गुरुवार, मार्च 24, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 : तेरे रंग रंगा मन महकेगा तन दहकेगा Tere Rang

वार्षिक संगीतमाला के आखिरी मोड़ तक पहुँचने में बस दो गीतों का सफ़र तय करना रह गया है। अब आज के गीत के बारे में बस इतना ही कहना चाहूँगा कि जिन्हें भी भारतीय शास्त्रीय संगीत से थोड़ा भी प्रेम होगा उन्हें संगीतमाला में शामिल इस अनूठे गीत के मोहपाश में बँधने में ज़रा भी देर नहीं लगेगी। ये गीत है ए आर रहमान के संगीत निर्देशन में बनी फिल्म अतरंगी रे का। मुझे पूरा यकीन है कि ये गीत आपमें से बहुतों ने नहीं सुना होगा पर गुणवत्ता की दृष्टि से मुझे तो ये फिल्म अंतरंगी रे ही नहीं बल्कि पिछले साल के सर्वश्रेष्ठ गीतों में एक लगा।


यूँ तो पूरी फिल्म में रहमान साहब का संगीत सराहने योग्य है पर इस गीत को जिस तरह से उन्होंने विकसित किया है तमाम उतार चढ़ावों के साथ, वो ढेर सी तारीफ़ के काबिल है। इतनी बढ़िया धुन को अगर अच्छे बोल नहीं मिलते तो सोने पे सुहागा होते होते रह जाता। लेकिर इरशाद कामिल ने प्रेम के रंगों में रँगे इस अर्ध शास्त्रीय गीत को बड़े प्यारे बोलों से सजाया है। गीत में बात है वैसे प्रेम की जैसा राधा से कृष्ण ने किया हो। गीत का आग़ाज़ द्रुत गति के बोलों से  इरशाद कामिल कुछ यूँ करते हैं

तक तड़क भड़क, दिल धड़क धड़क गया, अटक अटक ना माना
लट गयी रे उलझ गयी, कैसे कोई हट गया, मन से लिपट अनजाना
वो नील अंग सा रूप रंग, लिए सघन समाधि प्रेम भंग
चढ़े अंग अंग फिर मन मृदंग, और तन पतंग, मैं संग संग..और कान्हा

गीत को गाया है कर्नाटक संगीत के सिद्धस्त गायक हरिचरण शेषाद्री ने नये ज़माने की स्वर कोकिला श्रेया घोषाल के साथ। चेन्नई के एक सांगीतिक पृष्ठभूमि से आने वाले हरिचरण दक्षिण भारतीय फिल्मों के लिए नया नाम नहीं हैं पर हिंदी फिल्मों में संभवतः ये उनका पहला गीत है। 

हरिचरण शेषाद्री श्रेया घोषाल के साथ

रहमान साहब ने हिंदी फिल्मों में ना जाने कितने हुनरमंद कलाकारों को मौका देकर उनके कैरियर को उभारा है। साधना सरगम, नरेश अय्यर, बेनी दयाल, चित्रा, श्रीनिवास, विजय प्रकाश, अभय जोधपुरकार, चिन्मयी श्रीपदा, शाशा तिरुपति... ये फेरहिस्त दिनोंदिन लंबी होती ही जाती है। इसीलिए सारे नवोदित गायकों का एक सपना होता है कि वो रहमान के संगीत निर्देशन में कभी गा सकें। हरिचरण इसी जमात के एक और सदस्य बन गए हैं।

हरिचरण भी रहमान के कन्सर्ट में बराबर शिरकत करते रहे हैं। जिस आसानी से इस बहते हुए गीत को उन्होंने श्रेया घोषाल के साथ निभाया है वो मन को सहज ही आनंद से भर देता है।

मुरली की ये धुन सुन राधिके, मुरली की ये धुन सुन राधिके, मुरली की ये धुन सुन राधिके

धुन साँस साँस में बुन के, धुन सांस सांस में बुन के
कर दे प्रेम का, प्रीत का, , मोह का शगुन

मुरली की ये धुन सुन राधिके...

हो आना जो आके कभी, फिर जाना जाना नहीं
जाना हो तूने अगर, तो आना आना नहीं
तेरे रंग रंगा, तेरे रंग रंगा
मन महकेगा तन दहकेगा

तुमसे तुमको पाना, तन मन तुम..तन मन तुम
तन से मन को जाना..उलझन गुम...उलझन गुम
तुमसे तुमको पाना तन मन तुम
जिया रे नैना, चुपके चुपके हारे
मन गुमसुम, मन गुमसुम

डोरी टूटे ना ना ना, बांधी नैनो ने जो संग तेरे
देखे मैंने तो, सब रंग तेरे सब रंग तेरे
फीके ना हो छूटे ना ये रंग

तेरे रंग रंगा.. शगुन

इस अर्ध शास्त्रीय गीत में क्या नहीं है तानें, आलाप, कोरस, मन को सहलाते शब्द, कमाल का गायन, ताल वाद्यों की थाप के बीच चलते गीत के अंत में बाँसुरी की स्वरलहरी और इन सब के ऊपर रहमान की इठलाती धुन जो तेरे रंग रंगा, तेरे रंग रंगा मन महकेगा तन दहकेगा.. तक आते आते दिल को प्रेम रस से सराबोर कर डालती है। 


निर्देशक आनंद राय रहमान के इस जादुई संगीत से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस म्यूजिकल के अंत में A film by A R Rahman का कैप्शन दे डाला। आनंद तो यहाँ तक कहते हैं कि मेरा बस चले तो मैं रहमान के सारे गानों को सिर्फ अपनी फिल्मों के लिए रख दूँ। वहीं श्रेया कहती हैं कि ऊपरवाला रहमान के हाथों संगीत का सृजन करता है। स्वयम् ए आर रहमान इस फिल्म की संगीत की सफलता का श्रेय इसकी पटकथा को देते हुए कहते हैं कि 

जिस फिल्म की कथा देश के एक कोने से दूसरे कोने तक जा पहुँचती है तो बदलती जगहों और किरदारों के अनुसार संगीत को भी अलग अलग करवट लेनी पड़ती है। मैं शुक्रगुजार हूँ ऐसी कहानियों को जो संगीत में कुछ नया करने का अवसर हमें दे पाती हैं।

वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक

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7 टिप्पणियाँ:

Sanjeev Kumar on मार्च 24, 2022 ने कहा…

Lajawab👌

Manish Kumar on मार्च 24, 2022 ने कहा…

Thanks Sanjeev !

Disha Bhatnagar on मार्च 25, 2022 ने कहा…

बढ़िया... मुझे इस फ़िल्म में 'रांझणा' के संगीत की झलक लगी। जहां तक शास्त्रीय संगीत के प्रयोग की बात है.. तो आजकल 'फ़िल्म - संगीत' में मात्र तानों के प्रयोग से ही उसकी याद आती है। पहले की तरह राग में डूबे हुए गाने तो अब न के बराबर ही हैं। बाकी अन्य विधाओं की तुलना में 'कव्वाली' या कहें सूफी अंदाज़ का गीत आजकल फिल्मों में आराम से जगह बना लेता है। जो कि अच्छा भी है.. क्योंकि कम से कम इसी प्रकार शास्त्रीय संगीत का पुट फ़िल्मों में जगह बनाने में कामयाब तो है।

Manish Kumar on मार्च 25, 2022 ने कहा…

Disha Bhatnagar सही कहा कि ऐसे गाने कम बनते हैं। हाल फिलहाल में मोहे रंग दो लाल को शायद वैसे गीतों की श्रेणी में रखा जा सके। वैसे ये तो तुम बेहतर बता सकती हो।

इस गीत में मुरली की धुन सुन राधिके वाली पंक्ति.. सुन कर लगा कि किसी राग पर आधारित है। बाद में कहीं पढ़ा कि वो राग हमीर से प्रेरित है ।

Disha Bhatnagar on मार्च 25, 2022 ने कहा…

जी... मोहे रंग दो लाल, मोह- मोह के धागे, लाल इश्क़, आदि गीत भी रागाधारित हैं। राग हमीर काफी सुंदर राग है । इसमें प्रसिद्ध गीत ' मधुबन में राधिका नाचे रे' भी है।

Kavita Singh on मार्च 25, 2022 ने कहा…

मेरे पसंदीदा गीतों में से एक

Manish Kumar on मार्च 25, 2022 ने कहा…

अरे वाह! जान कर खुशी हुई।

 

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