हर साल संगीतमाला में रूमानियत भरे गीतों की नई बयार बहती रहती है पर इस बयार में एक आध ही गीत ऐसे होते हैं जिनकी मासूमियत भरी भावनाएँ एक बार सुनते ही दिल को यूँ सहला जाती हैं कि उस गीत को बार बार सुनने का मन करता है।
संगीतमाला की आठवीं पायदान पर प्रेम से लबरेज़ एक ऐसा ही प्यारा सा गीत है जो मुझे उस गीत की याद दिला गया जिसे स्वानंद किरकिरे ने फिल्म बर्फी के लिए लिखा था। बर्फी के उस गीत के बोल कुछ यूँ थे ..
साँवली सी रात हो, ख़ामोशी का साथ हो
बिन कहे, बिन सुने, बात हो तेरी मेरी
नींद जब हो लापता, उदासियाँ ज़रा हटा
ख़्वाबों की रज़ाई में, रात हो तेरी मेरी
गुजरात के अहमदाबाद से ताल्लुक रखने वाले संगीतकार सिद्धार्थ अमित भवसार ने स्वानंद की लेखनी की ऊँचाइयों को तो अपने लफ़्जों में नहीं छुआ पर अगर आप ये जानेंगे कि उन्होंने बस यूँ ही सत्रह साल की उम्र में ये गीत लिख कर उसकी धुन बना दी थी तो आप उनकी इस कृति के कायल हो जाएँगे।
सालों बाद जब ये गीत मोतीचूर चकनाचूर के लिए रिकार्ड हुआ तब उन्होंने अपने मन की भावनाएँ कुछ यूँ व्यक्त की थीं
मेरे पास शब्द नहीं है अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए। ये हिंदी फिल्म के लिए गीत लिखने और उसे संगीतबद्ध करने की बात नहीं है, ना ही इसका ताल्लुक इस गीत की आगे मिलने वाली सफलता या असफलता से है। मैं तो बस वो दिन याद करना चाहता हूँ जब सालों पहले यूँ ही मैंने इस गीत को लिखा और कम्पोज़ किया था... बिना ये जाने हुए कि हिंदी फिल्मी गीतों की संरचना क्या होती है? उस समय भी जब पार्टी में संगीत की महफिल जमती थी तो मैं अपने कई मूल गीत गाता था पर इसे किसी को नहीं सुनाता था। मैं सोचता था कि ये गीत सिर्फ मेरे लिए है जिसे गा कर मैं अपने उस गुजरे हुए समय पर एक नज़र डालते हुए कह सकता हूँ कि देखो उस वक़्त मैंने ये गीत यूँ ही बना दिया था।
स्वानंद के गीत की तरह ही सिद्धार्थ के शब्द रात, नींद, ख़्वाब, खामोशी, उदासी और उसके अंदर बहती प्रेम की सरगम का जिक्र करते हैं। गीत इशान दास की बजाई गिटार की मधुर धुन से शुरु होता है और फिर अंतरे में किरण की बाँसुरी मन मोह लेती है। पर इन सब के बीच जिस मुलायमियत के साथ हिमानी कपूर इस गीत को निभाती हैं वो गीत को एक अलग ही ऊँचाई पर ले जाता है। गीत का अंत हिमानी के आलाप से होता है पर उसकी गूँज गीत सुनने के बाद भी मन में काफी देर तक रहती है।
सिद्धार्थ अमित भास्वर व हिमानी कपूर |
डेढ़ दशक पहले सारेगामापा से चर्चा में आई हिमानी की संगीत यात्रा उनके द्वारा हिंदी फिल्मों में गाए चुनिंदा गीतों तक ही सीमित रही है। शादी और उसके बाद की पारिवारिक समस्याओं से आए कैरियर में विराम के बाद से वे फिर उसी जोश से अपने कैरियर को पटरी पर लाने में प्रयत्नशील हैं। उनकी आवाज़ में एक अलग ही कशिश है जिसका इस्तेमाल अगर बाकी संगीतकार भी करें तो ऐसे ही दिल छूते गीत श्रोताओं को आगे भी सुनने को मिलेंगे ।
आज जागे रहना, ये रात सोने को है
आज जागे रहना, ये रात सोने को है
तेरी पलकों पे आँसू आए तो
मेरा कान्धा रोने को हैं, ये रात सोने को है
चुप चुप क्यूँ बैठे हो कह भी दो
गुमसुम से रहते हो कह भी दो
तेरे लब जो मेरी सरगम गाये तो
फिर प्यार होने को है
मेरा दिल भी खोने को है
ख़्वाहिशों के सहारे बैठकर
कब खुद से हम किनारा कर गए
जो आँखों में ख़्वाब थे, आँसू भर गए
आज जागे रहना, ये रात सोने को है
मोतीचूर चकनाचूर का ये गीत एलबम में तो मौज़ूद रहा पर फिल्म में शायद इसे जगह नहीं मिली। अब ऐसा क्यूँ हुआ ये तो सिद्धार्थ ही बता सकते हैं पर ऐसे गीतों को पर्दे पर देखना दर्शकों के लिए भी एक रूमानी अनुभव होता...
वार्षिक संगीतमाला 2019
24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta
01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया
03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
04. तेरा साथ हो Tera Saath Ho
05. मर्द मराठा Mard Maratha
06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए Bharat
07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है Aaj Jage Rahna
08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र Zikra
09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए Dil Royi Jaye
10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ Shaabaashiyaan
11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी Rajaji
13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya
14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
15. मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा Aira Gaira
17. ये आईना है या तू है Ye aaina
18. घर मोरे परदेसिया Ghar More Pardesiya
19. बेईमानी से..
20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया
03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
04. तेरा साथ हो Tera Saath Ho
05. मर्द मराठा Mard Maratha
06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए Bharat
07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है Aaj Jage Rahna
08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र Zikra
09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए Dil Royi Jaye
10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ Shaabaashiyaan
11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी Rajaji
13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya
14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
15. मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा Aira Gaira
17. ये आईना है या तू है Ye aaina
18. घर मोरे परदेसिया Ghar More Pardesiya
19. बेईमानी से..
20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta
25 शर्त (Shart )
10 टिप्पणियाँ:
हर कवि, लेखक, गीतकार के लिए उसकी कोई एक रचना दिल के सबसे क़रीब होती है, जिसे वो केवल अपने तक ही रखना चाहता है। सिद्धार्थ अमित भास्वर के लिए ये गीत वही जगह रखता होगा। लिस्ट बनाते समय ये गीत सुना था।
Manish वैसे तो सिद्धार्थ गुजराती फिल्मों में अपना संगीत देते आए हैं पर ये भी उनके लिए एक सुखद संयोग रहा होगा कि इस "प्यारे शिशु" को सबसे पहले किसी हिंदी फिल्म के लिए चुना गया।
सर, मेरे पास भी एक "प्यारा शिशु" है, स्कूल के दिनों का..पर अभी तक उसे साझा करने का ख्याल नहीं आया है। बचपन की कविता है, तो बचपना जैसा ही लिखा था और अब साझा करेंगे तो और बचपना लगेगा।😊
Manish जब कोई प्यारा सा "कान्धा" आपको मिल जाए तो उससे उस वक़्त की परिस्थितियाँ बताते हुए साझा कीजिएगा।
ये गाना हिमानी का है. बाकी support में हैं. बेहतरीन.
हाँ सुमित हिमानी की गायिकी इस गीत की जान है। सिद्धार्थ ने भी हिंदी फिल्मों की इस शुरुआती पारी में अच्छी संभावनाएँ जगायी हैं।
प्यारा गीत .... इतनी कम उम्र में ऐसे गीत बनाना बड़ी बात है
सही कहा स्वाति, हरफनमौला हैं सिद्धार्थ। गीत लिखने और संगीत देने के आलावा उसे गाते भी हैं।
Shukriya Manish Jee. You’re too kind.
Siddharth : Hope you create more so called non commercial stuff in future too.
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