शनिवार, अगस्त 15, 2020

तेरी मिट्टी के वो अंतरे जो फिल्म केसरी में इस्तेमाल नहीं हुए... Teri Mitti Unreleased Verses

तेरी मिट्टी पिछले साल के बेहद चर्चित गीतों में रहा था। मनोज मुंतशिर की लेखनी और अर्को के मधुर संगीत से सँवरा ये गीत मुझे कितना अजीज़ था इस बात का अदाजा तो आपको होगा ही क्यूँकि ये एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला का सरताज गीत भी बना था पिछले साल। इस फैसले से मनोज कुछ दिनों के लिए विचलित भी रहे थे और उन्होंने सार्वजनिक तौर अपना दुख भी ज़ाहिर किया था। जनता ने तो फैसला पहले ही ले लिया था और उनका प्यार इस गीत के लिए तरह तरह से उमड़ा जो कि इस बात को साबित कर गया कि ये गीत इस साल तो क्या दशकों तक श्रोताओं के दिल में अपनी जगह बरक़रार रखेगा।



जब भी कोई गीत बनता है तो गीतकार उसके कई अंतरे लिखते हैं। उनमें से कुछ निर्माता, निर्देशक व संगीतकार मिल कर चुन लेते हैं और कुछ यूँ ही नोट्स में दबे रह जाते हैं। आजकल अमूमन दो अंतरे फिल्मी गीतों का हिस्सा बनते हैं और कई बार ऐसा होता है कि संपादन के बाद उनमें से गीत का एक टुकड़ा भर ही फिल्म में रह पाता है। बतौर श्रोता मैं ये कह सकता हूँ कि जब किसी गीत का भाव और शब्द मुझे पसंद आते हैं तो अक्सर ये उत्सुकता बनी रहती है कि इसके वो अंतरे कौन से थे जो गीत का हिस्सा नहीं बन पाए। मनोज ने श्रोताओं की इसी मनोभावनाओं का ध्यान रखते हुए इस गीत के कुछ बचे हुए अंतरों को मशहूर वॉयलिन वादक दीपक पंडित और गायिका रूपाली जग्गा के साथ मिलकर गीत की शक़्ल में प्रस्तुत करने का निश्चय किया।

देश के अमर योद्धाओं को समर्पित इस गीत के लिए स्वतंत्रता दिवस से बेहतर दिन और क्या हो सकता था? आजकल मनोज गीत लिखने के साथ साथ अपने यू ट्यूब चैनल पर शायरों और गीतकारों के बारे में बातें भी करते हैं और नए कवियों की चुनिंदा शायरी पढ़कर उनकी हौसला अफजाई भी करते हैं। लिखते तो अच्छा वो हैं ही दिखते भी अच्छे हैं और बोलते भी क्या खूब हैं। आज जो गीत का बचा हुआ हिस्सा रिलीज़ हुआ है उसके बीच बीच में मनोज ने अपनी कविता भी पढ़ी है जो गीत के अनुरूप देश की सरहद पर जान न्योछावर करने वाले वीर जवानों को समर्पित है। कुछ मिसाल देखिए

वो गोलियाँ जो हमारी तरफ बढ़ी थीं कभी
तुम अपने सीने में भरकर ज़मीं पे लेट गए
जहाँ भी प्यार से माँ भारती ने थपकी दी
तुम एक बच्चे की मानिंद वहीं पे लेट गए

या फिर ये देखिए कि

तुम्हीं ना होते तो दुनिया बबूल हो जाती
जमींने ख़ून से यूँ लालाज़ार करता कौन
हजारों लोग यूँ तो हैं ज़माने में लेकिन
हमारे वास्ते यूँ मुस्कुरा के मरता कौन

या फिर बशीर बदर साहब की ज़मीं से उठता उनका ये शेर

भले कच्ची उमर में ज़िदगी की शाम आ जाए
ये मुमकिन ही नहीं कि ख़ून पे इलजाम आ जाए

बहरहाल गीत का ये हिस्सा अगर फिल्म में होता तो शहीद की माशूका पर फिल्माया गया होता क्यूँकि इन अंतरों में मनोज ने उसी के मन को कुछ यूँ पढ़ने की कोशिश की है

हाथों से मेरे ये हाथ तेरे, छूटे तो यार सिहर गई मैं
तू सरहद पे बलिदान हुआ, दहलीज़ पे घर की मर गयी मैं
तू दिल में मेरे आबाद है यूँ जैसे हो फूल किताबों में
ओ माइया वे वादा है मेरा हम रोज़ मिलेंगे ख्वाबों मे

और ये अंतरा तो बस कमाल का है..

सावन की झड़ी जब लगती है, बूँदों में तू ही बरसता है
तू ही तो है जो झरनों के पानी में छुप के हँसता है
त्योहार मेरे सब तुझसे ही, मेरी होली तू बैशाखी तू
मैं आज भी हूँ जोगन तेरी, है आज भी मुझमें बाकी तू

तेरी मिट्टी में मिल जावां, गुल बण के मैं खिल जावां..
इतनी सी है दिल की आरजू..

सबसे बड़ी बात जो मनोज से इस गीत के अंत में कही है और जो हम सबको समझनी चाहिए कि फौजी को भी वहीं खुशियाँ, वही ग़म व्यापते हैं जो एक आम इंसान महसूस करता है पर देश की मिट्टी के लिए सब भूलकर वो अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है। गलवान में हमारे बीस लोग शहीद हुए तो उन्हें सिर्फ एक गिनती समझ कर हमें भूल नहीं जाना है पर अपने जैसा एक साथी समझ कर उसके बलिदान को याद रखना हैं।

तो आइए सुनते हैं मनोज, दीपक और रूपाली की ये सम्मिलित प्रस्तुति जो आपकी आँखों को एक बार फिर से नम कर देगी...

 
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13 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी on अगस्त 15, 2020 ने कहा…

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

मुनीश ( munish ) on अगस्त 15, 2020 ने कहा…

कमाल 🙏
इस से प्यारा और क्या !
देखो अवॉर्ड किसको मिले मग़र गली बॉय को 😏
इस चीचड़ पंथी पर भी लिखो भाई ।

Manish Kumar on अगस्त 16, 2020 ने कहा…


मुनीश फिल्मफेयर तो दशकों से कई बार बेसिरपैर के गीतों को सबसे अच्छा गीत बनाकर नवाज़ता रहा है। पुराने ज़माने में भी कई लोग ये कुबूल चुके हैं कि उन्होंने एवार्ड ही खरीद लिए थे। जब तक सामूहिक रूप से इन एवार्ड का लोग बहिष्कार नहीं करेंगे, टीवी पर इनके प्रसारण को देखना नहीं ब्द करेंगे तब तक इनके मठाधीशों के कानों में जूँ नहीं रेंगेगी।

Manish Kumar on अगस्त 16, 2020 ने कहा…

सुशील जी आज़ादी का दिन आपको भी मुबारक हो।

Manish on अगस्त 16, 2020 ने कहा…

एक फौज़ी मन की भावनाओं का बड़ा ही भावुक चित्रण! मूल गीत के जैसा ही दिल को छूने वाला गीत! मैं शेयर करना चाहूंगा!!😊🙏

Manish Kumar on अगस्त 16, 2020 ने कहा…

हाँ मनीष मूल गीत की तरह ही संवेदनशील और देशभक्ति की भावनाओं से ओतप्रोत रहा ये हिस्सा।

Swati Gupta on अगस्त 16, 2020 ने कहा…

इतने खूबसूरत शब्द, इतने खूबसूरत भाव... संगीत, गायिकी सब कुछ दिल छूने वाला। कुल मिलाकर एक यादगार गीत। फिल्म में ना सही पर ऑडियो एलबम में तो ये जरूर होना चाहिए।

Manish Kumar on अगस्त 16, 2020 ने कहा…

हां स्वाति उस वक़्त तो नहीं पर अब जाकर मनोज ने इसे रिकॉर्ड करवाया है इस साल के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर। आपको भी ये पसंद आया जान कर खुशी हु

Manoj Muntashir on अगस्त 16, 2020 ने कहा…

Manish Kumar... Aabhar mere dost

Manish Kumar on अगस्त 16, 2020 ने कहा…

मनोज भाई शब्दों का सुरीला सफ़र जारी रहे। कभी रांची की तरफ आएं तो जरूर सूचित करें। आपसे मिलकर खुशी होगी

Archana Chaoji on अगस्त 19, 2020 ने कहा…

बहुत अच्छा लगा जानकर, और सुनकर सच में मन भर आया ...इसे शेयर करने और इसके बारे में जानकारी देने का आभार 🙏 मनोज जी को आगे के लिए शुभकामनाएं ।

KL Budhrani on अगस्त 21, 2020 ने कहा…

🙏🙏🙏🙏🙏

Manish Kumar on अगस्त 21, 2020 ने कहा…

अर्चना जी आपको गीत का ये वर्सन पसंद आया जानकर खुशी हुई।

 

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