गुरुवार, मार्च 17, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 थोड़े से कम अजनबी Thode Se Kam Ajnabi

पिछले साल के शानदार गीतों की शृंखला में आज बात फिल्म पगलैट के एक दिलकश गीत की जिसे पहली बार सुनते ही गीत मन में रम सा गया था। कहना मुश्किल था कि ये हिमानी की जादुई आवाज़ का असर था या अरिजीत की सुरीली बहती सी धुन का या फिर नीलेश मिश्र के शब्द जिसको महसूस करते हुए इस गीत के लिए श्रोताओं के दिल की खिड़की खोल दी थी। इस गीत का मर्म समझने के लिए आपको पगलैट फिल्म की कहानी से परिचय कराना बेहद जरूरी हैं क्यूँकि फिल्म का गीत संगीत उसी में अपनी राह बनाता हुआ चलता है। 

जैसा मैंने आपको पहले भी बताया था कि पगलैट एक ऐसी लड़की की कथा है जो शादी के चंद महीने बाद ही अपने पति को खो बैठती है। इतने कम समय में पति के साथ उसके मन के तार ठीक से जुड़ भी नहीं पाते हैं और तभी उसे पता चलता है कि जो अनायास ही ज़िंदगी से चला गया उसकी एक प्रेमिका भी थी। अपने पति के बारे में और जानने के लिए वो उसकी प्रेमिका से मिलती है और धीरे धीरे अपने पति के प्रति उसकी नाराज़गी व गलतफहमी दूर होने लगती है और इसलिए गीत के मुखड़े में नीलेश लिखते हैं थोड़े से कम अजनबी..मेरे दिल के घर में, खिड़की नयी है खुल गयी। 

मन के अंदर का चक्रवात शांत होगा तभी तो व्यक्ति सकारात्मक ढंग से भविष्य के बारे में सोच सकेगा। ज़िदगी से एक बार फिर प्यार कर सकेगा। नीलेश नायिका के मन को पढ़ते हुए इसी भाव को गीत में व्यक्त करते हैं।



अरिजीत, नीलेश और हिमानी इस गीत के साथ कैसे जुड़े ये जानना भी आपके लिए दिलचस्प होगा। फिल्म की निर्माता गुनीत मोंगा ये चाहती थीं कि फिल्म का संगीत अरिजीत दें, हालांकि इससे पहले अरिजीत ने स्वतंत्र रूप से बतौर संगीतकार कभी काम नहीं किया था। वहीं अरिजीत की शर्त थी कि कहानी पसंद आएगी तभी वे संगीत निर्देशन का काम सँभालेंगे। ज़ाहिर है उन्हें कहानी पसंद आई। 

नीलेश मिश्र पिछले कई सालों से फिल्मी गीतों को लिखना छोड़ चुके थे। उन्हें इस काम में मज़ा नहीं आ रहा था क्यूँकि जिस तरह की रचनात्मक स्वतंत्रता वो चाहते थे वो मिल नहीं रही थी।  फिल्म के पटकथा लेखक और निर्देशक उमेश बिष्ट ने उनकी ये इच्छा पगलैट में पूरी कर दी। एक बार पटकथा सुनाकर संगीतकार गीतकार की जोड़ी को बीच मझधार में छोड़ दिया ख़ुद ब ख़ुद किनारे तक पहुँचने के लिए। नीलेश और अरिजीत चाहते भी यही थे कि उन्हें अपनी नैया ख़ुद चलाने का मौका मिले। 

ये तो हम सभी जानते हैं कि अरिजीत सिंह ने गायिकी के साथ साथ प्रीतम दा के लिए सहायक के तौर पर काम किया है। प्रीतम और रहमान उनके लिए हमेशा प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। यहाँ तक कि आख़िर आख़िर तक गीत में बदलाव की आदत भी उन्हें प्रीतम से मिली है। पगलैट के संगीत के बारे में अरिजीत कहते हैं कि उन्होंने पहले से कुछ संगीतबद्ध कर नहीं रखा था। नीलेश ने गीत के बोल लिखे और उन बोलों से ही मन में धुन बनती चली गयी। कहना होगा कि नीलेश और अरिजीत दोनों ने ही संध्या के मन को कहानी की पटकथा से खूब अच्छी तरह जाँचा परखा और इसी वज़ह से फिल्म का संगीत इतना प्रभावी बन पाया।

अरिजीत ने जब गीत की धुनें बनायीं तो उनके दिमाग में नीति मोहन, हिमानी कपूर , मेघना मिश्रा, चिन्मयी श्रीपदा और झूंपा मंडल की आवाज़ें थीं। उन्होने क्या कि सारे गीत सभी गायिकाओं को भेजे। सबने हर गीत को गाया और यही वज़ह है कि एलबम में आप एक ही गीत को दो वर्जन में भी सुन पाएँगे।

हिमानी कपूर अरिजीत सिंह के साथ

हिमानी मेरी पसंदीदा गायिका हैं और उसकी खास वज़ह उनकी आवाज़ कि एक विशिष्ट बुनावट या tonal quality है जिसे सुनकर आप तुरंत पहचान लेंगे कि ये गीत हिमानी गा रही हैं। वैसे तो हिमानी ने पंजाबी रॉक से लेकर सूफी, रूमानी गीतों से लेकर ग़ज़लें भी गायी हैं पर मुझे उनकी आवाज़ संज़ीदा गीतों और ग़ज़लों के बिल्कुल मुफ़ीद लगती है। हिमानी और अरिजीत ने रियालटी शो की दुनिया से संगीत जगत में कदम रखा है। इसलिए वे एक दूसरे की गायिकी से भली भांति परिचित रहे हैं।

पिछले साल अगस्त के महीने में हिमानी के जन्मदिन पर अरिजीत ने संदेशा भिजवाया कि वो उनसे अपनी फिल्म का एक गीत गवाना चाहते हैं। हिमानी के लिए जन्मदिन का इससे प्यारा तोहफा हो ही नहीं सकता था क्यूँकि अरिजीत के साथ काम करना उनके एक सपने का पूरा होना था। हिमानी का कहना है कि अरिजीत जैसे गुणी कलाकार के साथ सहूलियत ये है कि वो गायक को पूरी छूट देते हैं अपनी समझ से गीत में बदलाव लाने के लिए। गीत सुनने के बाद आश्चर्य होता है ये जानकर कि इतना प्यारा नग्मा लॉकडाउन की वज़ह से आनलाइन मोड में ही बना।

शुरुआत और अंतरों के बीच में गिटार के बहते नोट्स और अंत में निर्मल्य डे की बजाई बाँसुरी मन को सुकून पहुँचाती है। हिमानी की आवाज़ तो मन मोहती ही है और बीच में पार्श्व से उठता अरिजीत का उठता स्वर गीत को एक विविधता प्रदान करता है। इसमें कोई शक़ नहीं कि ये फिल्मों के लिए हिमानी का गाया अब तक का सबसे बेहतरीन गीत है। तो आइए सुनें हिमानी को पगलैट के इस गीत में

थोड़े ग़म कम अभी, थोड़े से कम अजनबी

मेरे दिल के घर में, खिड़की नयी है खुल गयी
थोड़े से कम अजनबी, थोड़े से कम अजनबी..ख्वाहिशें नयी,
होठों के मुंडेरों पे छिपी है ढेरों..छोटी छोटी सी ख़ुशी
थोड़े से कम अजनबी, अच्छी सी लगे है ज़िन्दगी

दिल चिरैया हो हो चिरैया, चिरैया नयी बातें बोले हमका
मुस्कुराएँ हम क्यों बेवजह, ताका झाँकी टोका टाकी
करता जाए दिल ज़िद पे अड़ा, मैंने ना की इसने हाँ की
धूप छाँव बुनते साथ कभी
भूल भुलैया में मिल जो जाते रस्ते तेरे मेरे सभी, ख्वाहिशें नयी
होठों के.. है ज़िन्दगी

   

अब दो ही गीत बचे हैं पिछले साल के शानदार गीतों की इस संगीतमाला में। गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग बताने का वक़्त पास आ रहा है। पर उससे पहले आप इन गीतों में अपनी पसंद का क्रम भी सजा लीजिए एक इनामी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए।
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2 टिप्पणियाँ:

Sonal Singh on मार्च 18, 2022 ने कहा…

Heard this for the first time and it's good

Manish Kumar on मार्च 18, 2022 ने कहा…

I heard it in last August and got hooked to it🙂

 

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