वार्षिक संगीतमाला की आज की पायदान पर जो गीत है उसे अगर यू ट्यूब की मानें तो उसे पिछले साल करोड़ों लोगों ने सुना। इस साल की संगीतमाला में शामिल होने वाला ये हैप्पी हार्डी एंड हीर का दूसरा गाना है। हम भारतीयों को ये हमेशा बड़ी खुशी देता है कि कोई आम सा व्यक्ति अपनी प्रतिभा के बल पर रातों रात स्टार बन जाए। ऐसे शख़्स के प्रति जम के प्यार उड़ेलना हमारी फितरत है।
कहाँ रानू मंडल बंगाल के राणाघाट स्टेशन पर इक प्यार का नग्मा जैसे गीत सुना कर दान में जो भी मिलता उससे अपनी जीविका चलाती थीं और अपने वीडियो के वायरल होने के बाद कहाँ वो सीधे मायानगरी मुंबई में हीमेश रेशमिया जैसे संगीतकार के लिए गाने रिकार्ड करने लगीं।
हीमेश की धुनें ऐसे भी कर्णप्रिय होती हैं उस पर रानू की आवाज़ को फिल्मी गीत में सुनने की सबकी उत्सुकता और फिर उनकी मीठी आवाज़ का हीमेश द्वारा सधा हुआ इस्तेमाल। गाना तो मशहूर होना ही था और हुआ भी। हीमेश ने भी इस गीत में बखूबी साथ दिया रानू का।
गीतकार शब्बीर अहमद ने भी दो प्रेमियों की कहानी कहने के लिए कुछ अच्छे बिंब ढूँढ निकाले मसलन
कभी धूप कड़क, कभी छाँव नरम कभी सर्द हवा
तेरी मेरी, तेरी मेरी तेरी मेरी कहानी...
सच ही लिखा शब्बीर ने ज़िंदगी की कोई भी कहानी इन बदलते रंगों के बिना कहाँ पूरी हो पाती है? जीवन के इस घूमते पहिए को समझने के लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं। अब रानू की जीवन कथा को ही लीजिए एक हिट गाने ने उन्हें रातों रात स्टार बना दिया पर कोरोना काल में उन्हें आगे कोई विशेष काम ही नहीं मिला और फिलहाल वो फिर राणाघाट में अकेले समय बिताने को विवश हैं।
संगीतमाला के अगले गीत में है लोकगीत वाली मिठास सुनना ना भूलिएगा।
4 टिप्पणियाँ:
रानू मंडल की गायिकी अच्छी लगी। ऐसी प्रतिभाओं को बिल्कुल पहचान मिलनी चाहिए...
स्वागत है स्वाति आपका इस साल की संगीतमाला में।
इस गीत के बाद रानू को विशेष काम नहीं मिला और अब वो वापस राणाघाट लौट आई हैं। देखें कोरोना काल के बाद उनकी पूछ होती है या नहीं।
धन्यवाद मनीष जी.. आश्चर्य है कि आपने कोरोना काल में भी संगीतमाला के लिए २५ गाने ढूंढ निकाले... आपकी मेहनत और लगन सराहनीय है। इस संगीतमाला में विशेष दिलचस्पी रहेगी
Swati इस साल माहौल थोड़ा फीका जरूर था लेकिन जैसे जैसे आगे बधेंगे रौनक बढ़ती जाएगी।
एक टिप्पणी भेजें