अपने वतन से दूर रहने का दर्द अक्सर हमारे गीतों और कविता व शायरी की पंक्तियों में उभरता रहा है। अपने लोग, रहन सहन, संस्कृति की यादें अपनी जड़ों से दूर होने पर रह रह कर आती हैं। इतना ही नहीं बचपन में जिस रूप में हम आपने आस पास की प्रकृति में रमे होते हैं उन्हीं खेत खलिहानों, नदियों और पर्वतों में हमारा जी बार बार लौटने को करता है। नदी की बात से जान एलिया के वे शेर याद आ रहे हैं जो उन्होंने अमरोहा में एक समय बहने वाली नदी बान के लिए कहे थे।
बान तुम अब भी बह रही हो क्या
सज्जाद अली के गीतों का मैं हमेशा से शैदाई रहा हूँ। इससे पहले भी उनके गीतों लगाया दिल, मैंने इक किताब लिखी है, हर ज़ुल्म तेरा याद है, तुम नाराज हो, दिन परेशाँ है से आपको मिलवाता रहा हूँ। रावी यूँ तो दो साल पहले रिलीज़ हुई पर इस पंजाबी गीत से मेरा परिचय चंद महीने पहले अनायास ही हो गया। मैं गायिका हिमानी कपूर का एक लाइव सुन रहा था और उसी सेशन में सज्जाद अली की बिटिया जाव अली भी आ गयी और उन्होने हिमानी के गाने की तारीफ़ की। जवाब ने हिमानी ने भी बताया कि वो सज्जाद साहब की कितनी बड़ी फैन है और उन्होंने उसी वक़्त रावी गा कर सुनाया। हिमानी ने अभी गाना खत्म भी नहीं किया था कि सज्जाद अली स्वयं प्रकट हो गये और हँसते हुए कहने लगे यहाँ बिना मुझसे पूछे मेरे गाने कौन गा रहा है?
पंजाबी में होने के बावज़ूद भी मैंने तुरंत इस गीत को सुना और बस सुनता ही चला गया। दिल को छूते शब्द. मन को सुकून देने वाला संगीत और सज्जाद अली की अद्भुत गायकी जिसमें वो दुबई के एक वाटर वे के किनारे वो टहलते हुए वो पंजाब की रावी नदी को याद कर रहे हैं। मैने आज कोशिश की है कि इस खूबसूरत गीत के केन्दीय भाव को इसके पंजाबी लफ़्ज़ों के साथ पेश करूँ ताकि आप भी एक परदेशी की उदासी को महसूस कर सकें।
हयाती पंजाबी बन जावे
मैं बेड़ियाँ हज़ार तोड़ लाँ
मैं पाणी चो साह निचोड़ लाँ
जे ऐथो कदि रावी लंग जावे...हो
काश ऐसा हो कि इस सरज़मीं पर वही रावी आ जाए जो पाँच नदियों से बने पंजाब की धरती पर बहा करती है। अपनी इस मुराद को पूरा करने के लिए मैं हज़ारों बेड़ियाँ तोड़ने को तैयार हूँ। एक बार उसकी झलक मिल जाए तो उसके बहते पानी को निचोड़ परदेश में जलते इस हृदय की आग को ठंडा कर लूँगा।
ते अपनी कहानी कोई नहीं
जे संग बेलिया कोई ना
ते किसी नूँ सुनाणी कोई नहीं
आखाँ च दरिया घोल के
मैं जख्माँ दी था ते रोड़ लाँ
जे ऐथो कदि रावी लग जावे...हो
अरे वही रावी तो थी जिसका पानी मुझे अपने दोस्तों की याद दिला देता था। आज ना वो बहता पानी है और ना ही वे दोस्त मेरे पास हैं फिर किस को मैं अपनी बीती हुई दास्ताँ बयाँ करूँ। परदेश का ये अकेलेपन दिल में ना जाने कितने जख़्म दे गया है। मन तो करता है कि अपनी आँखों में राबी का वो सारा पानी घोल लूँ और जब वो पानी दिल में उतरे तो मलहम की तरह इन घावों को भर दे।
कि सजना ते दूरी हो गयी
ते वेलया दे नाल वघ दी
एह जिंद कदों पूरी हो गई
बेगानियाँ दी राह छोड़ के
मैं अपनी महार मोड़ लाँ
रोज़ी रोटी पाने कि ये कैसी मजबूरी है जिसने मुझे मेरे प्यार से अलग कर दिया। दोस्तों के साथ बहती ज़िंदगी कब पीछे छूट कर अपने आख़िरी पड़ाव पर आ गयी ये पता ही नहीं चला। मेरा वश चले तो इन बेगानी राहों को मोड़ फिर अपने वतन पहुँच जाऊँ।
14 टिप्पणियाँ:
वाह बहुत प्यारा गाना। गाने के बोल और सज्जाद साहब की गायिकी दोनों ही लाजवाब है।हिंदी हो,उर्दू हो या पंजाबी, हर भाषा में इनके गीत सुनना बहुत अच्छा अनुभव है
हाँ बिल्कुल इसीलिए मैं इनके द्वारा रिलीज़ किये गए हर गीत को सुनता हूँ 😊
https://m.youtube.com/watch?v=djOfU3kqJYI
जानती नहीं ये गाना आपने सुना होगा या नहीं, इसलिए शेयर कर रही हूं
हाँ सुना था इसे जब रिलीज़ हुआ था ये कोक स्टूडियो पर खासकर ये जानने के लिए उनकी बिटिया कैसा गाती हैं।
सज्जाद और ज़ाव अली का ग़ज़ल वाला हिस्सा मुझे बेहतरीन लगा था पर कोक स्टूडियो की उस मूड के साथ पॉप म्यूजिक की मिक्सिंग नहीं रहती तो मेरे ख्याल से और बेहतर रहता।
मेरा भी यही खयाल है कि इतनी संजीदा ग़ज़ल के साथ ये म्यूजिक जमा नहीं। पर फिर भी ये ग़ज़ल मुझे सज्जाद अली की वजह से पसंद है
नमस्ते मनीष, सुंदर लिखा है - हम इसे अपनी वेबसाइट पर इस्तेमाल करना चाहते हैं और चाहते हैं कि और लिखें आप. आप से कनेक्ट करना संभव है?
sushant.mohan@dnaindia.com - अपना संपर्क, अगर ठीक लगे, तो यहां भेजें.
सुशांत जी आपको ई मेल किया है। कृपया देख लें।
मैंने आज यह गाना अनायास सुना और सच में दिल को छू गया। साथ ही आपका लेख भी गाने जितना ही सुंदर है जो गाने और लेख को बार बार सुनने और पढ़ने के लिए आकर्षित करता है।
भावना मेरे दिल के करीब है ये गीत इसलिए जो इसके लिए महसूस किया वो यहाँ लिख पाया। आपको आलेख पसंद आया जान कर खुशी हुई।
Kamal hai Yaar, inti gahrai se aapne Hindi me samjahaya.
मनीष जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद, मैंने आपकी अनुमंती के बिना यूट्यूब वीडियो के कॉमेंट मैं यह ट्रांलेशन डाल दिया । आपका नाम मेंशन किया है ।
Beautiful song
Bahut khoob perfect melody
मेने आज पहिली बार साजिद अली यह रावी का गीत सुना मे 1 घंटा सून रहा हू।।।अपने आसू को रोक नहीं पा रहा हू ऐसा दर्द दिल को घेर लेता हे जो छोडता ही नहीं..... मे इंडिया से हू...मे क्या काहू ऐसा लागता हे इंडिया मे साजिद अली अबिदा जी को बुलवू
दोनो देश को पास लाने इस से बेहत्तर तरिका और क्या होगा?????
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