वार्षिक संगीतमाला में आज जो युगल गीत है उसे गाया है अभय जोधपुरकर के साथ मधुश्री ने। दक्षिण के संगीतकार अक्सर मधुश्री को अपनी फिल्मों में गवाते रहे हैं। हिंदी फिल्मों मे उन्होंने जितने भी गीत गाए हैं उनमें सबसे बड़ा हिस्सा ए आर रहमान के साथ है। मधुश्री की आवाज़ की बनावट और मिठास एक अलग तरह की है जिसकी वज़ह से उनके गाए गीतों को सहज ही पहचाना जा सकता है। फिल्म युवा में उनका गाया कभी नीम नीम कभी शहद शहद या फिर रंग दे वसंती का तू बिन बताए भला कौन भूल सकता है।
रहमान, एम एम क्रीम के बाद इस कड़ी में नाम जुड़ा है जस्टिन प्रभाकरन का जिन्होंने मधुश्री को मौका दिया फिल्म मीनाक्षी सुंदरेश्वर में।
मीनाक्षी सुंदरेश्वर दो ऐसे युवाओं की कथा है जिन्हें शादी के बाद अलग अलग रहना पड़ता है। पति पत्नी अलग अलग हैं फिर भी कोशिश कर रहे हैं कि उनके रिश्ते में जो प्रेम की लौ जल पड़ी है उसकी आँच को कम ना होने दें। राजशेखर की लेखनी के प्याले से हर पंक्ति में ये प्रेम छलका जाता है। मन केशर केशर में राजशेखर ने जो शब्दों के दोहराव का जो प्रयास किया था उसकी झलक इस गीत में भी दिखलाई देती है।
राजशेखर बिहार के एक किसान परिवार से आते हैं। बचपन में वे देखा करते कि उनके पिता दिन भर की बातें माँ को शाम को इकठ्ठे बताया करते थे। ये बात वैसे खेती किसानी क्या हर कामकाजी परिवेश परिवारों के लिए ये आज भी सही है। अंतर सिर्फ इतना हो गया है कि अगर आप आमने सामने ना भी हों तो फोन कॉल या चैटिंग के ज़रिए संवाद होता रहता है। इसलिए गीत के अंतरे में उन्होंने लिखा हमें सुबह से इसका इंतज़ार है कि जल्दी जल्दी शाम हो...कि पूरे दिन के क़िस्से हम बताएँगे तसल्लियों से रात को।
राजशेखर की माहिरी तब नज़र आती है जब वो लिखते हैं..जुगनू-जुगनू बन के, साथ-साथ जागे...जादू-जादू सब ये, जादुई सा लागे...टिमटिमा के देखो, हँस रहा वो तारा...क्या सुना लतीफ़ा, उसने फिर हमारा।
शब्दों का दोहराव और रूमानियत वाले भाव तो अपनी जगह पर टिमटिमा के देखने से लेकर तारों तक अपना लतीफा पहुँचाने की उनकी सोच मुझे तो बेहद पसंद आई। वैसे तो ये युगल गीत है पर मधुश्री की आवाज़ की छाप पूरे गीत में दिखाई देती है तो आइए पहले सुनते हैं ये गाना
तू यहीं है, आँखों के कोने में
जगने सोने में, यहीं है तू
तू यहीं है, हर पल रुसाने
मुझको मनाने, यहीं है तू
ये दूरी है दिल का वहम, संग मेरे है तू हरदम
दम दम दम
जगने सोने में, यहीं है तू
तू यहीं है, हर पल रुसाने
मुझको मनाने, यहीं है तू
ये दूरी है दिल का वहम, संग मेरे है तू हरदम
दम दम दम
तू यहीं है, होने, ना होने में
ख़ुद को खोने में, यहीं है तू
हमें सुबह से इसका इंतज़ार है कि जल्दी जल्दी शाम हो
कि पूरे दिन के क़िस्से हम बताएँगे तसल्लियों से रात को
जुगनू-जुगनू बन के, साथ-साथ जागे
जादू-जादू सब ये, जादुई सा लागे
टिमटिमा के देखो, हँस रहा वो तारा
क्या सुना लतीफ़ा, उसने फिर हमारा
जहाँ मिलते हैं रात और दिन
वहीं चुपके से मिल लेंगे हम हम हम
तू यहीं है, आँखों के कोने में....यहीं है तू.
तू यहीं है, होने, ना होने में... यहीं है तू
ये दूरी है...
इस गीत को फिल्माया गया है सान्या मल्होत्रा और मैंने प्यार किया वाली भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु पर
गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग बताने का वक़्त पास आ रहा है। पर उससे पहले आप इन गीतों में अपनी पसंद का क्रम भी सजा लीजिए एक इनामी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए।
4 टिप्पणियाँ:
मधुश्री की आवाज़ ऐसे गीतों में कुछ ज्यादा ही जँचती है!!
हां मनीष जितने गीत उन्हें मिले हैं उनमें उनकी आवाज़ रास आई है मुझे।🙂
Bahut shukriya Manish sir.
Raj Shekhar पिछले साल आपके इन गीतों को सुनना और गुनगुनाना मन को सुकून दे गया। इस साल भी आपके शब्द होठों पर गुनगुनाहट बन कर उभरे ऐसी ही आशा है।
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