जिन्दगी यादों का कारवाँ है.खट्टी मीठी भूली बिसरी यादें...क्यूँ ना उन्हें जिन्दा करें अपने प्रिय गीतों, गजलों और कविताओं के माध्यम से!
अगर साहित्य और संगीत की धारा में बहने को तैयार हैं आप तो कीजिए अपनी एक शाम मेरे नाम..
वक़्त आ गया है वार्षिक संगीतमाला के आख़िरी चरण में पहली दस सीढ़ियों को चढ़ने का। गीतमाला की दसवीं पॉयदान पर गीत वो जिसकी धुन बनाई रचिता अरोड़ा ने और जिसे अपने काव्यात्मक बोलों से सँवारा गरिमा ओबराह ने। ये गीत है अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित फिल्म Choked ... पैसा बोलता है से जो पिछले साल जून में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई। अगर आपने ये फिल्म नहीं देखी तो इस गीत की गूँज आप तक पहुंचने की उम्मीद कम ही है क्यूँकि OTT प्लेटफार्म पर प्रदर्शित फिल्मों का संगीत कम ही प्रमोट होता है। अगर आप मुझसे पूछें कि आख़िर ऐसा क्या खास है ढाई मिनट के इस छोटे से गाने में तो मैं यही कहूँगा कि गरिमा के गहरे शब्द, रचिता की शांत बहती सी धुन और उनकी मीठी आवाज़ जो गीत सुनने के बाद भी बड़ी देर तक मन में बनी रहती है।
रचिता के संगीत निर्देशन और गायिकी का ज़ायका आप सब मुक्केबाज के गीत बहुत दुखा मन में चख ही चुके होंगे। उस लेख में मैंने आपको बताया था कि किस तरह मुंबई में बतौर फिल्म संगीतकार उनके सफ़र की शुरुआत हुई। रचिता से इस गीत के संबंध में जब बातचीत हुई तो मेरा एक सवाल ये भी था कि बतौर संगीतकार किसी गाने के लिए अपनी आवाज़ का चुनाव करना उनके लिए कितना मुश्किल रहता है? उन्होंने बताया कि उनके मन में बस यही बात रहती है कि उस चरित्र के लिए कौन सी आवाज़ मुनासिब रहेगी।
वे ख़ुद अपनी आवाज़ का इस्तेमाल करने में झिझकती रही हैं। बहुत दुखा मन उन्हें रेखा भारद्वाज से गवाने का मन था पर निर्देशक अनुराग कश्यप ने उनसे कहा कि ये गाना तुम्हें गाना चाहिए और तब जाकर वो गीत उनकी आवाज़ में रिकार्ड हुआ। रचिता इस मामले में अपने को सौभाग्यशाली मानती हैं कि अब तक जितने भी निर्माता निर्देशकों के साथ उन्होने काम किया है उन सब ने उन्हें पर्याप्त स्पेस दिया है अपने तरीके से संगीत रचने का।
रचिता अरोड़ा
रचिता तो अनुराग कश्यप के साथ पहले भी काम कर चुकी हैं पर गरिमा को अनुराग ने इस फिल्म में बतौर गीतकार उनकी पहली फिल्म मर्द को दर्द नहीं होता में किए गए काम से प्रभावित होकर लिया। गीत की परिस्थिति के बारे में उन्होंने दोनों को साथ साथ ही बताया। ये गीत इस फिल्म का रिकार्ड किया जाने वाला सबसे पहला गीत था जो तीसरे ड्राफ्ट में जाकर अपना मूर्त रूप ले सका।
विज्ञापन जगत से लेकर बतौर गीतकार प्रसून जोशी की सफलता के किस्से से तो आप सभी परिचित होंगे। उनकी तरह गरिमा की पृष्ठभूमि भी विज्ञापन जगत की है जहाँ वे जिंगल लिखा करती थीं। गरिमा ने सोचा नहीं था कि वे कभी फिल्मों में गीतकार की भूमिका निभाएँगी। उन्हें कविता लिखना हमेशा से अच्छा लगता था। जब कभी कोई उनका अर्थपूर्ण जिंगल संगीत के साथ बाहर निकलता तो उनका आनंद बढ़ जाता। ऐसे ही एक जिंगल पर उन्होंने वासन बाला साहब के साथ काम किया। बाला ने उनसे वादा किया कि जब वे फिल्म बनाएँगे तो उनको जरूर मौका देंगे। बाला ने उनको ये मौका मर्द को दर्द नहीं होता फिल्म के लिए दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
गरिमा ओबरा
Choked एक निम्न मध्यमवर्ग के ऐसे परिवार की कहानी है जहाँ घर सँभालने से लेकर नौकरी करने की जिम्मेदारी नायिका पर है। उसका पति अधिकतर निठल्ला ही बैठा रहता है। ये गाना फिल्म में एक फ्लैशबैक की तरह आता है जब नायिका दिन रात के इस तनाव के बीच उन खुशनुमा पलों को याद करती है जब वो दोनों गाने बनाते थे।
हमसफ़र तो वही होता है ना जो हमारे हाव भाव लहजों से ही हमारे मन की बात पढ़ सके। कई बार हमारे चेहरे की एक शिकन, हमारी आवाज़ की बुनावट अपने आप में एक दास्तान बयाँ कर देती है। सच्चा साथी तो वही है जो इन भावनाओं को समझ सके। उन बातों का मर्म ग्रहण करे जो पीड़ा सहकर होठों से निकली हैं। इसीलिए गरिमा गीत के मुखड़े में बड़ी खूबसूरती से लिखती हैं....सुन सुर जो कहानियाँ सी कहते हैं.. चुन लब मनमानियाँ जो सहते हैं।
गीत के अंतरों में नायिका के प्रेम और समर्पण का भाव और प्रबलता के साथ उभरता है जो आप गीत के बोलों को पढ़कर महसूस कर सकते हैं। आपसी प्रेम से भरे जब दो क्रियाशील प्राणी मिलकर कुछ नया रचते हैं उसमें अपना कुछ कहने को रह नहीं जाता और गीतकार का मानना है कि इस तरह रचा संगीत व साझे शब्द उनके रिश्ते को ख़ैरियत ही तो बख्शेंगे। इसीलिए उन्होंने लिखा.....तेरे मेरे सुरों में कैसा बैर हर लफ़्ज़ ख़ैर।
रचिता बताती हैं कि जिस तरह एक स्त्री की भावनाओं को गरिमा अपने शब्दों में लाई हैं वो उनके मन को छू गया। रचिता ने इस भाव प्रधान गीत में नाममात्र के वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया है। इनमें घटम औेर बीच बीच में बजते गिटार की टुनटुनाहट तो आप आसानी से पहचान लेंगे। रचिता की आवाज़ की मिठास गीत के प्रेमसिक्त बोलों के साथ पूरा न्याय करती है। हालांकि ऐसा मुझे लगा कि आलाप थोड़ा और बेहतर हो सकता था।तो आइए सुनते हैं इस गीत को..
इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।
7 टिप्पणियाँ:
Nahin sune the. Sach main bahut achhi hai.Thanks for sharing.
अनुमेहा अच्छा लगा जानकर कि आपको भी ये पसंद आया।
बेहतरीन।
शुक्रिया
Good to know about new lyricist Garima. Nice song!
Nice to know Sumit that you liked it.
Melodious
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