रंगों की दुनिया मुझे बेहद पसंद है। हर रंग का हमारे दिलो दिमाग पर एक अलग असर होता है। कुछ रंग हमारी कमज़ोरी होते हैं और उनसे रँगे साजो समान हमें तुरत फुरत में पसंद आ जाते हैं जबकि कुछ को देख कर ही हम अपनी नाक भौं सिकोड़ने लगते हैं।
रंगों से हमारी मुलाकात बचपन में प्रतीकों के तौर पर करायी गयी थी। सफेद रंग शांति का तो काला शोक का। लाल को गुस्से से तो नीले को सौम्यता से जोड़ कर देखा गया। कभी कभी मन में सवाल उठता है कि रंगों की दुनिया क्या इतनी सहज और एकरूपी है? सच पूछिए तो हर रंग एक आईने की तरह है। देखनेवाला उसे जिस भावना से देखे वही अक़्स उस रंग में नज़र आने लगता है।
रंगों से हमारी मुलाकात बचपन में प्रतीकों के तौर पर करायी गयी थी। सफेद रंग शांति का तो काला शोक का। लाल को गुस्से से तो नीले को सौम्यता से जोड़ कर देखा गया। कभी कभी मन में सवाल उठता है कि रंगों की दुनिया क्या इतनी सहज और एकरूपी है? सच पूछिए तो हर रंग एक आईने की तरह है। देखनेवाला उसे जिस भावना से देखे वही अक़्स उस रंग में नज़र आने लगता है।
आधुनिक हिंदी कविता के जाने माने हस्ताक्षर कुँवर नारायण ने एक कविता लिखी थी उदासी के रंग। अब शायद ही जीवन का कोई हिस्सा हो जहाँ उल्लास के साथ उदासी का रंग ना फैला हो। ऐसे ही उदास मन से कुँवर नारायण ने जब अपने आसपास की प्रकृति को देखा तो उन्हें क्या नज़र आया पढ़िए व सुनिए मेरी आवाज़ में..
एक पक्का रंग है जीवन का
उदासी के भी तमाम रंग होते हैं
जैसे
फ़क्कड़ जोगिया
पतझरी भूरा
जैसे
फ़क्कड़ जोगिया
पतझरी भूरा
फीका मटमैला
आसमानी नीला
वीरान हरा
बर्फ़ीला सफ़ेद
बुझता लाल
बीमार पीला
आसमानी नीला
वीरान हरा
बर्फ़ीला सफ़ेद
बुझता लाल
बीमार पीला
कभी-कभी धोखा होता है
उल्लास के इंद्रधनुषी रंगों से खेलते वक्त
कि कहीं वे
किन्हीं उदासियों से ही
छीने हुए रंग तो नहीं हैं ?
उल्लास के इंद्रधनुषी रंगों से खेलते वक्त
कि कहीं वे
किन्हीं उदासियों से ही
छीने हुए रंग तो नहीं हैं ?
13 टिप्पणियाँ:
सुंदर प्रस्तुति । आदरणीय मनीष जी शुभकामनाएं स्वीकार करें ।
शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया पुरुषोत्तम।
वाह अलहदा सी अभिव्यक्ति सुघड़ गहरी ।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सरदार हरि सिंह नलवा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
आदरणीय मनीष जी बहुत ही भावपूर्ण और सार्थक रचना चुनी आपने | माननीय कविराज की ये रचना पढ़कर और आपकी आवाज में सुनकर बहुत आनन्द हुआ | आपको हार्दिक आभार और शुभकामनायें |
वाह!!!
बहुत ही उत्कृष्ट...
बहुत ही भावपूर्ण कविता.... और साथ ही सुंदर अभिव्यक्ति
कुँवर नारायण की कविता की मेरी आवाज़ में इस प्रस्तुति को "5 लिंको की हलचल" पर स्थान देने के लिए धन्यवाद कुलदीप !
कुसुम जी व सुधा जी ये कविता आप सब के मन को भी भायी जान कर अच्छा लगा।
ब्लॉग बुलेटिन में इसे शामिल करने केलिए आभार हर्षवर्धन !
रेणु जी व स्वाति आप दोनों को भी कुँवर जी की ये कविता और मेरी प्रस्तुति पसंद आई जान कर खुशी हुई।
Very beautiful.
Takes me so deep
एक टिप्पणी भेजें