वार्षिक संगीतमाला की अगली कड़ी में आज एक गीत फिल्म डंकी से। ये फिल्म तो लोगों ने उतनी पसंद नहीं की, हां पर इसके एक दो गाने यू ट्यूब पर खूब बजे, इंस्टा की रीलों पर छा गए। अब इसका सबसे ज्यादा श्रेय तो मैं संगीतकार प्रीतम को देना चाहता हूं।
प्रीतम एक ऐसे संगीतकार हैं जिनकी मेलोडी पर जबरदस्त पकड़ है। वो ये बखूबी समझते हैं कि श्रोताओं को कैसी सिग्नेचर धुन, कैसे इंटरल्यूड्स पसंद आयेंगे। ज्यादातर वे इरशाद कामिल और अमिताभ भट्टाचार्य के साथ अपने गीत रचते हैं जो उनकी बनाई धुनों के साथ न्याय करने में सक्षम हैं।
तो डंकी फिल्म का जो गीत मेरे पसंदीदा गीतों की सूची में आया है वो है ओ माही ओ माही। मुखड़े के पहले के बीस सेकेंड में ही प्रीतम अपनी आरंभिक धुन से ध्यान खींच लेते हैं।
माही शब्द को केंद्र में ले के दर्जनों गीत बन होंगे पर मजाल है कि श्रोता आज तक इससे ऊबे हों। इस गीत की तो ओ माही के दुहराव वाली पंक्ति ही लोगों के मन में रच बस गई है। दरअसल आज भी युवा अपने प्रेम का इज़हार करने के लिए ऐसे फिल्मी गीतों का सहारा लेते हैं जिसके बोल प्यारे पर सहज हों और जिसका संगीत कर्णप्रिय हो।
वार्षिक संगीतमाला का ये गीत किस पायदान पर अंततः आएगा उसका खुलासा तो बाद में होगा पर इतना तो तय है कि सुरीले गीतों की इस साल की फेरहिस्त में अरिजीत सिंह का नाम बार बार आएगा।
तो अगर आपने इरशाद कामिल का लिखा ये गीत न सुना हो तो सुन लीजिए।
4 टिप्पणियाँ:
फ़िल्म डंकी का सबसे खूबसूरत गीत, पर फ़िल्म में दिखाया ही नहीं गया!🙄
Manish तुमने देखी ये फिल्म? सुना हिरानी साहब इस बार वो कमाल नहीं दिखा सके।
Manish Kumar जी सर, मुन्ना भाई सीरीज और 3 इडियट्स वाली बात इसमे नहीं!
शब्द ज़्यादा असरदार हैं
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