अस्सी के दशक में एक फिल्म आई थी कुर्बानी। फिरोज खान की ये फिल्म जितनी चली थी उससे भी ज्यादा इसके गाने मशहूर हुए थे। एक ओर तो लैला ओ लैला में अमजद खान की चुलबुली कुबुक कुबुक ने पर्दे पर लोगों का मन मोह लिया था तो दूसरी ओर हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे..मरने वाला कोई ज़िंदगी चाहता हो जैसे की संजीदगी भी श्रोताओं को रास आई थी।
इसी फिल्म में एक गाना था आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आए तो बात बन जाए था.. जिसे गाकर किशोर गायिका नाजिया हसन शोहरत की बुलंदियों में जा पहुँची थी। नाजिया की सफलता ने भारत में इंडी पॉप के नए रास्ते भी खोल दिए थे। जानते हैं उस वक़्त नाजिया की उम्र क्या थी? मात्र पन्द्रह साल। उसी साल उन्होंने फिल्मफेयर एवार्ड भी जीता। इतनी कम उम्र में किसी गायिका का ये एवार्ड जीतना एक रिकार्ड ही रहा होगा।
नाजिया तब कितनी मासूम थीं उसका अंदाजा आप तबस्सुम के साथ उनके इस प्यारे से साक्षात्कार से लगा सकते हैं। दरअसल उनकी इस मासूमियत और साफगोई को देख कर ही आज उन पर लिखने की इच्छा हुई।
अब नाजिया पन्द्रह की थीं तो हमारी पीढ़ी तो और भी छोटी थी। अगले कुछ सालों में उनके कई और कैसेट और फिल्मी एलबम मेरे घर में दाखिल हुए और पहली बार मैंने उन्हीं के ज़रिए डिस्को पॉप संगीत क्या होता है ये जाना। वो संगीत अच्छा था या बुरा इस पर तो टिप्पणी नहीं करूँगा पर इतना जरूर कहूँगा कि वो हमारे लिए नया जरूर था। स्कूल से आकर कई दिन मैं भी उनके आप जैसा कोई, बूम बूम और बोलो बोलो क्या है मेरा नाम स्टार जैसे गानों पर थिरका जरूर था। अपने भाई जोहेब हसन के साथ किया उनका पॉप एल्बम डिस्को दीवाने उस दशक के सबसे ज्यादा बिकने वाले एलबमों में एक रहा।
अस्सी के दशक में जिस तेजी से वो चमकीं, नब्बे के दशक में इतनी ही तेजी से ही संगीत परिदृश्य से गायब भी हो गयीं और उनकी जगह ऐलीशा चिनॉय और शेरोन प्रभाकर जैसी गायिकाओं ने ले लीं।
अस्सी के दशक में जिस तेजी से वो चमकीं, नब्बे के दशक में इतनी ही तेजी से ही संगीत परिदृश्य से गायब भी हो गयीं और उनकी जगह ऐलीशा चिनॉय और शेरोन प्रभाकर जैसी गायिकाओं ने ले लीं।
उस युग में इंटरनेट भी नहीं था और मैंने कभी जानने की कोशिश भी नही की कि नब्बे के दशक में उनके साथ क्या हुआ। सच तो ये है कि उनकी आवाज़ और उनके कुछ गीतों के आलावा मेरी यादों में कुछ भी नहीं था। यहाँ तक की उनकी तस्वीर भी नहीं। सालों बाद जब उनके छोटे से जीवन की पूरी दास्तान सुनने को मिली तो मन दुखी हो गया। बताइए भगवान ने जिससे इतनी कम उम्र में लोकप्रियता के सिंहासन पर बिठाया उसे मात्र 35 साल की उम्र में हमसे छीन भी लिया।
जीवन के अंतिम कुछ साल उनके बेहद तकलीफ़ में बीते। नब्बे के आस पास उन्हें कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया। 1995 में माँ बाप के कहने से उन्होंने शादी की जो उनकी ज़िंदगी का एक गलत निर्णय साबित हुआ। कितना कष्टकर था उनका दाम्पत्य जीवन इसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरने के ठीक दस दिन पहले उन्होंने अपने शौहर को तलाक दिया।
जीवन के अंतिम कुछ साल उनके बेहद तकलीफ़ में बीते। नब्बे के आस पास उन्हें कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया। 1995 में माँ बाप के कहने से उन्होंने शादी की जो उनकी ज़िंदगी का एक गलत निर्णय साबित हुआ। कितना कष्टकर था उनका दाम्पत्य जीवन इसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरने के ठीक दस दिन पहले उन्होंने अपने शौहर को तलाक दिया।
उनके रिश्तेदार बताते हैं कि वो अपना ग़म अपने तक सीमित रखने वालों में थीं। बीमारी और पारिवारिक कलह के बीच अपने सफल एलबमों से मिलने वाली रायल्टी का बड़ा हिस्सा उन्होंने सामाजिक कार्यों के लिए दान किया। उनके गानों में एक मस्ती एक उमंग थी जिसे देख कर शायद ही कोई उनके निजी जीवन की इस उदासी को पढ़ पाता।
आइए आज आपको सुनाते हैं उनके फिल्म स्टार के लिए गाया उनका ये गीत जिसे सुन कर आज भी लोग झूम उठते हैं।
8 टिप्पणियाँ:
बेहतरीन गायिका जिसे ज़िंदगी ने अवसर नहीं दिया
जी, बतौर इंसान उनका सरल और दयालु स्वभाव भी प्रेरित करने वाला था।
Sangeet diya tha Biddu ne
सही कहा ज्योत्सना जी
उनको जानने की कोशिश में कई बार यू ट्यूब पर सर्च किया है। तबस्सुम का इंटरव्यू पहले भी देखे हैं। छोटी उम्र में बड़ा नाम करके चली गयीं।
Manish उनकी आवाज़ और अंदाज़ उस ज़माने के लिए अलहदा थे। हिंदी पॉप की नींव तैयार करने में उनका और संगीतकार बिड्डू का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।
आज भी याद है ,एकदम नई आवाज और स्टाईल लेकर आई थी
जी सही कहा अर्चना जी !
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