अतरंगी रे की ही तरह मीनाक्षी सुंदरेश्वर बतौर एलबम मुझे काफी पसंद आया और इसीलिए इस फिल्म के भी कई गीत इस वार्षिक संगीतमाला में शामिल हैं। आज इसके जिस गीत की बात मैं करने जा रहा हूँ उसे आप Long Distance Relationship पर बनी इस फिल्म का आज की शब्दावली में ब्रेक अप सॉन्ग कह सकते हैं। ये गीत है रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा, जो है तेरा ले जाना.....।
मन केसर केसर का जिक्र करते हुए मैंने आपको बताया था कि इस फिल्म के संगीतकार जस्टिक प्रभाकरन तमिल हैं और हिंदी फिल्मों में संगीत देने का ये उनका पहला मौका था। आप ही सोचिए कहाँ हिंदी पट्टी से आने वाले खालिस बिहारी राजशेखर और कहाँ जस्टिन (जिन्हें तमिल और अंग्रेजी से आगे हिंदी का क, ख, ग भी नहीं पता) ने आपस में मिलकर इतना बेहतरीन गीत संगीत रच डाला।
मैं इनके बीच की कड़ी ढूँढ ही रहा था कि राजशेखर का एक साक्षात्कार सुना तो पता चला कि वो सेतु थे फिल्म के युवा निर्देशक विवेक सोनी। फिल्म के गीत संगीत पर तो लॉकडाउन में काम चलता रहा पर स्थिति सुधरने के बाद ये तिकड़ी साथ साथ ही सिटिंग में बैठती रही। राजशेखर बताते हैं कि उन्हें बड़ी दिक्कत होती थी जस्टिन को गीतों के भाव समझाने में।
राजशेखर का हाथ अंग्रेजी में तंग था और जस्टिन अंग्रेजी के शब्दों का उच्चारण भी तमिल लहजे में करते थे। जब राजशेखर ने रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा मुखड़ा रचा तो उसे सुनकर जस्टिन का मासूम सा सवाल था What ..meaning ? अब राजशेखर अगर शाब्दिक अनुवाद bits & pieces बताएँ तो शब्दों के पीछे की भावनाएँ गायब हो जाती थीं तो वे ऐसे मौकों पर चुप रह जाते। ऐसे में विवेक दुभाषिए का रोल अदा करते थे।
फिल्म के गीतों पर काम करते करते जस्टिन को राजशेखर ने हिंदी के तीन चार शब्द तो रटवा ही दिए। एक मज़ेदार बात उन्होने ये सिखाई कि जस्टिन If someone asks you about lyrics you have to just say बहुत अच्छा 😀😀।
फिल्म की कथा शादी के बाद अलग अलग रह रहे नवयुगल के जीवन से जुड़ी है। वो कहते हैं ना कि जिनसे प्यार होता है उनसे उतनी जल्दी नाराज़गी भी हो जाती है। पास रहें तो थोड़ी नोंक झोंक के बाद मामला सलट जाता है पर दूरियाँ कभी कभी कई ऐसी गलतफहमियों को जन्म देती हैं जो नए नवेले रिश्ते की नर्म गाँठ को तार तार करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाती।
एक बार मन टूट जाए फिर उस शख़्स से लड़ने की भी इच्छा नहीं होती। इसलिए राजशेखर लिखते हैं
ना यकीं हो रहा, संग हम दोनो का था
बस इतना ही क्या
क्या ही कहें, क्या ही लड़ें
जब प्यार ही ना रहा
यादें बातें दिन और रातें, सब ले जा तू
क्या करें कि जल्दी-जल्दी, तुझे भूल जाएँ अब
साथ वाली सारी शामें, याद फिर ना आए अब
छोटी-छोटी यादों में हम अटके रहें क्यूँ
पीछे जाती सड़कों पे भटके रहें क्यूँ
जो धागा-धागा उधड़ा है -क्या ही है बचा
जो रेशा रेशा पकड़ा है - कर दे ना रिहा
रत्ती रत्ती..सब ले जा तू
10 टिप्पणियाँ:
बहुत भावुकता से भरे शब्द है इस गीत के अच्छा लगा।
जानकर खुशी हुई कंचन।
ये गाना मुझे भी बेहद पसंद। मैंने भी लिखा था इस पर ❤️
Anulata Raj Nair अच्छा पोस्ट की लिंक हो तो शेयर कीजिए🙂
Marvelous
Thanks
Bahut Shukriya Manish Sir
फक्र है कि आप बिहार का नाम रौशन कर रहे हैं।🙂
गीत संगीत विषयक आपकी परख उत्कृष्ट है.
शुक्रिया गिरिजा जी
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