मंगलवार, मई 14, 2019

कैसे बना अराधना का सदाबहार नग्मा 'रूप तेरा मस्ताना'? Story Behind 'Roop Tera Mastana'

इस साल सितंबर में राजेश खन्ना व शर्मिला टैगोर की कालजयी फिल्म अराधना को पचास साल हो जाएँगे। इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा के दो महान कलाकारों की किस्मत बदल कर रख दी थी। फिल्म के नायक राजेश खन्ना इसी फिल्म की बदौलत स्टारडम की सीढियाँ चढ़ते हुए सुपरस्टार बन गए वहीं इस फिल्मों के गीतों की वज़ह से किशोर कुमार का सितारा ऐसा चमका कि वे सत्तर के दशक में सबसे लोकप्रिय गायक का मुकाम हासिल करने में सफल हुए। इन दोनों को शोहरत की बुलंदियों तक पहुँचाने में पर्दे के पीछे दो किरदार थे। फिल्म के निर्देशक शक्ति सामंत और संगीतकार सचिन देव बर्मन।

आज भी इस फिल्म के सारे गाने उतने ही प्यार से सुने जाते हैं जितने दशकों पहले सुने जाते थे। मेरे सपनों की रानी, कोरा काग़ज़ था ये मन मेरा, सफल होगी तेरी अराधना, बागों में बहार है, गुनगुना रहे हैं भँवरे, चंदा है तू मेरा सूरज है तू जैसे तमाम गीत आज भी रेडियो के विविध चैनलों में अक्सर सुनाई दे जाते हैं।


इसी फिल्म का एक और मस्ती से भरा गीत था रूप तेरा मस्ताना जिसकी बीट्स पर शायद ही कोई ऐसा हो जिसने ठुमके ना लगाए हों।  फिल्म सचिन दा की झोली में कैसे आई? ये गीत कैसे अपनी अंतिम शक्ल में आया? इन सब के पीछे एक रोचक दास्तां छिपी है। तो चलिए आज इस गीत की याद दिलाने के साथ इन किस्सों से भी आप सबको रूबरू करा दूँ

अराधना के रिलीज़ होने के दो साल पहले शक्ति सामंत की फिल्म An evening in Paris रिलीज़ हुई थी। फिल्म में शंकर जयकिशन का संगीत जबरदस्त हिट हुआ था तो ये ज़ाहिर सी बात लग रही थी कि अगली फिल्म में भी शक्ति दा शंकर जयकिशन का ही दामन थामेंगे। इसीलिए जब एक सुबह अपने सहयोगियों के साथ शक्ति दा सचिन देव बर्मन के घर पहुँचे तो दादा उन्हें देख कर चकित हुए। खागेश देव बर्मन सचिन दा पर लिखी अपनी किताब The world of his music में लिखते हैं कि

"शक्ति सामंत ने सचिन दा से कहा कि मैं इक कम बजट की फिल्म बना रहा हूँ। शंकर जयकिशन को रखना इस बजट में मेरे लिए मुश्किल है इसलिए आप के पास आया हूँ कि अगर आप...
सचिन दा बिफर उठे कि तुम मुझसे कम पैसों में काम कराना चाहते हो? बजट कम है  इसलिए मेरे पास आए हो, ऐसा सुनकर मुझे अच्छा लगेगा क्या? ये सब कहने के बजाए इतना नहीं कह सकते थे कि मुझसे संगीत निर्देशन करवाना चाहते हो?
सचिन दा पैसों के बारे में बात नहीं करते थे। पैसों का मोलभाव करना उन्हें राजसी परिवेश में पले बढ़े होने की वजह से अपनी शान के खिलाफ लगता था। पर उस दिन वो बोल उठे।
चलो ठीक है पिछली फिल्म में तुमने मुझे 75000 रुपये दिए थे। इस बार मैं 80000 रुपये लूँगा।
शक्ति सामंत ने पूरी विनम्रता से उन्हें उत्तर दिया - सर इस मद में फिल्म में एक लाख का प्रावधान है।
सचिन दा एकदम से प्रफुल्लित हो उठे। बोले एक लाख! तुम देखना इस फिल्म का संगीत ख़ुद अपनी आवाज़ बनेगा, सारे रिकार्ड तोड़ देगा।"
सचिन दा, शक्ति सामंत, राजेश खन्ना और पंचम के साथ
जैसा सचिन दा ने कहा था वैसा बाद में हुआ भी। फिल्म तो सचिन दा ने ले ली और उसके गीत बनने शुरु हुए।रूप तेरा मस्ताना गीत किस तरह अपने अस्तित्व में आया इसके पीछे दो अलग अलग मत हैं। एक तो वो जो किशोर कुमार के पुत्र अमित कुमार, संगीत से जुड़े कार्यक्रमों में बताते रहे हैं और दूसरा ब्रजेन विश्वास का कथ्य जो सचिन की टीम के तबला वादक रहे। ब्रजेन विश्वास की बात का जिक्र खागेश देव बर्मन ने भी अपनी किताब में भी किया है। खागेश जी  ने ब्रजेन विश्वास के हवाले  इस प्रसंग की चर्चा अपनी किताब में कुछ यूँ की है

एक बार जब सचिन दा मुंबई से कोलकाता आए तो अपने घर में हारमोनियम बजाते हुए बोल उठे कि जानते हो शक्ति ने मुझे अपनी फिल्म में संगीत  निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपी है। उसमें मुझे एक सेक्सी नंबर भी करना है। 
उसी के बारे में सोच रहा था कि मुझे ख्याल आया कि एक बार मैं अपने मित्र के घर गया था। बहुत देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद वो निकला तो उसने कहा कि क्षमा करें दादा मैं अपने बेटे की शादी कर रहा हूँ इसीलिए उसे धोती पहना रहा था । वहीं एक छोटी लड़की मिट्टी के चूल्हे से खेल रही थी। जब उसने शादी वाले बालक को देखा तो जोर से हँस पड़ी और बोली तुम इस छोटे बच्चे की शादी करोगे? लड़के के  पिता ने कहा कि हाँ अभी इसलिए कर रहा हूँ कि आगे जा के ये बिगड़ न जाए। ये सुनकर वो लड़की हँसी और गाने लगी 
कालके जाबो ससुर बाड़ी, आजके खाइ गारा गरी
(यानी कल ससुराल जाना है इसलिए मैं आज खुशी से झूम रही हूँ) 
शक्ति दा की बात सुनकर मुझे यही गाना याद आ गया। मैं इसी गीत का टेंपो कम करके किशोर को गाने को कहूँगा। रही सेक्सी बनाने की बात तो गीत के बीच किशोर को गहरी साँसों के साथ आहें भरने को बोलूँगा।

सचिन दा ने जो धुन बनाई उसका कलेवर आंचलिक था। अमित कुमार के हिसाब से वो भटियाली था। गीत की परिस्थितियों से ये धुन जम नहीं रही थी। किशोर दा और पंचम दोनों ही ये महसूस कर रहे थे। अंत में हिम्मत बाँध कर पंचम ने अपने स्टाइल में कालके जाबो ससुर बाड़ी को संगीतबद्ध किया और पिता को सुनाया। सचिन दा को भी वो धुन पसंद आई और  आनंद बक्षी के बोलों की मदद से ये गीत अपना अंतिम स्वरूप ले पाया।

अमित कुमार इस प्रसंग का जिक्र कुछ दूसरी तरह से करते हैं पर उनके कथन से ज्यादा विश्वसनीयता ब्रजेन विश्वास की बातों में लगती है। बहरहाल अमित किस तरह सचिन दा की मूलधुन का जिक्र करते हैं वो देखने लायक है।

 

गायक भूपेंद्र का कहना है कि रूप तेरा मस्ताना की धुन सचिन दा की ही थी। अमित कुमार भी यही कहते हैं। धुन भले ही सचिन दा की हो पर जिस तरह के संगीत संयोजन के लिए पंचम जाने जाते थे उसकी स्पष्ट झलक इस गीत के प्रील्यूड और इंटरल्यूड में सुनाई देती है।

कॉलेज के ज़माने में किशोर कुमार के गाए चुनिंदा गीतों को मैंने कैसेट में रिकार्ड करवाया था। ये गीत साइड A का पहला गीत हुआ करता था। किशोर दा की आवाज़ और पश्चिमी वाद्यों की सुरीली धमक युवा मनों को मस्ती के रंग में ऐसी तरंगित कर देती थी कि आगे के गाने सुनने के बजाए इसी गाने को रिपीट मोड में बारहा बजाया जाता था। तो चलिए एक बार और सुनते हैं ये गीत..

रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना 
भूल कोई हमसे ना हो जाये

रात नशीली मस्त समा है 
आज नशे में सारा जहाँ है
आए शराबी मौसम बहकाए  
रूप तेरा मस्ताना....

आँखों से आँखें मिलती हैं ऍसे 
बेचैन हो के तूफ़ाँ में जैसे
मौज कोई साहिल से टकरा
रूप तेरा मस्ताना...

रोक रहा है हमको ज़माना 
दूर ही रहना पास ना आना
कैसे मगर कोई दिल को समझाए ...
रूप तेरा मस्ताना...
Related Posts with Thumbnails

9 टिप्पणियाँ:

HARSHVARDHAN on मई 15, 2019 ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 112वीं जयंती - सुखदेव जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Manish Kumar on मई 15, 2019 ने कहा…

शुक्रिया मेरे आलेख को आज की बुलेटिन में जगह देने के लिए।

कंचन सिंह चौहान on मई 18, 2019 ने कहा…

बड़ी प्यारी बातें बता रहे हैं आप

Manish Kumar on मई 18, 2019 ने कहा…

कंचन आलेख आपको पसंद आया जान कर खुशी हुई ।

संदीप द्विवेदी on मई 18, 2019 ने कहा…

🎶किशोर दा ने ख़ुद कहा था कि सचिन दा की एक बांग्ला धुन को उन्होंने इस गीत के लिए प्रयोग करने को मना लिया था। बड़ा रोचक क़िस्सा है❤️।

Manish Kumar on मई 18, 2019 ने कहा…

संदीप द्विवेदी अमित कुमार यही कहते हैं जबकि खागेश अपनी किताब में लिखते हैं कि सचिन दा ने उसी गीत कालके जाबो ससुर बाड़ी की धुन को ही चुना था रूप तेरा मस्तानाके लिए , बस धुन में थोड़ी फेर बदल पंचम की मदद से की गयी थी।

Pavan Bhawsar on मई 29, 2019 ने कहा…

सचिनदेव बर्मन सदैव क्रिएटिव रहें, अपने समकालीन संगीतकारों में सबसे अधिक उम्र लिए हुए।
उनका संगीत कभी भी बूढा नही हो पाया।

Manish Kumar on मई 29, 2019 ने कहा…

बिल्कुल पवन !

Shiv Prakash mishra on नवंबर 29, 2019 ने कहा…

nice

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie