बुधवार, मार्च 26, 2025

वार्षिक संगीतमाला 2024 Top 25 : मन रे मन रे पागल मन रे

वार्षिक संगीतमाला में पिछले साल के पच्चीस बेहतरीन गीतों के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए चलते हैं 22वीं पायदान के गीत की तरफ जिसे यहाँ तक पहुँचाने में मुख्य भूमिका रही है संगीतकार जी वी प्रकाश कुमार व गीतकार सजीव सारथी की। ये गीत है पिछले साल आई और काफी सराही गयी युद्ध आधारित फिल्म आमरण (अमरन) का। 

प्रकाश की वॉयलिन पर बजती मधुर स्वरलहरियाँ और एक नवयुगल के प्रेम को व्यक्त करते सजीव के मुलायम शब्द इस गीत को कई बार सुनने को मजबूर करते हैं। 


हिन्दी ब्लागिंग के शुरुआती  दौर के साथी कवि का एक बड़ी बैनर की फिल्म के गीतकार के रूप में अपना सिक्का जमाते हुए देखना अपने आप में एक बेहद खुशी का सबब था और वो भी तब जबकि सजीव को इस फिल्म के सारे गीतों को लिखने के लिए  सिर्फ दो तीन दिनों का ही वक़्त मिला।

देवेंद्र, सजीव (बीच में) के साथ मैं (वर्ष 2007)

मूलतः तमिल में बनी इस फिल्म की हिंदी में प्रदर्शित करने का निर्णय अंतिम समय में लिया गया। वक़्त कम था और हिंदी वर्सन के लिए जब प्रकाश ने पहले साथ काम कर चुके सजीव का नाम सुझाया तो उन्हें फिल्म के गीत पहले हे सोनिये लिखने का अवसर मिला जो निर्देशक राजकुमार पेरियासामी को इतना पसंद आया कि उन्होंने सारे गीतों को लिखने का जिम्मा सजीव को दे दिया। तमिल से जब गीतों को हिंदी में लिखने की बारी आई तो सजीव ने शाब्दिक अनुवाद से परे हटके गीत की भावनाओं को पकड़ा और उन्हें अपने शब्द दिये। सजीव कहते हैं कि अगले  चार दिनों में सारे गीत लिखे गए, संगीत का संयोजन हुआ और गीतों  की अंतिम रिकार्डिग भी  कर ली गई। बतौर सजीव

ये मेरे जीवन की सबसे यादगार चार रातें थीं और इन बेहतरीन धुनों पर काम करते हुए इतना आनंद मुझे पहले कभी नहीं आया। इस फिल्म को दिल्ली में जब सैनिकों को विशेष रूप से दिखाया गया तो बहुतों की रुलाई छूट गयी पर साथ ही फिल्म के गीतों पर दर्शकों की प्रतिक्रिया देखकर संगीतकार जी वी प्रकाश को कहना पड़ा कि हिंदी वर्सन के गीत संगीत तो लगता है तमिल की अपेक्षा ज्यादा बेहतर तरीके से उभर कर आए हैं।
सजीव और प्रकाश के गीत संगीत से सजा जो गीत मेरी इस गीतमाला का हिस्सा बना है वो है मन रे मन रे। दो लोगों के मिलने, परिणय सूत्र में बँधने और उनके निरंतर प्रगाढ़ होते प्रेम को दिखाता हुआ फिल्म का ये गीत पार्श्व में चलता रहता है। बाँसुरी के मधुर टुकड़े से ये गीत शुरु होता है जब मुखड़े में सजीव लिखते हैं..

सौंधी सी सुबहों में
कुछ भीगे सपने हैं
सपनों में है कोई अपना सा
कोई जादू हो जैसे
बदला ये जग कैसे
दिल जैसे हो दिल में धड़का सा
मन रे मन रे, पागल मन रे, कैसा तू दीवाना
इसके बाद जो जी वी प्रकाश कुमार की  वॉयलिन आधारित धुन है उसे फिल्म में अभिनेत्री साई पल्लवी के इन्ट्रो में भी इस्तेमाल किया गया है और इस गीत के इंटल्यूड्स में।

जी वी प्रकाश कुमार

मैंने पिछले साल के जितने गीतों को सुना उसमें संगीत का ये टुकड़ा मेरे दिल में बस सा गया। बाद में मैंने पाया कि इस धुन की लोकप्रियता का ये आलम है कि इंस्टाग्राम पर हजारों की संख्या में लोग बाग इसी धुन को पार्श्व में रखकर रील बना रहे हैं। प्रकाश पिछले दो दशकों से तमिल और तेलगु फिल्मों के संगीत निर्देशन में सक्रिय रहे हैं और एक बार राष्ट्रीय पुस्कार भी जीत चुके हैं।

ये धरती ये गगन, हैं अपने मिलन के गवाह
दोहराते जायेगें , सदियों सदियों तक ये दास्तां
हम चाहत के माने, दुनिया को सिखाने
फिर लौटेंगे वापस यहां
मन रे मन रे, पागल मन रे, कैसा तू दीवाना

मजे की बात ये है कि इस गीत के दो अंतरे हैं जिसमें एक का इस्तेमाल फिल्म में हुआ है जबकि दूसरे का इ्ंटरनेट पर उपलब्ध आडियो में। फिल्म वर्सन में सजीव की लिखी ये पंक्तियाँ मुझे बेहद प्यारी लगीं

तेरी खुशबू ले पवन, मेरी सांसों को छूकर गई
कोई बदली चाहत की, मन मेरा भिगो कर गई
मैं तुझमें हूं खोया, न जागा न सोया
है मेरा भी कुछ हाल ऐसा
मन रे मन रे, पागल मन रे, कैसा तू दीवाना

इस गीत को गाया है शान के साथ श्वेता अशोक ने। हालांकि मुझे ऍसा लगा कि अगर श्वेता की जगह ये गीत श्रेया की आवाज़ में होता तो क्या ही बात होती। तो आइए सुनते हैं गीत अपने पहले अंतरे के साथ। दूसरे अंतरे के लिए तो आपको फिल्म देखनी होगी


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8 टिप्पणियाँ:

Reetesh Khare on मार्च 27, 2025 ने कहा…

अमरन की अमर सत्यकथा को शुद्ध भावनाओं भरे अमर शब्द दे दिए हैं सधे हुए, मंझे हुए गीतकार और हमारे बड़े भाई तुल्य, RPI के कैप्टन कूल सजीव सारथी जी ने।

फ़िल्म को देख कर जब जब जज़्बाती हुआ मै, पाया कि गीतों को सुनकर उतना ही द्रवित हुआ, जितना इस सत्यकथा के फिल्मांकन ने किया।

आपको धन्यवाद कि आपने उनके इस गीत को अपने काउंटडाऊन में शामिल किया। अमरन के लिए गीत लिखने की मेकिंग से भी हम परिचित हो सके।

बेनामी ने कहा…

शानदार

बेनामी ने कहा…

भावनाओं को बहुत ही सुंदर तरीकें से गीत में पिरोया है सजीव जी ने।
बहुत खूबसूरत गीत है ये।

बेनामी ने कहा…

सजीव जी ने बहुत सुंदर गीतों को रचा है। बहुत बहुत बधाई, शुभकामनाएँ🎉🎊

Manish Kumar on मार्च 29, 2025 ने कहा…

सजीव का काम वाकई बेहतरीन है और प्रकाश के वायलिन के तो क्या कहने। शुक्रिया इस फिल्म और इसके गीत संगीत के बारे में आपके विचारों का।

Manish Kumar on मार्च 29, 2025 ने कहा…

👍👍

Manish Kumar on मार्च 29, 2025 ने कहा…

आपको भी ये गीत पसंद आया जानकर खुशी हुई।

Manish Kumar on मार्च 29, 2025 ने कहा…

👍👍

 

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