वार्षिक संगीतमाला की अगली पेशकश है फिल्म पंगा से। कंगना रणौत की ये फिल्म लगभग एक साल पहले पिछली जनवरी में प्रदर्शित हुई थी। शंकर अहसान लॉए द्वारा संगीत निर्देशित इस फिल्म के गीत जावेद अख्तर ने लिखे थे। जावेद साहब जैसे मँजे हुए गीतकार आजकल फिल्मों के लिए कम ही लिखते हैं और इसीलिए जब उनकी उपस्थिति किसी फिल्म में देखता हूँ तो उनके लिखे बोलों पर मेरी खास नज़र रहती है।
पंगा एक ऐसी महिला कबड्डी खिलाड़ी की कहानी थी जो शादी और उसके बाद मातृत्व की जिम्मेदारियाँ सँभालने के लिए खेल से जुड़ा अपना सफल कैरियर छोड़ देती है पर ये बात उसे दिल में कहीं ना कहीं कचोटती रहती है कि वो इस खेल के माध्यम से जिस मुकाम पर जाना चाहती थी, वहाँ नहीं पहुँच पाई।
जावेद साहब को नायिका के इन्हीं दबे हुए अरमानों को ध्यान में रखते हुए एक गीत लिखना था और उन्होंने एक बड़ा ही प्यारा गीत रचा जिसका नाम था जुगनू। मुखड़े में देखिए किस तरह नायिका के मन में चल रही उधेड़बुन का वो खाका खींचते हैं..दो रंगो में रँगी है, दो रूप में ढली...ऐसी हैं ज़िंदगी सबकी...मायूसी भी है थोड़ी, अरमान भी कई....ऐसी है ज़िंदगी सबकी...गहरे अँधेरों… में भी..पल पल चमकते हैं जुगनू से जो....अरमान हैं वो तेरे..
जीवन का यथार्थ समेट लिया जावेद जी ने इन पंक्तियों में। जीवन में परिस्थितियाँ कैसी भी हों हमारे मन में कुछ अरमान हर पल मचलते ही रहते हैं। बिना किसी सपने के ज़िदगी के रंग फीके नहीं हो जाएँगे?
अगले अंतरे में जो कि फिल्म में शामिल नहीं हुआ जावेद साहब की पंक्तियाँ फिर वाह वाह करने को मजबूर करती हैं। गीत के शानदार बोलों को शंकर महादेवन के साथ साथ इंडियन आइडल में हर किसी के चहेते रहे सनी हिंदुस्तानी की आवाज़ का भी साथ मिला है। शंकर महादेवन जिस गीत को भी गाते हैं उसमें शास्त्रीयता का पुट जरूर भरते हैं। गीत सरगम के बाद एक छोटे आलाप से शुरु होता है और फिर शंकर की आवाज़ में गीत के शब्दों का जादू मन में उतरने लगता है।
ऐसी हैं ज़िंदगी सबकी
मायूसी भी है थोड़ी, अरमान भी कई
ऐसी है ज़िंदगी सबकी
गहरे अँधेरों… में भी
पल पल चमकते हैं जुगनू से जो
अरमान हैं वो तेरे..
जुगनू जुगनू जुगनू जैसे हैं
जुगनू जैसे हैं अरमान अरमान..
जुगनू जुगनू जुगनू जैसे हैं
जुगनू जैसे हैं अरमान अरमान
हो.. अरमाां…
नींदों के देश में है सपनो का इक नगर
जहाँ हैं डगर डगर जुगनू
सौ आँधियाँ हैं चलती साँसों में रात भर
बुझते नही मगर जुगनू
गहरे अँधेरों… में भी
पल पल चमकते हैं जुगनू से जो
अरमान हैं वो तेरे..
जुगनू जुगनू जुगनू ...हो.. अरमाां…
लम्हा बा लम्हा, लम्हा बा लम्हा
कुछ ख़्वाब तो होते हैं
रफ़्ता बा रफ़्ता हम, रफ़्ता बा रफ़्ता
बेताब तो होते हैं…
ओ.. तू माने चाहे ना माने तू
दिल है अगर तो है आरज़ू
आँखों के प्याले खाली नहीं
कोई तमन्ना होगी कहीं
गहरे अँधेरों… में भी
पल पल चमकते हैं जुगनू से जो
अरमान हैं वो तेरे..
जुगनू जुगनू जुगनू ...हो.. अरमाां…
भटिंडा के रेलवे स्टेशन पर बूट पालिश करने वाले सनी मलिक उर्फ सनी हिंदुस्तानी की कहानी तो इंडियन आइडल के माध्यम से पिछले साल पूरा भारत जान ही गया है इसलिए उसे मुझे दोहराने की जरूरत नहीं। इस गीत में शंकर महादेवन जैसे कमाल के गायक के सामने उनकी आवाज़ की चमक थोड़ी फीकी जरूर लगी पर उन्होंने अपनी झोली में आए गीत के हिस्से बखूबी निभाए। गीत में कोरस व ताली, ढोलक, तबले के साथ हारमोनियम का बेहतरीन इस्तेमाल हुआ है। हारमोनियम की मधुर धुन आप तक पहुँचाई है वादक आदित्य ने।
तो आइए सुनते हैं पहले इस गीत का आडियो वर्जन जिसमें इसके दोनों अंतरे हैं।
फिल्म का वीडियो कंगना पर फिल्माया गया है..
5 टिप्पणियाँ:
Wah!
धन्यवाद।
To understand the song fully, I find this the best place ...good one Manish Bhai
To understand the song fully, this is the best place..thanks Manish bhai...good one
कर्णप्रिय धुन है इस गीत की :)
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