रविवार, जनवरी 27, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान # 3 : ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू Ae Watan

राज़ी के संगीत के बारे में कुछ बातें संगीतमाला में इसी फिल्म के गीत दिलबरो की चर्चा करते हुए पहले भी हुई थी । राज़ी के प्रोमो के समय अरिजीत की आवाज़ में पहली बार ये गीत सुनाई दिया और कुछ दिनों में ही ये हम सब की जुबाँ पर था। फिल्म में देखते हुए भी इसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शंकर एहसान लॉय की मधुर धुन, गुलज़ार के सहज पर दिल को छूते शब्द और अरिजीत की जबरदस्त गायिकी, इन सबका सम्मिलित प्रभाव आम जनमानस पर ऐसा पड़ा कि ये गीत इतनी जल्दी मकबूलियत की सीढ़ियाँ चढ़ता गया। 

इसके पक्ष में एक बात ये भी रही कि बहुत सालों से हिंदी फिल्म उद्योग ने देशभक्ति का ऐसा सुरीला गान नहीं रचा था इसलिए लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया।


संगीतकार तिकड़ी शंकर एहसान लॉय ने फिल्म के लिए इस गीत के दो वर्सन बनाए। अरिजीत की आवाज़ वाला गीत फिल्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल हुआ जबकि सुनिधि चौहान की आवाज़ का प्रयोग फिल्म की कहानी में किया गया। यूँ तो अरिजीत और सुनिधि दोनों ने ही इस गीत को बखूबी निभाया है पर इस गीत को गाते हुए अरिजीत इसलिए बेहतर लगे क्यूँकि उन्होंने इस नग्मे के ऊँचे सुरों को सुनिधि की अपेक्षा बड़ी सहजता से साधा।

संगीतकार तिकड़ी ने गीत के दोनों रूपों में संगीत भी बदल दिया। जहाँ अरिजीत सिंह वाला वर्सन पश्चिमी आर्केस्ट्रा, ड्रम्स और पुरुष कोरस के साथ आगे बढ़ता है वहीं फिल्म में इस्तेमाल गीत में लोकसंगीत वाला तड़का है और इसी वज़ह से इंटरल्यूड्स में तापस दा एक बार फिर रबाब और मेंडोलिन की मधुर तान के साथ सुनाई पड़ते हैं। 

शंकर एहसान लॉय 
इस गीत के बारे में गुलज़ार कहते हैं कि जब वे बचपन मे् स्कूल में पढ़ते थे तो उन्हें प्रार्थना के रूप में इकबाल की ये कविता सुनाई जाती थी। बरसों बाद जब उन्हें देशप्रेम से जुड़ा गीत लिखने का मौका मिला तो उन्होंने इसकी शुरुआत इकबाल की इन पंक्तियों से शुरु करने का सुझाव दिया। 

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शम्मा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी

सुझाव अच्छा था क्यूँकि गीत पाकिस्तान के स्कूल में प्रार्थना की तरह आता है। रही इकबाल साहब की बात तो ये वही मशहूर कवि इकबाल हैं जिन्होंने एक ज़माने में सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा  लिखा था। ये बात अलग है कि वो बाद में अलग देश बनाने के हिमायती हो गए।

एक व्यक्ति के लिए देशप्रेम क्या है गुलज़ार ने यही दिमाग में रखते हुए गीत के बोल लिखे हैं  इसलिए हम सभी इस गीत से अपने आप को बड़ी आसानी से जोड़ लेते हैं। उनका एक ही पंक्ति में जहाँ के साथ जहां (विश्व) का इस्तेमाल अच्छा लगता है। गीत की धुन बोल लिखने के बाद बनाई गयी और आपको जानकर अचरज होगा कि इसे बनाने में संगीतकार तिकड़ी ने सिर्फ पाँच मिनट का वक़्त लिया। शंकर एहसान लॉय कहते हैं कि ये एक ऐसा गीत है जो आपको अपने मुल्क की याद विश्व के किसी भी कोने में दिलाता रहेगा। 

इस गीत के दोनों ही रूपों में कोरस की भी अच्छी भूमिका रही है। शंकर महादेवन संगीत की एकाडमी चलाते हैं और वहीं के बच्चों ने सुनिधि के साथ कोरस में साथ निभाया। तो चलिए बारी बारी से सुनते हैं इन गीतों के दोनों रूप.. पहले अरिजीत और फिर सुनिधि व साथियों की आवाज़ों में


ऐ वतन.मेरे वतन. आबाद रहे तू आबाद रहे तू.. आबाद रहे तू
ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
मैं जहाँ रहूँ जहां में याद रहे तू 
ऐ वतन.. मेरे वतन ऐ वतन.. मेरे वतन

तू ही मेरी मंजिल है, पहचान तुझी से
तू ही मेरी मंजिल है, पहचान तुझी से
पहुँचूँ मैं जहाँ भी मेरी बुनियाद रहे तू
पहुँचूँ मैं जहाँ भी मेरी बुनियाद रहे तू
ऐ वतन.. मेरे वतन.. आबाद रहे तू..

तुझपे कोई गम की आँच आने नहीं दूँ
तुझपे कोई गम की आँच आने नहीं दूँ
कुर्बान मेरी जान तुझपे शाद रहे तू ..
ऐ वतन.. मेरे वतन.. आबाद रहे तू..



वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां
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25 टिप्पणियाँ:

पूजा सिंह on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

ये मेरा भी पसंदीदा

Manish Kumar on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

जानकर खुशी हुई।

Pratima Sharan on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

Bahut sunder geet hai💐💐

Manish Kumar on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

हाँ प्रतिमा सहज और दिल को छूने वाला। :)

Pratima Sharan on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

Jee, ekdam sahi kaha aapne.

Vishwa Deepak on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

सबसे बड़ी बात है कि यह गीत किसी एक खास मुल्क के लिए नहीं है। फिल्म के सिचुएशन में यह गीत आलिया हिन्दुस्तान तो वहीं बच्चे पाकिस्तान के लिए गा रहे हैं।

Manish Kumar on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

कभी कभी देशभक्ति के गीतों में कुछ आंचलिक बातें आ जाती हैं पर मेरी समझ से यही गीत क्या मेरे देश की धरती सोना उगले से लेकर लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी तक ज्यादातर देशभक्ति गीत अपने अपने देश से प्रेम के लिए गाए जा सकते हैं।

Vishwa Deepak on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

Mere Desh ki dharti me Gandhi Subhash, Tagore Tilak ka zikr hai.

Manish Kumar on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

मैंने लिखा तो है कि कुछ आंचलिक बातें आ जाती हैं। मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूँ कि सिर्फ इसी गीत में ऐसी खूबी नहीं है। मसलन इकबाल वाली रचना में आपको कुछ ऐसा मिला? सारे देशभक्ति के गीतों को इकठ्ठा करेंगे तो आपको ख़ुद ही ऐसे बहुतेरे गीत मिलेंगे।

एक शहीद फिल्म का प्यारा सा गाना याद आ रहा है वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो. राजा मेहदी अली खाँ का। वो भी इस गीत की तरह यूनिवर्सल अपील रखता है।

Smita Jaichandran on जनवरी 27, 2019 ने कहा…

Yeh geet humein bhi kaafi pasand hai

Sumit on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

रोंगटे खड़े कर देने वाला गीत! ऐसा प्रभाव होता है देशभक्ति के गीत का. लेक़िन रोजा फ़िल्म के 'भारत हमको जान से प्यारा है' के बाद का सबसे प्रभावशाली गीत यही नज़र आता है. पुरानी फिल्मो मे कितने सारे ऐसे गीत आते रहते थे. क्या देशभक्ति दिखाने का अंदाज़ बदल गया है?

Sumit on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

सही बात है.

Manish Kumar on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

स्मिता जान कर खुशी हुई।

Manish Kumar on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

इधर ज्यादा देशभक्ति के गीत बने भी नहीं हैं सुमित पर नए गीतों में ये गीत सालों साल गाया जाएगा इसका मुझे यकीन है।

Swati Gupta on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

इस गीत को पसंद करने की दो वजह थी। पहली ये की बहुत दिनों बाद कोई देशभक्ति वाला गीत सुनने को मिला और दूसरा इसके बोल, ख़ासकर उर्दू शब्दों का सुंदर इस्तेमाल । मुझे खुशी है कि मेरा गीत तीसरे पायदान पर आया ।

Manish Kumar on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

हाँ स्वाति उर्दू भी बेहद सहज और धुन तो ही थी दिल छूने वाली :) । फिर अरिजीत की आवाज़। वैसे आपको इस साल का और कोई गीत सच में पसंद नहीं आया?

Manish on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

सर भरोसा नहीं होता की इतना सुरीला गीत सिर्फ पाँच मिनट में तैयार हुआ है!! दोनों वर्सन बेहतरीन हैं।

Manish Kumar on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

मनीष गीत की धुन सिर्फ पाँच मिनट में बनी थी ये एहसान ने एक साक्षात्कार में बताया था। मुझे अरिजीत की ऊँचे सुरों की पकड़ और सुनिधि वाले में बच्चों का गायन ज्यादा भाता है। :)

Swati Gupta on जनवरी 29, 2019 ने कहा…

राज़ी और धड़क के गीत बहुत अच्छे है इनके अलावा इस साल का कोई गीत इतने ध्यान से नहीं सुना कि अपनी पसंद नापसंद बता पाती। पर आपकी वार्षिक संगीतमाला के सभी गीत में जरूर सुनूँगी।।

kapil jain on जनवरी 29, 2019 ने कहा…

This is surely one of the best patriotic songs in the recent years after Vande mataram by A R Rahman. Like Vande Mataram this song also gives you goosebumps specially the Arijit Singh version. The base and feel in his voice makes the difference.

मन्टू कुमार on जनवरी 30, 2019 ने कहा…

ये गाना मुझे बढ़िया लगा। धुन में वाद्य यंत्र की एक दूसरे पर ओवरलैपिंग जमती है।

'एयरलिफ्ट' फ़िल्म का 'तू भूला जिसे' को मैं इससे ऊपर रखूँगा पर, अगर रखना पड़ा तो :)

Ankit Joshi on जनवरी 31, 2019 ने कहा…

एक बेहद सुरीला और रोमांचित कर देने वाला गीत, गुलज़ार साहब ने लफ़्ज़ों को बहुत साध के पिरोया है। इसमें देशभक्ति की भावना मद्धम तरीके से आती है लेकिन गहरे से छू जाती है। अरिजीत वाला वर्जन मुझे भी अच्छा लगा।
वैसे जिस इंटरव्यू में शंकर-एहसान-लॉय इसके बारे में बता रहे हैं, उसमें शंकर इस गीत को गाकर सुनाते हैं....मैं उसी वक़्त सोच रहा था, शंकर की आवाज़ में ये कैसा होता।

Manish Kumar on जनवरी 31, 2019 ने कहा…

Ankitशंकर भी अच्छा ही गाते पर अरिजीत ने अब अच्छा गा दिया है। बाकी तुमने जो कहा उससे सहमत हूँ।

Manish Kumar on जनवरी 31, 2019 ने कहा…

अपनी राय ज़ाहिर करने का शुक्रिया मंटू।

Manish Kumar on जनवरी 31, 2019 ने कहा…

Kapil वंदे मातरम से बेहतर लगता है मुझे ये गीत। सहमत हूँ अरिजीत की गायिकी के बारे में।

 

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