पिछला साल हिंदी फिल्म संगीत या यूँ कहिए कि पूरे फिल्म उद्योग के लिए एक चुनौतीपूर्ण साल था। साल की शुरुआत में तो कुछ फिल्में रिलीज़ हुई और फिर कोविड का कहर बरप गया जो आज भी अपनी दोगुनी तेज़ी से जारी है। फिल्में देखना एक सामूहिक क्रियाकलाप हुआ करता था। सिनेमाहॉल के बंद होने से लोगों की वो गतिविधि अपने घर के अंदर सिमट गई।
अप्रैल के बाद से फिल्में लगातार रिलीज़ तो हुई पर ओटीटी प्लेटफार्म पे। हॉल में प्रदर्शित फिल्मों में गीत संगीत से अलग माहौल रचता है जो कि ओटीटी प्लेटफार्म पर नदारद रहता है। नेटफ्लिक्स हो या डिज्नी या फिर कोई और प्लेटफार्म वे शायद ही अपनी फिल्मों के गाने को ढंग से प्रमोट करते हैं। इयही वज़ह थी कि इस माध्यम से रिलीज़ हुई फिल्मों के गाने खोजने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। कई फिल्मों में तो पिछले साल गाने थे ही नहीं। हाँ कुछ वेब सिरीज़ अवश्य बनीं जिनके संगीत ने सुधी श्रोताओं का दिल जीता। शंकर महादेवन और साथी कलाकारों का काम Bandish Bandits में काफी सराहा गया। वही A Suitable Boy में कविता सेठ ने दाग़ देहलवी से लेकर ग़ालिब की ग़ज़लों को निहायत खूबसूरती से आपनी आवाज़ से सँवारा।
लॉकडाउन में सिंगल्स तो ढेर सारे बने और व्यक्तिगत रूप से भी कई सराहनीय प्रयास हुए पर उन सबको सुन पाना मुश्किल था इसलिए मैंने हमेशा की तरह सिर्फ फिल्मी गीतों को ही इस संगीतमाला में स्थान दिया। वर्ना पिछले साल तो पता नहीं जी कौन सा नशा करता है और मुंबई में का बा जैसे तमाम गीतों की धूम रही जो खूब बजे और सराहे गए। पिछले साल के गैर फिल्मी गीतों में से कुछ पर आलेख लिखने की इच्छा है। देखूँ इस कोरोना काल में वक़्त निकल पाता है या नहीं।
ज़ाहिर है ऐसे माहौल में फिल्में और गीत संगीत पर लोगों का ध्यान उतना नहीं गया जितना हर साल जाता था। फिर भी वार्षिक संगीतमाला की सालाना परंपरा के अनुसार अपनी ओर से मैंने कोशिश की कि पिछले साल के फिल्मी संगीत में जो कुछ बेहतर हुआ वो आपके समक्ष प्रस्तुत कर सकूँ। जैसा कि हमेशा होता है वार्षिक संगीतमाला की समापन कड़ी के तौर पर आज की ये पोस्ट 2020 के संगीत सितारों के नाम।
पिछले साल रिलीज़ हुई फिल्मों के बेहतरीन गीतों से तो मैंने आपका परिचय पिछले तीन महीनों में तो कराया ही पर गीत लिखने से लेकर संगीत रचने तक और गाने से लेकर बजाने तक हर विधा में किस किस ने उल्लेखनीय काम किया ये जानना भी तो जरूरी है। तो आइए मिलते हैं एक शाम मेरे नाम के इन संगीत सितारों से।
साल के बेहतरीन गीत
साल के बेहतरीन गीतों की चर्चा तो विस्तार से हो ही चुकी है। कुछ गीत जो इस सूची में शामिल नहीं हो पाए पर सुनने लायक जरूर थे। उन गीतों में शिकारा का ऐ वादी, गिल्टी का रहने दो ना, शुभ मंगल ज्यादा सावधान का राख, भूत का चन्ना वे, हैप्पी हार्डी हीर का इश्क़बाजियाँ, लव आजकल 2 का तुम तो रहोगी, थप्पड़ का हायो रब्बा, पंगा का दिल ने कहा और बहुत हुआ सम्मान के टाइटिल ट्रैक का नाम लेना चाहूँगा। जैसा कि पहले भी कह चुका हूँ कि शायद, हरदम हरपल, रूबरू और मैं तुम्हारा जैसे चोटी के गीतों को आगे पीछे रखने में दिक्कत तो हुई पर सरताज गीत का सेहरा थप्पड़ के गीत एक टुकड़ा धूप को पहनाने में मेरे मन में कोई संशय नहीं था। इस शानदार संवेदनशील गीत के लिए एक बार फिर अनुराग सैकिया, शकील आज़मी और राघव चैतन्य की टीम को ढेर सारी बधाई।
साल का सर्वश्रेष्ठ गीत : एक टुकड़ा धूप, थप्पड़ ( अनुराग सैकिया, शकील आज़मी, राघव चैतन्य)
साल के इन पच्चीस चुने हुए गीतों से संबंधित पोस्ट अगर आपने ना पढ़ी हो तो लिंक क्लिक करके वहाँ जा सकते हैं।
साल के बेहतरीन एलबम
पिछले साल मुझे कोई एलबम एकदम ऐसा नहीं लगा जिसे साल के एलबम का नाम दिया जा सके। मुझे संदीप शांडिल्य की शिकारा, मिथुन की ख़ुदा हाफिज़ और कुछ हद तक चमन बहार जैसी छोटे बजट की फिल्मों का संगीत भी भला लगा। प्रीतम और हीमेश रेशमिया अपनी संगीत की प्रोग्रामिंग पे खासी मेहनत करते हैं। इस लिहाज से लूडो और हैप्पी हार्डी और हीर जैसे एलबम भी श्रवणीय हो गए। छपाक पिछले साल की एक ऐसी फिल्म थी जो एक एसिड एटैक जैसी घृणित सामाजिक समस्या पर बनाई गयी थी। ऐसे गंभीर विषय पर गीत बनाना आसान बात नहीं थी पर शंकर एहसान लॉय ने गुलज़ार के साथ मिलकर इस फिल्म में कुछ संवेदनशील नग्मे दिये। दिल बेचारा का संगीत भी सुशांत सिंह राजपूत की स्मृतियों से मन को गीला करने में समर्थ रहा, पर जिस फिल्म के गीतों को साल भर बार बार सुनने का दिल किया वो थी लव आज कल 2 जिसमें इम्तियाज़ अली एक बार फिर प्रीतम और इरशाद कामिल की जोड़ी से बेहतरीन काम ले पाए।
- शिकारा : संदेश शांडिल्य
- लूडो : प्रीतम
- लव आज कल 2 : प्रीतम
- हैप्पी हार्डी और हीर : हीमेश रेशमिया
- दिल बेचारा : ए आर रहमान
- छपाक : शंकर अहसान लॉय
- ख़ुदा हाफिज़ : मिथुन
साल का सर्वश्रेष्ठ एलबम : लव आज कल 2 : प्रीतम
साल के कुछ खूबसूरत बोलों से सजे सँवरे गीत
इस साल कुछ नए और कुछ पुराने गीतकारों के बेहद अर्थपूर्ण गीत सुनने को मिले। नए लिखने वालों में गरिमा ओबरा ने सुन सुर जो कहानियाँ सी कहते हैं. में साथ साथ संगीत रचने वाले दो कलाकारों के बीच पनपे प्रेम का प्यारा खाका खींचा तो वहीं पीर ज़हूर ने रूबरू में अपने लेखन से हिंदी फिल्मों में ग़ज़लों की गौरवशाली परंपरा की पुनः याद दिला दी। रिपुल शर्मा ने आज के समाज में घटती संवेदनशीलता को मी रक़्सम के गीत ये जो शहर है में बखूबी उभारा। जावेद अख़्तर पंगा के गीत जुगनू में अपनी पुरानी लय में दिखे।
अमिताभ भट्टाचार्य के मेरे लिए तुम काफी हो के लिये लिखे सहज सरल बोल दिल को एकदम से छू गये वहीं प्रीतम की बदौलत सईद कादरी का हरदम हमदम एक बार फिर मन को रूमानियत के सैलाब में भिगो गया। पर सबसे अच्छे बोलों के लिए जिन दो गीतों में काँटे का मुकाबला रहा वो था गुलज़ार का लिखा छपाक से पहचान ले गया और शकील आज़मी का एक टुकड़ा धूप का। दोनों ही गीत अपने बोलों में पूरी कहानी का मर्म बड़ी संजीदगी के साथ ले कर चलते हैं। इसलिए बड़ा मुश्किल था इनमें से किसी एक को चुनना और मैंने शकील आज़मी को चुना एक टुकड़ा धूप के लिए..
- अमिताभ भट्टाचार्य : मेरे लिए तुम काफी हो ….
- शकील आज़मी : एक टुकड़ा धूप का अंदर अंदर नम सा है...
- सईद कादरी : हमदम हरदम
- गरिमा ओबरा : सुन सुर जो कहानियाँ सी कहते हैं.
- गुलज़ार : छपाक से पहचान ले गया ...
- इरशाद कामिल : मर जाएँ हम..
- रिपुल शर्मा : ये जो शहर है
- पीर ज़हूर : वो रूबरू खड़े हैं मगर फ़ासले तो हैं
साल के सर्वश्रेष्ठ बोल : एक टुकड़ा धूप का अंदर अंदर नम सा है.. ...शकील आज़मी
साल के गीतों की कुछ बेहद जानदार पंक्तियाँजब आप पूरा गीत सुनते हैं तो कुछ पंक्तियाँ कई दिनों तक आपके होठों पर रहती हैं और उन्हें गुनगुनाते वक़्त आप एक अलग खुशी महसूस करते हैं। पिछले साल के गीतों की वो बेहतरीन पंक्तियों जिनके शब्द मेरे साथ काफी दिनों तक रहे वे कुछ यूँ हैं 😃
- एक चेहरा गिरा जैसे मोहरा गिरा जैसे धूप को ग्रहण लग गया छपाक से पहचान ले गया
- इश्क़ रगों में जो बहता रहे जाके..कानों में चुपके से कहता रहे ..तारे गिन, तारे गिन सोए बिन, सारे गिन
- चक्के जो दो साथ चलते हैं थोड़े..तो घिसने रगड़ने में छिलते है थोड़े..पर यूँ ही तो कटते हैं कच्चे किनारे..ये दिल जो ढला तेरी आदत पे..शामिल किया है इबादत में..थोड़ी ख़ुदा से भी माफी हो..मेरे लिए तुम काफी हो...
- वो रूबरू खड़े हैं मगर फासले तो हैं नज़रों ने दिल की बात कही लब सिले तो हैं
- दिल चाहे हर घड़ी तकता रहूँ तुझे...जब नींद में हो तू, जब तू सुबह उठे..ये तेरी ज़ुल्फ़ जब चेहरा मेरा छुए...दिल चाहे उंगलियाँ उनमें उलझी रहें
- टूट के हम दोनों में, जो बचा वो कम सा है..एक टुकड़ा धूप का अंदर अंदर नम सा है..एक धागे में हैं उलझे यूँ, कि बुनते बुनते खुल गए..हम थे लिखे दीवार पे, बारिश हुई और धुल गए
- तुम ना हुए मेरे तो क्या..मैं तुम्हारा मैं तुम्हारा मैं तुम्हारा रहा..मेरे चंदा मैं तुम्हारा सितारा रहा..रिश्ता रहा बस रेत का..ऐ समंदर मैं तुम्हारा किनारा रहा
- तू कह रहा है, मैं सुन रही हूँ, मैं खुद में तुझको ही, बुन रही हूँ, है तेरी पलकों पे फूल महके,मैं जिनको होंठों से चुन रही हूँ,
- सुन सुर जो कहानियाँ सी कहते हैं..चुन लब मनमानियाँ जो सहते हैं
- रात है काला छाता जिस पर इतने सारे छेद...तेजाब उड़ेला किसने इस पर जान ना पाए भेद
- तू तेज़ चिंगारी मैं चरस का झोला ..तू मीठी रूहफज़ा मैं बर्फ का गोला
- हाँ आज फिर दिल से झगड़ा किया..हाँ आज फिर थोड़ा सोए हैं कम..हाँ आज दिल से झगड़ा किया..हाँ आज फिर थोड़ा रोए हैं हम
साल के बेहतरीन गायक
पिछले साल अरिजीत सिंह, सोनू निगम, पापोन जैसे दिग्गजों के साथ दर्शन रावल, राघव चैतन्य, कमाल खान, सनी हिंदुस्तानी और हृदय गट्टाणी जैसे नए गायकों की आवाज़ें भी सुनाई दीं। नए गायकों में राघव चैतन्य का एक टुकड़ा धूप और दर्शन रावल का मेहरबाँ खास तौर पर पसंद आया। सोनू निगम ने आख़िरी कदम तक और दो का चार में अपनी आवाज़ के नए पहलुओं से रूबरू कराया। स्वानंद किरकिरे में भी मस्ती भरे अंदाज़ में रात है काला छाता को निभाया। पापोन मर जाएँ हम, मोहित चौहान तारे गिन और शंकर महादेवन जुगनू जैसे युगल गीतों में नज़र आए।
विशाल मिश्रा ने ख़ुदा हाफिज़ के सुरीले गीत आप हमारी जान बन गए को इतना मन से गाया कि सुन कर बेहद सुकूँ मिला। अरिजित सिंह का डंका इस साल भी लूडो और लव आज कल 2 के तीन एकल गीतों की बदौलत बजता रहा। इन गीतों को वो अपनी आवाज़ के दम पर वो एक अलग ही स्तर पर वो ले गए और इसीलिए उन्हें एक बार फिर साल के बेहतरीन गायक चुनना मुश्किल निर्णय नहीं रहा।
- अरिजीत सिंह : हरपल हरशब हमदम-हमदम …
- अरिजीत सिंह : शायद कभी ना कह सकूँ मैं तुमको
- अरिजीत सिंह : या तो बर्बाद कर दो या फिर आबाद कर दो
- विशाल मिश्रा : आप हमारी जान बन गए
- दर्शन रावल : ओ मेहरवाँ क्या मिला यूँ जुदा हो के बता
- सोनू निगम : तेरे संग हूँ आख़़िरी क़दम तक ..
- राघव चैतन्य : एक टुकड़ा धूप का
- शंकर महादेवन : जुगनू
साल के सर्वश्रेष्ठ गायक : अरिजीत सिंह
साल की बेहतरीन गायिका
पिछला साल गायिकाओं के लिए बिल्कुल ही सही नहीं रहा। मेरे चुने पच्चीस गीतों में सिर्फ एक गीत में ही महिला स्वर की भूमिका एकल रूप में थी। वो गीत था Choked पैसा बोलता से जिसे रचिता अरोड़ा ने गाया था। इतनी हुनरमंद गायिकाओं के रहते हुए उन्हें हिंदी फिल्मों में एकल गीत नहीं मिलना हमारे संगीत उद्योग का एक दुखद पहलू है जिस पर गंभीरता से मंथन करने की आवश्यकता है। युगल गीतों में भी उनकी उपस्थिति एक आध अंतरे तक ही सीमित रही। जोनिता गाँधी, श्रेया घोषाल, असीस कौर, शिल्पा राव, श्रद्धा मिश्रा, रानू मंडल, अंतरा मित्रा इस साल की मेरी संगीतमाला का हिस्सा तो बनी पर इनमें से किसी को भी ऐसा कोई पूरा गीत नहीं मिला । ऐसे में ये श्रेणी इस साल बिना किसी नाम के मजबूरन मुझे खाली रखनी पड़ी।
साल की सर्वश्रेष्ठ गायिका : कोई नहीं
संगीत जिस रूप में हमारे सामने आता है उसमें संगीतकार संगीत संचालक और निर्माता की बड़ी भूमिका रहती है पर संगीतकार की धुन हमारे कानों तक पहुँचाने का काम हुनरमंद वादक करते हैं जिनके बारे में हम शायद ही जान पाते हैं। वैसे आजकल गीतों में लाईव आर्केस्ट्रा का इस्तेमाल बेहद कम होता जा रहा है। ज्यादातर अंतरों के बीच प्री मिक्सड टुकड़े बजा दिए जाते हैं। प्रीतम और हीमेश ने कुछ कमाल की सिग्नेचर ट्यून्स दीं जिन्हें बार बार सुनने का दिल चाहा। कुछ वादकों ने भी बड़ी मधुरता से संगीत के टुकड़े बजाए। पर सबसे ज्यादा आनंद मुझे आदत में बजने वाली सिग्नेचर ट्यून को सुनने में आया।
- आदत मुखड़े के पहले तार वाद्यों की सिग्नेचर ट्यून हीमेश रेशमिया
- संतूर पर गीत की धुन मर जाएँ हम वादक रोहन रतन
- सारंगी पर गुलाम अली आबाद बर्बाद इंटरल्यूड
- शायद सिग्नेचर ट्यून वुडविंड पर निर्मल्य डे
- शहनाई पर आइ डी दास एक टुकड़ा धूप
संगीत की सबसे कर्णप्रिय मधुर तान : आदत सिग्नेचर ट्यून हीमेश रेशमिया
संगीतमाला के समापन मैं अपने सारे पाठकों का धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने समय समय पर अपने दिल के उद्गारों से मुझे आगाह किया। आपकी टिप्पणियाँ इस बात की गवाह थीं कि आप सब का हिंदी फिल्म संगीत से कितना लगाव है। कई पोस्टस पर हजार से ज्यादा व्युज़ मिले जो कि पिछले सालों से कहीं ज्यादा है।
8 टिप्पणियाँ:
संगीतमाला में पिछले साल के कई अनसुने गानों से रूबरू करवाया गया। #लूडो और #लव_आज_कल अल्बम मुझे ख़ास पसंद आये, पर गैर फिल्मी अल्बम #बंदिश_बैंडिट्स मुझे सबसे अधिक पसंद आया। आबाद बर्बाद और #छपाक के शीर्षक गीत के लिए अरिजीत सिंह इस साल भी सबसे बेहतरीन गायक लगे!��
Manish तो लिस्ट में कुल कितने गीत तुम्हारी सूची में पहले से थे?
1. एक टुकड़ा धूप....... थप्पड़
2. हरदम हरदम .......... लूडो
3. शायद........... लव आज कल
4. वो रुबरु....... गिनी वेड्स सनी
5. मैं तुम्हारा..... दिल बेचारा
6. छपाक से पहचान..... छपाक
7. या तो बर्बाद कर दो.... लूडो
8. ओ मेहरबाँ..... लव आज कल
9. तू ज़र्दे की हिचकी.....चमन बहार
सर, ऊपर मेरी लिस्ट है। इस बार दहाई भी नहीं पहुँच पाए। अगर प्रतियोगिता होती तो टॉप फ़ाइव में भी नहीं आ पाते!��
इस performance से तो टॉप करने की पूरी संभावना थी 😃
वाह! तब तो मेरा नुक़सान हो गया!!��
अच्छी संगीतमाला। मेरे लिए तो ज्यादातर गाने अनसुने ही थे।
इन सारे गीतों में आपका सबसे पसंदीदा नग्मा कौन सा रहा Swati?
इस संगीतमाला के आने से पहले तो आठवीं पायदान वाला गाना ही सबसे पसंदीदा था पर फिर रूबरू गाना सुनने के बाद ये ही कहूंगी कि वो इस संगीतमाला का सबसे प्यारा गाना था। इसकी वजह शायद मेरा ग़ज़लों से लगाव होना है
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