पिछले साल से एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं का सिलसिला रुका रुका सा है। इसका मुख्य कारण कोविड के बाद से बहुतेरी फिल्मों का OTT प्लेटफार्म पर रिलीज़ होना है। कई बार इन फिल्मों के गाने ढूँढने से भी नहीं मिलते। पहले मैं साल में प्रदर्शित हर फिल्म के गीतों को सुनकर अपनी संगीतमाला को अंतिम रूप देता था पर अब ये दावा करना मुश्किल है। पर पिछले कुछ दिनों से एक शाम मेरे नाम के कई पुराने पाठकों ने गुजारिश करी है कि ये सिलसिला फिर से शुरु किया जाए। अब उनके प्रेम को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल था इसलिए लगा कि एक कोशिश तो करनी ही चाहिए।
तो चलिए आरंभ करते हैं इस साल की संगीतमाला को तड़कते फड़कते गीत से जिसे लिखा शैली ने,धुन बनाई ए आर रहमान ने और आवाज़ दी अरिजीत सिंह ने।
भारत बांग्लादेश युद्ध पर बनी फिल्म पिप्पा के इस गीत की खासियत है अरिजीत सिंह ने किस तरह अपनी आवाज़ और गाने के तरीके में बदलाव किया। ये गीत उनकी बहुआयामी गायिकी का एक जीता जाता उदहारण है। इस गीत में अरिजीत का बखूबी साथ दिया है सहगायिका पूजा तिवारी और निशा शेट्टी ने। ट्रम्पेट,गिटार, एकार्डियन और ताल वाद्यों से रहमान की सजी सँवरी धुन आपको थिरकने पर मजबूर कर देगी। एक बार सुनिये तो सही..
इस गीत द्वारा इशान खट्टर ने भी दिखा दिया है कि वे डांस करने में किसी से कम नहीं हैं। पूरा गीत तो ब्लॉग पर ही सुन पाएँगे पर यहाँ देखिए उसकी एक झलक
तेरे प्यार में जलना जलाना
यूँ नज़रें उठाना यूँ नज़रें गिराना
तू शम्मा मैं हूँ मस्ताना
दिल पे वार वार वार ऐसा किया
Arrow आर पार यार कर दिया
चढ़ी हुई है गरारी अड़ी हुई है
मैं फौजी आज टिप्सी हो गया
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा
8 टिप्पणियाँ:
अरे वाह ये तो मध्यकालीन सिनेमा के गीत जैसा है 😲👍बढ़िया
@Munish सत्तर के दशक की कहानी भी तो है शायद इसीलिए।
ये रेट्रो का चलन परिणिता से शुरू हुआ shayad
मुझे बेहद पसंद आया ये गीत और ईशान का नृत्य भी बहुत शानदार हैं, आपके वार्षिक संगीतमाला की अगली पोस्ट का अब इंतजार रहेगा मनीष जी
Sharan Pratima बहुतों के संदेश आ रहे थे कि कब शुरू करेंगे तो सोचा आरंभ कर ही दें। मुझे भी इसकी थिरकती धुन और अरिजीत की गायिकी अच्छी लगी इस गीत में।
गाना सुनने के साथ देखने मैं भी अच्छा है अरिजीत की गायिकी के साथ ईशान का डांस भी कमाल का है मुझे लगता है पिछले कुछ समय में लोगों की retro music की तरफ रुचि बढी है इस बार काफी गीत ऐसे बने हैं जो पुराने जमाने की याद दिलाते हैं
Swati सहमत हूं आपसे। ऐसे गीतों की संभावना ही तब बनती है जब पटकथा का कालखंड दशकों पुराना हो और आजकल आम जनमानस और फिल्म निर्माता निर्देशकों की ऐसे विषयों में दिलचस्पी निश्चय ही बढ़ रही है।
संगीतमाला का फिर से आना स्वागत योग्य! गीत रेट्रो समय की याद दिलाता है! ईशान का शम्मी कपूर और देव आनंद साहब के अंदाज़ में नृत्य करते देखना सुखद है! अरिजीत सिंह ने भी पुराने अंदाज़ में बेहद खूबसूरत गाया है! 😊❤️
एक टिप्पणी भेजें