मुंबई फिल्म जगत में अक्सर ऐसा होता है कि बहुत सारे कलाकार बतौर गायक अपनी किस्मत आज़माने आते हैं पर परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनती हैं कि बन जाते हैं संगीतकार। लेकिन एक बेहद सफल गायक का संगीतकार बनना थोड़ा तो अजूबा लगता है। पर अरिजीत सिंह हैं ही इतने गुणी कि पिछले साल उन्होंने ये मुकाम भी बड़े शानदार अंदाज़ में हासिल कर लिया फिल्म पगलेट का संगीत निर्देशन कर । वैसे अपने कैरियर की शुरुआत में अरिजीत संगीतकार प्रीतम के सहायक की भूमिका निभा चुके हैं। आज इसी फिल्म का गीत दिल उड़ जा रे शामिल हो रहा है मेरी वार्षिक संगीतमाला में जिसे लिखा है नीलेश मिश्रा ने और अपनी आवाज़ दी है नीति मोहन ने।
इस गाने की पहली खासियत इसकी शुरुआत और अंतरों के बीच बजने वाला वाद्य है जिसे सुनकर मन सुकून की एक अलग ही दुनिया में पहुँच जाता है। दिल करता है वादक तापस रॉय की उँगलियाँ साज़ पर थिरकती ही रहें। ईरान का ये वाद्य तार के नाम से जाना जाता है। तीन जोड़ी तारों से मिलकर बना हुआ वाद्य ईरान के आलावा मध्य एशिया के कई देशों में भी प्रचलित है।
पगलैट एक ऐसी लड़की की कहानी है जो शादी के चंद महीने बाद ही अपने पति को खो बैठती है। इतने कम समय में पति के साथ उसके मन के तार ठीक से जुड़ भी नहीं पाते हैं और तभी उसे पता चलता है कि जो अनायास ही ज़िंदगी से चला गया उसकी एक प्रेमिका भी थी। दुख की इस घड़ी में उसके अंदर एक वितृष्णा सी जाग उठती है। और नीलेश मिश्रा के शब्द उसके मन के इन्हीं भावों को इस गीत में टटोलते हैं। मन अशांत है, दिमाग पहेलियों में उलझा हुआ और आगे का रास्ता बेहद धुँधला। ऐसे में नए सफ़र पर इन सबके पार चलने का हौसला दिल की कोई उड़ान ही दे सकती है इसलिए नीलेश ने लिखा
लम्हा यूँ दुखता क्यूँ
क्यूँ मैं सौ दफा, खुद से हूँ ख़फा
कैसे पूछूँ निकला क्यूँ
इतना बेवफा, खुद से हूँ ख़फा
अरमान ये गुमसुम से
चाहें ये क्या, मुझको क्या पता
इनमें जो सपने थे, क्यूँ वो लापता
मुझको क्या पता
ख्वाहिशें तो करते हैं, ज़िन्दगी से डरते हैं
डूबते उबरते हैं
टूटे जो तारे, रूठे हैं सारे
दिल तू उड़ जा रे, रस्ता दिखला रे
नीलेश बरसों बाद फिल्मी गीतों को रचते नज़र आए हैं। यूँ तो उनके बहुत से प्यारे गीत हैं पर बर्फी का गीत क्यूँ ना हम तुम चलें टेढ़े मेरे से रस्ते पे नंगे पाँव रे उनका लिखा मेरा सबसे पसंदीदा गीत है। नीति मोहन ने इस संवेदनशील गीत को बखूबी निभाया है। तो आँख बंद कीजिए और नायिका की मायूसी का अनुभव कीजिए इस गीत में तापस के अद्भुत तार वादन के साथ..
अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत नीचे से ऊपर के क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। और हाँ अगर आप सब का साथ रहा तो अंत में गीतमाला की आख़िरी लिस्ट निकलने के पहले 2019 की तरह एक प्रतियोगिता भी कराई जाएगी जिसमें अव्वल आने वालों को एक छोटा सा पुरस्कार मिलेगा। ☺☺
6 टिप्पणियाँ:
ज्यादा सुना नहीं गया..पर फ़िल्म देखते हुए गीत से भी जुड़ जाते हैं!
@Manish देखी है ये फ़िल्म तुमने?
देखी है सर...सान्या मल्होत्रा का काम बहोत बेहतरीन है!
जी वाकई ये मूवी देखने लायक है
गीत तो कोई ख़ास नहीं लगा लेकिन यह मूवी यादगार मूवी है मेरी ज़िंदगी की। कोविड-19 वायरस ने exact इसको देखने के साथ ही घर में प्रवेश किया और आज तक आफ्टर इफेक्ट झेलते हुए पगलेट बने फिर रहे हैं
@Kanchan मैं ये फिल्म देख नहीं पाया अभी तक पर देखने का मन है। गीत के आडियो में शुरु में ईरान का एक वाद्य जिसका नाम भी तार है बजता है और वो टुकड़ा मुझे बेहद पसंद है।
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