है, साथ ही चिकनी चमेली, सुरैया व झिंगाट जैसे डांस नबरों से वो लोगों को झुमाने की काबिलियत रखते हैं।
महाराष्ट्र के पुणे, जुन्नार व शिरूर जैसे शहरों में पले बढ़े अजय और अतुल गोगावले जिस परिवार से आते हैं उसका संगीत से कोई लेना देना नहीं था। गोगावले बंधुओं की कठिन आर्थिक परिस्थितियों का मैंने पहले भी जिक्र किया है पर उनकी कथा इतनी प्रेरणादायक है कि उसे बार बार दोहराने की जरूरत है। छात्र जीवन में उनके पास कैसेट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। जहाँ से जो संगीत सुनने को मिलता उसके लिए वे अपने कान खुले रखते वे अक्सर ऐसे लोगों को अपना मित्र बनाते जिनके पास पहले से कोई वाद्य यंत्र हो ताकि उनसे माँग कर उसे बजाना सीख सकें। स्कूम में अजय गोगावले गाया करते तो अतुल हारमोनियम सँभालते। फिर उन्होंने पुणे में ही टीवी सीरियल और जिंगल के लिए संगीत देने का काम करना शुरु किया। तब निर्माताओं के यहाँ वो साइकिल पर हारमोनियम चढ़ा कर जाया करते थे। कभी कभी तो उन्हें अपनी धुनों को वाद्य यंत्र के अभाव में मुँह से सुनानी पड़ती थी। उनके संगीत प्रेम को देखते हुए पिता ने उधार के पैसों से उन्हें कीबोर्ड ला कर दिया।
अजय और अतुल गोगावले |
उनके संगीत में मराठी लोक संगीत और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है। छोटे शहरों से आगे निकल कर बढे इन भाइयों को पश्चिमी शास्त्रीय संगीत से कैसे लगाव हुआ उसकी चर्चा संगीतमाला में आगे करेंगे। अजय अतुल ने सैराट बनाते समय जिन धुनों पर मेहनत की थी उन्हीं में से एक पर उन्होंने दोबारा काम करना शुरु किया जो कि धड़क के शीर्षक गीत के रूप में इस शक़्ल में सामने आया।
अग्निपथ की सफलता के बाद से अजय अतुल ने अपने गीत लिखवाने के लिए अमिताभ भट्टाचार्य का दामन नहीं छोड़ा है और अमिताभ हर बार उनके इस विश्वास पर खरे उतरे हैं। देखिए कितना खूबसूरत मुखड़ा लिखा उन्होंने इस गीत के लिए
एक दूजे के लिए हैं, नींद मेरी ख्वाब तेरा
तू घटा है फुहार की, मैं घड़ी इंतज़ार की
अपना मिलना लिखा इसी बरस है ना..
जो मेरी मंजिलों को जाती है
तेरे नाम की कोई सड़क है ना
जो मेरे दिल को दिल बनाती है
तेरे नाम की कोई धड़क है ना
जिसे गीत की हुक लाइन (या यूँ कह लीजिए कि श्रोताओं को फाँस कर रखने वाली पंक्ति) बोलते हैं वो तो कमाल ही है जो मेरी मंजिलों को जाती है तेरे नाम की कोई सड़क है ना..जो मेरे दिल को दिल बनाती है..तेरे नाम की कोई धड़क है ना। फिल्म का नाम भी आ गया और बोल भी दिल के आर पार हो गए। गीत की इतनी अच्छी शुरुवात कि गायिका श्रेया घोषाल को भी कहना पड़ा कि ये गीत कानों को वैसा ही सुकून देता है जैसे तपती धरती को उस पर गिरती बारिश की पहली बूँदें देती हैं ।
जैसे ही मुखड़ा खत्म होता है वैसे ही पियानो की टुंगटुंगाहट और पीछे बजते वॉयलिन के स्वर आपको गीत की मेलोडी में बहा ले जाते हैं और उसी के बीच श्रेया की मीठी आवाज़ आपके कानों में पड़ती है।
कोई बांधनी जोड़ा ओढ़ के
बाबुल की गली आऊँ छोड़ के
तेरे ही लिए लाऊँगी पिया
सोलह साल के सावन जोड़ के
प्यार से थामना.. डोर बारीक है
सात जन्मों की ये पहली तारीख है
डोर का एक मैं सिरा
और तेरा है दूसरा
जुड़ सके बीच में कई तड़प है ना
जो मेरी मंजिलों को जाती है
तेरे नाम की कोई सड़क है ना
जो मेरे दिल को दिल बनाती है
तेरे नाम की कोई धड़क है ना
बीच के अंतरे मुखड़ों जैसे प्रभावी तो नहीं है पर गीत का मूड बनाए रखते हैं। गीत का समापन संगीतकार बाँसुरी की मधुर स्वरलहरी से करते हैं। अजय गोगावले की आवाज़ की बनावट में एक नयापन है। वैसे भी आजकल का चलन ही ये है कि संगीतकार अगर गायक भी हो तो अपनी धुनों को ख़ुद गाना पसंद करता है। तो आइए एक बार फिर सुनें इस गीत को।
वार्षिक संगीतमाला 2018
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
6 टिप्पणियाँ:
बेहद मधुर गीत। इसका संगीत संयोजन कहीं कहीं जीरो फिल्म के "जब तक जहाँ में सुबह शाम हैं" की याद दिलाता है।
अजय अतुल के आर्केस्टा में वॉयलिन बड़ी प्रमुखता से बजता है। सलिल चौधरी की तरह उनकी धुनें यूरोपीय शास्त्रीय सिम्फनी से बहुत प्रभावित रही हैं। इसलिए उनके कई गीतों में इसका अक़्स मिलता रहता है। इस बारे में आगे फिर चर्चा होगी इस गीतमाला में।
चलिये, एक और। इंट्री के हिसाब से प्रतिशत बुरा नहीं है। 🙂
हाँ, बिल्कुल बुरा नहीं है।
सिम्फनी वाली बात सही पकड़ी है आपने. अच्छे बोल. अजय की आवाज... मैंने फ़िल्म तो नही देखी ... फ़िल्म के हीरो पे तो सूट नही करती.
मैंने भी फिल्म नहीं देखी। हाँ नायक थोड़ा छोटे हैं इस आवाज़ के लिए।
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