रविवार, अगस्त 30, 2020

प्यार हुआ चुपके से.. जावेद अख्तर के काव्यात्मक बोलों पर पंचम का यादगार संगीत

1994 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म 1942 Love Story संगीतकार पंचम की आख़िरी फिल्म थी। इस फिल्म का संगीत रचने में उन्होंने काफी मेहनत की थी। फिल्म और उसका संगीत बेहद लोकप्रिय हुआ था, पर इस फिल्म के रिलीज़ होने के छः महीने पहले ही बिना इसकी सफलता को देखे हुए पंचम इस दुनिया से रुखसत हो चुके थे।

पंचम अपने कैरियर के उस पड़ाव में अपने संघर्ष काल से गुजर रहे थे। अस्सी के दशक में उन्हें काम मिलना भी कम हो गया था। ये वो दौर था जब हिंदी फिल्म संगीत रसातल में जा रहा था और पंचम से हुनर में बेहद कमतर संगीतकार निर्माता निर्देशकों की पसंद बने हुए थे। मानसिक रूप से अपनी इस अनदेखी से पंचम परेशान थे और जो छोटे मोटी फिल्में उन्हें मिल भी रही थीं उसमें उनका काम उनकी काबिलियत के अनुरूप नहीं था।

ऐसे में जब विधु विनोद चोपड़ा ने पंचम को ये जिम्मेदारी सौंपी तो ये सोचकर कि आज़ादी के पहले के समय का संगीत उनसे अच्छा कोई और नहीं दे सकता। हालाँकि पंचम पर उस समय बतौर संगीत निर्देशक असफलता का ऐसा ठप्पा लग चुका था कि संगीत कंपनी एच एम वी ने विधु विनोद चोपड़ा से कह रखा था कि अगर आपने आर डी बर्मन को इस फिल्म के लिए अनुबंधित किया  तो उनका पारीश्रमिक आप ही देना यानी हम ऐसे व्यक्ति पर पैसा नहीं लगाएँगे।

पंचम का भी अपने ऊपर अविश्वास इतना था कि जब कुछ ना कहो की पहली धुन खारिज़ हुई तो उनका पहला सवाल यही था कि मैं इस फिल्म का संगीतकार रहूँगा या नहीं और जवाब में विधु विनोद चोपड़ा ने तल्खी से कहा था कि तुम अपनी भावनाएँ मत परोसो बल्कि अपना अच्छा संगीत दो जिसके लिए तुम जाने जाते हो।

हफ्ते भर में पंचम एक और धुन ले के आए और वो गीत उस रूप में आया जिसमें हम और आप इसे आज सुनते हैं। फिल्म का सबसे कामयाब गीत इक लड़की को देखा तो ऐसा लगा की चर्चा तो पहले यहाँ कर ही चुका हूँ कि कैसे वो मिनटों में बन गया। 


मुझे इस फिल्म का जो गीत सबसे ज्यादा पसंद है वो था दिल ने कहा चुपके से..प्यार हुआ चुपके से। क्या बोल लिखे थे जावेद अख्तर साहब ने इस गीत के लिए। गीत के हर एक अंतरे को सुनकर ऐसा लगता था मानो शहद रूपी कविता की मीठी बूँद टपक रही हो। ऐसी बूँद जिसका ज़ायका मन में घंटों बना रहता था। पंचम के संगीत में राग देश की प्रेरणा के साथ साथ रवींद्र संगीत का भी संगम था। पंचम ने धुन तो कमाल की बनाई ही पर तितलियों से सुना..... के बाद का तबला और मैंने बादल से कभी..... के बाद की बाँसुरी और अंत में निश्चल प्यार को आज़ादी की जंग से जोड़ता सितार गीत को सुनने के बाद भी मन में गूँजते रहे थे।

पहले प्यार के अद्भुत अहसास को तितलियों और बादल के माध्यम से कहलवाने का जावेद साहब का अंदाज़ अनूठा था जिसे कविता कृष्णामूर्ति जी ने इतने प्यार से गुनगुनाया कि इस गीत की बदौलत उस साल की सर्वश्रेष्ठ गायिका का खिताब भी उन्होंने हासिल किया। तो आज उनकी आवाज़ में फूल से भौंरे का व नदी से सागर से मिलने का ये सुरीला किस्सा फिर से एक बार सुनिए आज की इस पोस्ट में..  

दिल ने कहा चुपके से, ये क्या हुआ चुपके से
क्यों नए लग रहे हैं ये धरती गगन
मैंने पूछा तो बोली ये पगली पवन
प्यार हुआ चुपके से, ये क्या हुआ चुपके से

तितलियों से सुना, मैंने किस्सा बाग़ का
बाग़ में थी इक कली, शर्मीली अनछुई
एक दिन मनचला भँवरा आ गया
खिल उठी वो कली, पाया रूप नया
पूछती थी कली, ये मुझे क्या हुआ
फूल हँसा चुपके से..प्यार हुआ चुपके से...

मैंने बादल से कभी, ये कहानी थी सुनी
परबतों की इक नदी, मिलने सागर से चली
झूमती, घूमती, नाचती, डोलती
खो गयी अपने सागर में जा के नदी
देखने प्यार की ऐसी जादूगरी
चाँद खिला चुपके से, प्यार हुआ चुपके से...

जितना प्यारा ये गीत था उतनी ही खूबसूरती से हिमाचल प्रदेश में इसका फिल्मांकन किया गया था। मनीषा की सादगी भरी सुंदरता तो मन को मोहती ही है...


Related Posts with Thumbnails

14 टिप्पणियाँ:

Manish on अगस्त 30, 2020 ने कहा…

सर आपने कुछ न कहो.. गीत का जिक्र किया है, जो इस फ़िल्म का मेरा सबसे प्रिय गीत है। फ़िल्म के सभी गीत एक से बढ़कर एक हैं।��

Manish Kumar on अगस्त 30, 2020 ने कहा…

हां वो भी बेहद संवेदनशील गीत है। मुझे भी पसंद है।

Nidhi Agarwal on अगस्त 30, 2020 ने कहा…

इसके गाने कितनी ही बार सुनते थे। अभी भी जब बारिश होती है तो सबसे पहले रिमझिम रिमझिम याद आता है। खूबसूरत बोल और मनभावन संगीत... छायांकन भी मनोहर था।

Manish Kumar on अगस्त 30, 2020 ने कहा…

ज़िंदगी में यही एक फिल्म है जिसे लगातार दो दिन मैं साथियों के साथ सिनेमा हाल में देख कर आया था। सही कहा आपने इसके सारे गीत ही पसंदीदा थे। पर्दे पर प्यारी जोड़ी और खूबसूरत फिल्मांकन संगीत के आलावा इस फिल्म के सशक्त पहलू थे।

Arun Dwivedi on अगस्त 31, 2020 ने कहा…

धुन बहुत प्यारी है हजारों बार सुन चुका दिल नही भरा

Manish Kumar on अगस्त 31, 2020 ने कहा…

Arun jee जानकर खुशी हुई

Yadu Nath Singh Kushwaha on अगस्त 31, 2020 ने कहा…

ब्लॉग में इतना सुंदर और सटीक विश्लेषण किया है कि कुछ बचा ही नहीं कहने को। वाकई बहुत सुंदर धुन एवम् दिल को झकझोरती गायकी प्रेम के इजहार में पूरा न्याय करता है।आज भी मैंने इस गीत को दो बार सुना।अभी भी कानों में आवाज़ गूंज रही है --- प्यार हुआ चुपके से ----।

Manish Kumar on अगस्त 31, 2020 ने कहा…

Yadunath Jee बहुत ही प्यारा गीत था ये कविता जी का। आलेख आपको रुचिकर लगा जानकर प्रसन्नता हुई।😊😊

sehba jafri on सितंबर 01, 2020 ने कहा…

मनीष जी! गीत तो प्यारा था ही, आपका विश्लेषण तो इतना प्यारा है कि जी करता है कि हाथ में चॉक थमा आपको साहित्य की कक्षा में खड़ा कर दूँ और अपने विद्यार्थियों से कहूँ कि, "सीखो इनसे! सौंदर्य बोध की समालोचना! "

बस एक शिकवा है, इस गीत की सबसे मोहक अदा पर आपने एक लफ्ज़ भी नही कहा ( फूल हँसा चुपके से.. .. पर गायिका के सुर में एक शरारती सी हँसी का कौन्धना और उसके बाद बजते वाद्य यंत्रों की पूर्णता) समीक्षा बहुत सुंदर है... .. साथ बना रहे

Manish Kumar on सितंबर 02, 2020 ने कहा…

तारीफ़ के लिए शुक्रिया सेहबा। बस गीत सुनते हुए जो मन को महसूस हुआ वही लिख पाया।

अच्छा लगा कि आपने उस बात को भी रेखांकित किया जो आपको इस गीत की सबसे मोहक अदा लगी। कविता जी ने उस हंसी को बड़े प्यार से अपनी गायिकी में उतारा है।

Disha Bhatnagar on सितंबर 03, 2020 ने कहा…

आपकी लेखनी के बारे में भी किसी दिन कोई ब्लॉगर ऐसे ही लिखेगा...! #MarkMyWords अद्भुत...सुंदर..बेहतरीन❤️

Manish Kumar on सितंबर 03, 2020 ने कहा…

दिशा आपके इन उदार शब्दों का बेहद शुक्रिया :)

गाईड पवन भावसार on सितंबर 12, 2020 ने कहा…

फ़िल्म का प्रदर्शन औसत रहा,पर गीत संगीत लाज़वाब रहा ।
पँचम सदा के लिए अमर हो गए, फ़िल्म सागर के बाद सबसे अच्छा सँगीत इसी फिल्म में आया ।
नमन प्यारे पँचम को

Manish Kumar on सितंबर 25, 2020 ने कहा…

पाँच करोड़ की लागत वाली इस फिल्म ने पवन उस ज़माने में दस करोड़ कमाए थे इसलिए इसे सुपरहिट तो नहीं पर हिट फिल्मों की श्रेणी में ही रखा जाता है।

सही कहा। सागर से लव स्टोरी के बीच का काल काम की गुणवत्ता के हिसाब से पंचम के लिए अच्छा नहीं रहा।

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie